- Biblica® Open Hindi Contemporary Version (Updated 2021)
विलापगीत
विलापगीत
विलापगीत
विला
विलापगीत
कैसी अकेली रह गई है,
यह नगरी जिसमें कभी मनुष्यों का बाहुल्य हुआ करता था!
कैसा विधवा के सदृश स्वरूप हो गया है इसका,
जो राष्ट्रों में सर्वोत्कृष्ट हुआ करती थी!
जो कभी प्रदेशों के मध्य राजकुमारी थी
आज बंदी बन चुकी है.
रात्रि में बिलख-बिलखकर रोती रहती है,
अश्रु उसके गालों पर सूखते ही नहीं.
उसके अनेक-अनेक प्रेमियों में
अब उसे सांत्वना देने के लिए कोई भी शेष न रहा.
उसके सभी मित्रों ने उससे छल किया है;
वस्तुतः वे तो अब उसके शत्रु बन बैठे हैं.
यहूदिया के निर्वासन का कारण था
उसकी पीड़ा तथा उसका कठोर दासत्व.
अब वह अन्य राष्ट्रों के मध्य में ही है;
किंतु उसके लिए अब कोई विश्राम स्थल शेष न रह गया;
उसकी पीड़ा ही की स्थिति में वे जो उसका पीछा कर रहे थे,
उन्होंने उसे जा पकड़ा.
ज़ियोन के मार्ग विलाप के हैं,
निर्धारित उत्सवों के लिए कोई भी नहीं पहुंच रहा.
समस्त नगर प्रवेश द्वार सुनसान हैं,
पुरोहित कराह रहे हैं,
नवयुवतियों को घसीटा गया है,
नगरी का कष्ट दारुण है.
आज उसके शत्रु ही अध्यक्ष बने बैठे हैं;
आज समृद्धि उसके शत्रुओं के पक्ष में है.
क्योंकि याहवेह ने ही उसे पीड़ित किया है.
क्योंकि उसके अपराध असंख्य थे.
उसके बालक उसके देखते-देखते ही शत्रु द्वारा
बंधुआई में ले जाए गए हैं.
ज़ियोन की पुत्री से
उसके वैभव ने विदा ले ली है.
उसके अधिकारी अब उस हिरण-सदृश हो गए हैं,
जिसे चरागाह ही प्राप्त नहीं हो रहा;
वे उनके समक्ष, जो उनका पीछा कर रहे हैं,
बलहीन होकर भाग रहे हैं.
अब इन पीड़ा के दिनों में, इन भटकाने के दिनों में
येरूशलेम को स्मरण आ रहा है वह युग,
जब वह अमूल्य वस्तुओं की स्वामिनी थी.
जब उसके नागरिक शत्रुओं के अधिकार में जा पड़े,
जब सहायता के लिए कोई भी न रह गया.
उसके शत्रु बड़े ही संतोष के भाव में उसे निहार रहे हैं,
वस्तुतः वे उसके पतन का उपहास कर रहे हैं.
येरूशलेम ने घोर पाप किया है
परिणामस्वरूप वह अशुद्ध हो गई.
उन सबको उससे घृणा हो गई, जिनके लिए वह सामान्य थी,
क्योंकि वे उसकी निर्लज्जता के प्रत्यक्षदर्शी हैं;
वस्तुतः अब तो वही कराहते हुए
अपना मुख फेर रही है.
उसकी गंदगी तो उसके वस्त्रों में थी;
उसने अपने भविष्य का कोई ध्यान न रखा.
इसलिये उसका पतन ऐसा घोर है;
अब किसी से भी उसे सांत्वना प्राप्त नहीं हो रही.
“याहवेह, मेरी पीड़ा पर दृष्टि कीजिए,
क्योंकि जय शत्रु की हुई है.”
शत्रु ने अपनी भुजाएं उसके समस्त गौरव की
ओर विस्तीर्ण कर रखी है;
उसके देखते-देखते जनताओं ने
उसके पवित्र स्थान में बलात प्रवेश कर लिया है,
उस पवित्र स्थान में,
जहां प्रवेश आपकी सभा तक के लिए वर्जित था.
उसके सभी नागरिक कराहते हुए
भोजन की खोज कर रहे हैं;
वे अपनी मूल्यवान वस्तुओं का विनिमय भोजन के लिए कर रहे हैं,
कि उनमें शक्ति का संचार हो सके.
“याहवेह, देखिए, ध्यान से देखिए,
क्योंकि मैं घृणा का पात्र हो चुकी हूं.”
“तुम सभी के लिए, जो इस मार्ग से होकर निकल जाते हो, क्या यह तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं?
खोज करके देख लो.
कि कहीं भी क्या मुझ पर आई वेदना जैसी देखी गई है,
मुझे दी गई वह दारुण वेदना,
जो याहवेह ने अपने उग्र कोप के दिन
मुझ पर प्रभावी कर दी है?
“उच्च स्थान से याहवेह ने मेरी अस्थियों में अग्नि लगा दी,
यह अग्नि उन पर प्रबल रही.
मेरे पैरों के लिए याहवेह ने जाल बिछा दिया
और उन्होंने मुझे लौटा दिया.
उन्होंने मुझे सारे दिन के लिए,
निर्जन एवं मनोबल विहीन कर दिया है.
“मेरे अपराध मुझ पर ही जूआ बना दिए गए हैं;
उन्हें तो याहवेह ने गूंध दिया है.
वे मेरे गले पर आ पड़े हैं,
मेरे बल को उन्होंने विफल कर दिया है.
याहवेह ने मुझे उनके अधीन कर दिया है,
मैं जिनका सामना करने में असमर्थ हूं.
“प्रभु ने मेरे सभी शूर योद्धाओं को
अयोग्य घोषित कर दिया है;
जो हमारी सेना के अंग थे,
उन्होंने मेरे विरुद्ध एक ऐसा दिन निर्धारित कर दिया है जब वह मेरे युवाओं को कुचल देंगे.
प्रभु ने यहूदिया की कुंवारी कन्या को ऐसे कुचल दिया है,
जैसे रसकुंड में द्राक्षा कुचली जाती है.
“यही सब मेरे रोने का कारण हैं
और मेरे नेत्रों से हो रहा अश्रुपात बहता है.
क्योंकि मुझसे अत्यंत दूर है सांत्वना देनेवाला,
जिसमें मुझमें नवजीवन संचार करने की क्षमता है.
मेरे बालक अब निस्सहाय रह गए हैं,
क्योंकि शत्रु प्रबल हो गया है.”
ज़ियोन ने अपने हाथ फैलाए हैं,
कोई भी नहीं, जो उसे सांत्वना दे सके.
याकोब के संबंध में याहवेह का आदेश प्रसारित हो चुका है,
कि वे सभी जो याकोब के आस-पास बने रहते हैं, वस्तुतः वे उसके शत्रु हैं;
उनके मध्य अब येरूशलेम
एक घृणित वस्तु होकर रह गया है.
“याहवेह सच्चा हैं,
फिर भी विद्रोह तो मैंने उनके आदेश के विरुद्ध किया है.
अब सभी लोग यह सुन लें;
तथा मेरी इस वेदना को देख लें.
मेरे युवक एवं युवतियां
बंधुआई में जा चुके हैं.
“मैंने अपने प्रेमियों को पुकारा,
किंतु उन्होंने मुझे धोखा दे दिया.
मेरे पुरोहित एवं मेरे पूर्वज
नगर में ही नष्ट हो चुके हैं,
जब वे स्वयं अपनी खोई शक्ति की पुनःप्राप्ति के
उद्देश्य से भोजन खोज रहे थे.
“याहवेह, मेरी ओर दृष्टि कीजिए!
क्योंकि मैं पीड़ा में डूबी हुई हूं,
अत्यंत प्रचंड है मेरी आत्मा की वेदना,
अपने इस विकट विद्रोह के कारण मेरे अंतर में मेरा हृदय अत्यंत व्यग्र है.
बाहर तो तलवार संहार में सक्रिय है;
यहां आवास में मानो मृत्यु व्याप्त है.
“उन्होंने मेरी कराहट सुन ली है,
कोई न रहा जो मुझे सांत्वना दे सके.
मेरे समस्त शत्रुओं तक मेरे इस विनाश का समाचार पहुंच चुका है;
आपने जो किया है, उस पर वे आनंद मनाते हैं.
उत्तम तो यह होता कि आप उस दिन का सूत्रपात कर देते जिसकी आप पूर्वघोषणा कर चुके हैं,
कि मेरे शत्रु मेरे सदृश हो जाते.
“उनकी समस्त दुष्कृति आपके समक्ष प्रकट हो जाए;
आप उनके साथ वही व्यवहार करें,
जैसा आपने मेरे साथ किया है
मेरे समस्त अपराध के परिणामस्वरूप.
गहन है मेरी कराहट
तथा शून्य रह गया है मेरा मनोबल.”
2:0
यह अध्याय एक अक्षरबद्ध कविता है जिसकी पंक्तियां हिब्री वर्णमाला के क्रमिक अक्षरों से आरंभ होती हैं
हमारे प्रभु ने कैसे अपने कोप में
ज़ियोन की पुत्री को एक मेघ के नीचे डाल दिया है!
उन्होंने इस्राएल के वैभव को
स्वर्ग से उठाकर पृथ्वी पर फेंक दिया है;
उन्होंने अपनी चरण चौकी को
अपने क्रोध के अवसर पर स्मरण न रखा.
प्रभु ने याकोब के समस्त आवासों को निगल लिया है
उन्होंने कुछ भी नहीं छोड़ा है;
अपने कोप में उन्होंने यहूदिया की पुत्री के
गढ़ नगरों को भग्न कर दिया है.
उन्होंने राज्य तथा इसके शासकों को अपमानित किया है,
उन्होंने उन सभी को धूल में ला छोड़ा है.
उन्होंने उग्र क्रोध में इस्राएल के
समस्त बल को निरस्त कर दिया है.
उन्होंने उनके ऊपर से अपना सुरक्षा देनेवाला दायां हाथ खींच लिया है,
जब शत्रु उनके समक्ष आ खड़ा हुआ था.
वह याकोब में प्रचंड अग्नि बन जल उठे
जिससे उनके निकटवर्ती सभी कुछ भस्म हो गया.
एक शत्रु के सदृश उन्होंने अपना धनुष खींचा;
एक विरोधी के सदृश उनका दायां हाथ तत्पर हो गया.
ज़ियोन की पुत्री के शिविर में ही
उन सभी का संहार कर दिया;
जो हमारी दृष्टि में मनभावने थे
उन्होंने अपने कोप को अग्नि-सदृश उंडेल दिया.
हमारे प्रभु ने एक शत्रु का स्वरूप धारण कर लिया है;
उन्होंने इस्राएल को निगल लिया है.
उन्होंने समस्त राजमहलों को मिटा दिया है
और इसके समस्त गढ़ नगरों को उन्होंने नष्ट कर दिया है.
यहूदिया की पुत्री
में उन्होंने विलाप एवं रोना बढ़ा दिया है.
अपनी कुटीर को उन्होंने ऐसे उजाड़ दिया है, मानो वह एक उद्यान कुटीर था;
उन्होंने अपने मिलने के स्थान को नष्ट कर डाला है.
याहवेह ने ज़ियोन के लिए उत्सव
तथा शब्बाथ2:6 शब्बाथ सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है विस्मृत करने की स्थिति ला दी है;
उन्होंने अपने प्रचंड कोप में सम्राट
तथा पुरोहित को घृणास्पद बना दिया है.
हमारे प्रभु को अब अपनी ही वेदी से घृणा हो गई है
और उन्होंने पवित्र स्थान का त्याग कर दिया है.
राजमहल की दीवारें
अब शत्रु के अधीन हो गई है;
याहवेह के भवन में कोलाहल उठ रहा है
मानो यह कोई निर्धारित उत्सव-अवसर है.
यह याहवेह का संकल्प था कि
ज़ियोन की पुत्री की दीवारें तोड़ी जाएं.
मापक डोरी विस्तीर्ण कर विनाश के लिए
उन्होंने अपने हाथों को न रोका.
परिणामस्वरूप किलेबंदी तथा दीवार विलाप करती रही;
वे वेदना-विलाप में एकजुट हो गईं.
उसके प्रवेश द्वार भूमि में धंस गए;
उन्होंने उसकी सुरक्षा छड़ों को तोड़कर नष्ट कर दिया है.
उसके राजा एवं शासक अब राष्ट्रों में हैं,
नियम-व्यवस्था अब शून्य रह गई है,
अब उसके भविष्यवक्ताओं को याहवेह की
ओर से प्रकाशन प्राप्त ही नहीं होता.
ज़ियोन की पुत्री के पूर्वज
भूमि पर मौन बैठे हुए हैं;
उन्होंने अपने सिर पर धूल डाल रखी है
तथा उन्होंने टाट पहन ली है.
येरूशलेम की युवतियों के
सिर भूमि की ओर झुके हैं.
रोते-रोते मेरे नेत्र अपनी ज्योति खो चुके हैं,
मेरे उदर में मंथन हो रहा है;
मेरा पित्त भूमि पर बिखरा पड़ा है;
इसके पीछे मात्र एक ही कारण है; मेरी प्रजा की पुत्री का सर्वनाश,
नगर की गलियों में
मूर्च्छित पड़े हुए शिशु एवं बालक.
वे अपनी-अपनी माताओं के समक्ष रोकर कह रहे हैं,
“कहां है हमारा भोजन, कहां है हमारा द्राक्षारस?”
वे नगर की गली में
घायल योद्धा के समान पड़े हैं,
अपनी-अपनी माताओं की गोद में
पड़े हुए उनका जीवन प्राण छोड़ रहे है.
येरूशलेम की पुत्री,
क्या कहूं मैं तुमसे,
किससे करूं मैं तुम्हारी तुलना?
ज़ियोन की कुंवारी कन्या,
तुम्हारी सांत्वना के लक्ष्य से
किससे करूं मैं तुम्हारा साम्य?
तथ्य यह है कि तुम्हारा विध्वंस महासागर के सदृश व्यापक है.
अब कौन तुम्हें चंगा कर सकता है?
तुम्हारे भविष्यवक्ताओं ने तुम्हारे लिए व्यर्थ
तथा झूठा प्रकाशन देखा है;
उन्होंने तुम्हारी पापिष्ठता को प्रकाशित नहीं किया,
कि तुम्हारी समृद्धि पुनःस्थापित हो जाए.
किंतु वे तुम्हारे संतोष के लिए ऐसे प्रकाशन प्रस्तुत करते रहें,
जो व्यर्थ एवं भ्रामक थे.
वे सब जो इस ओर से निकलते हैं
तुम्हारी स्थिति को देखकर उपहास करते हुए;
येरूशलेम की पुत्री पर
सिर हिलाते तथा विचित्र ध्वनि निकालते हैं:
वे विचार करते हैं, “क्या यही है वह नगरी,
जो परम सौन्दर्यवती
तथा समस्त पृथ्वी का उल्लास थी?”
तुम्हारे सभी शत्रु तुम्हारे लिए अपमानपूर्ण शब्दों का प्रयोग करते हुए;
विचित्र ध्वनियों के साथ दांत पीसते हुए उच्च स्वर में घोषणा करते हैं,
“देखो, देखो! हमने उसे निगल लिया है! आह, कितनी प्रतीक्षा की है हमने इस दिन की;
निश्चयतः आज वह दिन आ गया है आज वह हमारी दृष्टि के समक्ष है.”
याहवेह ने अपने लक्ष्य की पूर्ति कर ही ली है;
उन्होंने अपनी पूर्वघोषणा की निष्पत्ति कर दिखाई;
वह घोषणा, जो उन्होंने दीर्घ काल पूर्व की थी.
जिस रीति से उन्होंने तुम्हें फेंक दिया उसमें थोड़ी भी करुणा न थी,
उन्होंने शत्रुओं के सामर्थ्य को ऐसा विकसित कर दिया,
कि शत्रु तुम्हारी स्थिति पर उल्लसित हो रहे हैं.
ज़ियोन की पुत्री की दीवार
उच्च स्वर में अपने प्रभु की दोहाई दो.
दिन और रात्रि
अपने अश्रुप्रवाह को उग्र जलधारा-सदृश
प्रवाहित करती रहो;
स्वयं को कोई राहत न दो,
और न तुम्हारी आंखों को आराम.
उठो, रात्रि में दोहाई दो,
रात्रि प्रहर प्रारंभ होते ही;
जल-सदृश उंडेल दो अपना हृदय
अपने प्रभु की उपस्थिति में.
अपनी संतान के कल्याण के लिए
अपने हाथ उनकी ओर बढ़ाओ,
उस संतान के लिए, जो भूख से
हर एक गली के मोड़ पर मूर्छित हो रही है.
“याहवेह, ध्यान से देखकर विचार कीजिए:
कौन है वह, जिसके साथ आपने इस प्रकार का व्यवहार किया है?
क्या यह सुसंगत है कि स्त्रियां अपने ही गर्भ के फल को आहार बनाएं,
जिनका उन्होंने स्वयं ही पालन पोषण किया है?
क्या यह उपयुक्त है कि पुरोहितों एवं भविष्यवक्ताओं का संहार
हमारे प्रभु के पवित्र स्थान में किया जाए?
“सड़क की धूलि में
युवाओं एवं वृद्धों के शव पड़े हुए हैं;
मेरे युवक, युवतियों का संहार
तलवार से किया गया है.
अपने कोप-दिवस में
आपने उनका निर्दयतापूर्वक संहार कर डाला है.
“आपने तो मेरे आतंकों का आह्वान चारों ओर से इस ढंग से किया,
मानो आप इन्हें किसी उत्सव का आमंत्रण दे रहे हैं.
यह सब याहवेह के कोप के दिन हुआ है,
इसमें कोई भी बचकर शेष न रह सका;
ये वे सब थे, जिनका आपने अपनी गोद में रखकर पालन पोषण किया था,
मेरे शत्रुओं ने उनका सर्वनाश कर दिया है.”
मैं वह व्यक्ति हूं,
जिसने याहवेह के कोप-दण्ड में पीड़ा का साक्षात अनुभव किया है.
उन्होंने हकालते हुए मुझे घोर अंधकार में डाल दिया है
कहीं थोड़ा भी प्रकाश दिखाई नहीं देता;
निश्चयतः बार-बार, सारे दिन
उनका कठोर हाथ मेरे विरुद्ध सक्रिय बना रहता है.
मेरा मांस तथा मेरी त्वचा गलते जा रहे हैं
और उन्होंने मेरी अस्थियों को तोड़ दिया है.
उन्होंने मुझे पकड़कर कष्ट
एवं कड़वाहट में लपेट डाला है.
उन्होंने मुझे इस प्रकार अंधकार में रहने के लिए छोड़ दिया है
मानो मैं दीर्घ काल से मृत हूं.
उन्होंने मेरे आस-पास दीवार खड़ी कर दी है, कि मैं बचकर पलायन न कर सकूं;
उन्होंने मुझे भारी बेड़ियों में बांध रखा है.
मैं सहायता की दोहाई अवश्य देता हूं,
किंतु वह मेरी पुकार को अवरुद्ध कर देते हैं.
उन्होंने मेरे मार्गों को पत्थर लगाकर बाधित कर दिया है;
उन्होंने मेरे मार्गों को विकृत बना दिया है.
वह एक ऐसा रीछ है, ऐसा सिंह है,
जो मेरे लिए घात लगाए हुए बैठा है,
मुझे भटका कर मुझे टुकड़े-टुकड़े कर डाला
और उसने मुझे निस्सहाय बना छोड़ा है.
उन्होंने अपना धनुष चढ़ाया
तथा मुझे अपने बाणों का लक्ष्य बना लिया.
अपने तरकश से बाण लेकर
उन्होंने उन बाणों से मेरा हृदय बेध दिया.
सभी के लिए अब तो मैं उपहास पात्र हूं;
सारे दिन उनके व्यंग्य-बाण मुझ पर छोड़े जाते हैं.
उन्होंने मुझे कड़वाहट से भर दिया है
उन्होंने मुझे नागदौने से सन्तृप्त कर रखा है.
उन्होंने मुझे कंकड़ों पर दांत चलाने के लिए विवश कर दिया है;
मुझे भस्म के ढेर में जा छिपने के लिए विवश कर दिया है.
शांति ने मेरी आत्मा का साथ छोड़ दिया है;
मुझे तो स्मरण ही नहीं रहा कि सुख-आनन्द क्या होता है.
इसलिये मुझे यही कहना पड़ रहा है,
“न मुझमें धैर्य शेष रहा है और न ही याहवेह से कोई आशा.”
स्मरण कीजिए मेरी पीड़ा और मेरी भटकन,
वह नागदौन तथा वह कड़वाहट.
मेरी आत्मा को इसका स्मरण आता रहता है,
मेरा मनोबल शून्य हुआ जा रहा है.
मेरी आशा मात्र इस स्मृति के
आधार पर जीवित है:
याहवेह का करुणा-प्रेम3:22 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये सब शामिल हैं, के ही कारण हम भस्म नही होते!
कभी भी उनकी कृपा का ह्रास नहीं होता.
प्रति प्रातः वे नए पाए जाते हैं;
महान है आपकी विश्वासयोग्यता.
मेरी आत्मा इस तथ्य की पुष्टि करती है, “याहवेह मेरा अंश हैं;
इसलिये उनमें मेरी आशा रखूंगा.”
याहवेह के प्रिय पात्र वे हैं, जो उनके आश्रित हैं,
वे, जो उनके खोजी हैं;
उपयुक्त यही होता है कि हम धीरतापूर्वक
याहवेह द्वारा उद्धार की प्रतीक्षा करें.
मनुष्य के लिए हितकर यही है
कि वह आरंभ ही से अपना जूआ उठाए.
वह एकाकी हो शांतिपूर्वक इसे स्वीकार कर ले,
जब कभी यह उस पर आ पड़ता है.
वह अपना मुख धूलि पर ही रहने दे—
आशा कभी मृत नहीं होती.
वह अपना गाल उसे प्रस्तुत कर दे, जो उस प्रहार के लिए तैयार है,
वह समस्त अपमान स्वीकार कर ले.
प्रभु का परित्याग
चिरस्थायी नहीं हुआ करता.
यद्यपि वह पीड़ा के कारण तो हो जाते हैं, किंतु करुणा का सागर भी तो वही हैं,
क्योंकि अथाह होता है उनका करुणा-प्रेम.
पीड़ा देना उनका सुख नहीं होता
न ही मनुष्यों को यातना देना उनका आनंद होता है.
पृथ्वी के समस्त
बंदियों का दमन,
परम प्रधान की उपस्थिति
में न्याय-वंचना,
किसी की न्याय-दोहाई में
की गई विकृति में याहवेह का समर्थन कदापि नहीं होता?
यदि स्वयं प्रभु ने कोई घोषणा न की हो,
तो किसमें यह सामर्थ्य है, कि जो कुछ उसने कहा है, वह पूरा होगा?
क्या यह तथ्य नहीं कि अनुकूल अथवा प्रतिकूल,
जो कुछ घटित होता है, वह परम प्रधान के बोलने के द्वारा ही होता है?
भला कोई जीवित मनुष्य
अपने पापों के दंड के लिए परिवाद कैसे कर सकता है?
आइए हम अपनी नीतियों का परीक्षण करें
तथा अपने याहवेह की ओर लौट चलें:
आइए हम अपने हृदय एवं अपनी बांहें परमेश्वर की ओर उन्मुख करें
तथा अपने हाथ स्वर्गिक परमेश्वर की ओर उठाएं:
“हमने अपराध किए हैं, हम विद्रोही हैं,
आपने हमें क्षमा प्रदान नहीं की है.
“आपने स्वयं को कोप में भरकर हमारा पीछा किया;
निर्दयतापूर्वक हत्यायें की हैं.
आपने स्वयं को एक मेघ में लपेट रखा है,
कि कोई भी प्रार्थना इससे होकर आप तक न पहुंच सके.
आपने हमें राष्ट्रों के मध्य कीट
तथा कूड़ा बना छोड़ा है.
“हमारे सभी शत्रु बेझिझक
हमारे विरुद्ध निंदा के शब्द उच्चार रहे हैं.
आतंक, जोखिम, विनाश
तथा विध्वंस हम पर आ पड़े हैं.”
मेरी प्रजा के इस विनाश के कारण
मेरे नेत्रों के अश्रुप्रवाह नदी सदृश हो गए हैं.
बिना किसी विश्रान्ति
मेरा अश्रुपात होता रहेगा,
जब तक स्वर्ग से
याहवेह इस ओर दृष्टिपात न करेंगे.
अपनी नगरी की समस्त पुत्रियों की नियति ने
मेरे नेत्रों को पीड़ित कर रखा है.
उन्होंने, जो अकारण ही मेरे शत्रु हो गए थे,
पक्षी सदृश मेरा अहेर किया है.
उन्होंने तो मुझे गड्ढे में झोंक
मुझ पर पत्थर लुढ़का दिए हैं;
जब जल सतह मेरे सिर तक पहुंचने लगी,
मैं विचार करने लगा, अब मैं मिट जाऊंगा.
गड्ढे से मैंने,
याहवेह आपकी दोहाई दी.
आपने मेरी इस दोहाई सुन ली है:
“मेरी विमुक्ति के लिए की गई मेरी पुकार की ओर से,
अपने कान बंद न कीजिए.”
जब मैंने आपकी दोहाई दी, आप निकट आ गए;
आपने आश्वासन दिया, “डरो मत.”
प्रभु आपने मेरा पक्ष लेकर;
मेरे जीवन को सुरक्षा प्रदान की है.
याहवेह, आपने वह अन्याय देख लिया है, जो मेरे साथ किया गया है.
अब आप मेरा न्याय कीजिए!
उनके द्वारा लिया गया बदला आपकी दृष्टि में है,
उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्यंत्र आपको ज्ञात हैं.
याहवेह, आपने उनके द्वारा किए गए व्यंग्य सुने हैं,
उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्यंत्र आपको ज्ञात हैं—
मेरे हत्यारों के हृदय में सारे दिन जो विचार उभरते हैं
होंठों से निकलते हैं, मेरे विरुद्ध ही होते हैं.
आप ही देख लीजिए, उनका उठना-बैठना,
मैं ही हूं उनका व्यंग्य-गीत.
याहवेह, उनके कृत्यों के अनुसार,
उन्हें प्रतिफल तो आप ही देंगे.
आप उनके हृदय पर आवरण डाल देंगे,
उन पर आपका शाप प्रभावी हो जाएगा!
याहवेह, आप अपने स्वर्गलोक से
उनका पीछा कर उन्हें नष्ट कर देंगे.
सोना खोटा कैसे हो गया,
सोने में खोट कैसे!
हर एक गली के मोड़ पर
पवित्र पत्थर बिखरे पड़े हैं.
ज़ियोन के वे उत्कृष्ट पुत्र,
जिनका मूल्य उत्कृष्ट स्वर्ण के तुल्य है,
अब मिट्टी के पात्रों-सदृश कुम्हार की
हस्तकृति माने जा रहे हैं!
सियार अपने बच्चों को
स्तनपान कराती है,
किंतु मेरी प्रजा की पुत्री क्रूर हो चुकी है,
मरुभूमि के शुतुरमुर्गों के सदृश.
अतिशय तृष्णा के कारण दूधमुंहे शिशु की जीभ
उसके तालू से चिपक गई है;
बालक भोजन की याचना करते हैं,
किंतु कोई भी भोजन नहीं दे रहा.
जिनका आहार उत्कृष्ट भोजन हुआ करता था,
आज गलियों में नष्ट हुए जा रहे हैं.
जिनके परिधान बैंगनी वस्त्र हुआ करते थे,
आज भस्म में बैठे हुए हैं.
मेरी प्रजा की पुत्री पर पड़ा अधर्म
सोदोम के दंड से कहीं अधिक प्रचंड है,
किसी ने हाथ तक नहीं लगाया
और देखते ही देखते उसका सर्वनाश हो गया.
उस नगरी के शासक तो हिम से अधिक विशुद्ध,
दुग्ध से अधिक श्वेत थे,
उनकी देह मूंगे से अधिक गुलाबी,
उनकी देह रचना नीलम के सौंदर्य से भी अधिक उत्कृष्ट थी.
अब उन्हीं के मुखमंडल श्यामवर्ण रह गए हैं;
मार्ग चलते हुए उन्हें पहचानना संभव नहीं रहा.
उनकी त्वचा सिकुड़ कर अस्थियों से चिपक गई है;
वह काठ-सदृश शुष्क हो चुकी है.
वे ही श्रेष्ठतर कहे जाएंगे, जिनकी मृत्यु तलवार प्रहार से हुई थी,
उनकी अपेक्षा, जिनकी मृत्यु भूख से हुई;
जो घुल-घुल कर कूच कर गए
क्योंकि खेत में उपज न हो सकी थी.
ये उन करुणामयी माताओं के ही हाथ थे,
जिन्होंने अपनी ही संतान को अपना आहार बना लिया,
जब मेरी प्रजा की पुत्री विनाश के काल में थी
ये बालक उनका आहार बनाए गए थे.
याहवेह ने अपने कोप का प्रवाह पूर्णतः
निर्बाध छोड़ दिया.
उन्होंने अपना भड़का कोप उंडेल दिया और फिर उन्होंने ज़ियोन में ऐसी अग्नि प्रज्वलित कर दी,
जिसने इसकी नीवों को ही भस्म कर दिया.
न तो संसार के राजाओं को,
और न ही पृथ्वी के निवासियों को इसका विश्वास हुआ,
कि विरोधी एवं शत्रु येरूशलेम के
प्रवेश द्वारों से प्रवेश पा सकेगा.
इसका कारण था उसके भविष्यवक्ताओं के पाप
तथा उसके पुरोहितों की पापिष्ठता,
जिन्होंने नगर के मध्य ही
धर्मियों का रक्तपात किया था.
अब वे नगर की गलियों में दृष्टिहीनों-सदृश भटक रहे हैं;
वे रक्त से ऐसे दूषित हो चुके हैं
कि कोई भी उनके वस्त्रों को
स्पर्श करने का साहस नहीं कर पा रहा.
उन्हें देख लोग चिल्ला उठते है, “दूर, दूर अशुद्ध!
दूर, दूर! मत छूना उसे!”
अब वे छिपते, भागते भटक रहे हैं,
राष्ट्रों में सभी यही कहते फिरते हैं,
“अब वे हमारे मध्य में निवास नहीं कर सकते.”
उन्हें तो याहवेह ने ही इस तरह बिखरा दिया है;
अब वे याहवेह के कृपापात्र नहीं रह गए.
न तो पुरोहित ही सम्मान्य रह गए हैं,
और न ही पूर्वज किसी कृपा के योग्य.
हमारे नेत्र दृष्टिहीन हो गए,
सहायता की आशा व्यर्थ सिद्ध हुई;
हमने उस राष्ट्र से सहायता की आशा की थी,
जिसमें हमारी सहायता की क्षमता ही न थी.
उन्होंने इस रीति से हमारा पीछा करना प्रारंभ कर दिया,
कि मार्ग पर हमारा आना-जाना दूभर हो गया;
हमारी मृत्यु निकट आती गई, हमारा जीवनकाल सिमटता चला गया,
वस्तुतः हमारा जीवन समाप्त ही हो गया था.
वे, जो हमारा पीछा कर रहे थे,
उनकी गति आकाशगामी गरुड़ों से भी द्रुत थी;
उन्होंने पर्वतों तक हमारा पीछा किया
और निर्जन प्रदेश में वे हमारी घात में रहे.
याहवेह द्वारा अभिषिक्त, हमारे जीवन की सांस
उनके फन्दों में जा फंसे.
हमारा विचार तो यह रहा था,
कि उनकी छत्रछाया में हम राष्ट्रों के मध्य निवास करते रहेंगे.
एदोम की पुत्री, तुम, जो उज़ देश में निवास करती हो,
हर्षोल्लास में मगन हो जाओ.
प्याला तुम तक भी पहुंचेगा;
तुम मदोन्मत्त होकर पूर्णतः निर्वस्त्र हो जाओगी.
ज़ियोन की पुत्री, निष्पन्न हो गया तुम्हारी पापिष्ठता का दंड;
अब वह तुम्हें निर्वासन में रहने न देंगे.
किंतु एदोम की पुत्री, वह तुम्हारी पापिष्ठता को दंडित करेंगे,
वह तुम्हारे पाप प्रकट कर सार्वजनिक कर देंगे.
याहवेह, स्मरण कीजिए हमने क्या-क्या सहा है;
हमारी निंदा पर ध्यान दीजिए.
हमारा भाग अपरिचितों को दिया गया है,
परदेशियों ने हमारे आवास अपना लिए हैं.
हम अनाथ एवं पितृहीन हो गए हैं,
हमारी माताओं की स्थिति विधवाओं के सदृश हो चुकी है.
यह आवश्यक है कि हम पेय जल के मूल्य का भुगतान करें;
जो काठ हमें दिया जाता है, उसका क्रय किया जाना अनिवार्य है.
वे जो हमारा पीछा कर रहे हैं, हमारे निकट पहुंच चुके हैं;
हम थक चुके हैं, हमें विश्राम प्राप्त न हो सका है.
पर्याप्त भोजन के लिए हमने मिस्र तथा अश्शूर
की अधीनता स्वीकार कर ली है.
पाप तो उन्होंने किए, जो हमारे पूर्वज थे, और वे कूच कर गए अब हम हैं,
जो उनकी पापिष्ठता का सम्वहन कर रहे हैं.
जो कभी हमारे दास थे, आज हमारे शासक बने हुए हैं,
कोई भी नहीं, जो हमें उनकी अधीनता से विमुक्त करे.
अपने प्राणों का जोखिम उठाकर हम अपने भोजन की व्यवस्था करते हैं,
क्योंकि निर्जन प्रदेश में तलवार हमारे पीछे लगी रहती है.
दुर्भिक्ष की ऊष्मा ने हमारी त्वचा ऐसी कालिगर्द हो गई है,
मानो यह तंदूर है.
ज़ियोन में स्त्रियां भ्रष्ट कर दी गई हैं,
यहूदिया के नगरों की कन्याएं.
शासकों को उनके हाथों से लटका दिया गया है;
पूर्वजों को कोई सम्मान नहीं दिया जा रहा.
युवाओं को चक्की चलाने के लिए बाध्य किया जा रहा है;
किशोर लट्ठों के बोझ से लड़खड़ा रहे हैं.
प्रौढ़ नगर प्रवेश द्वार से नगर छोड़ जा चुके हैं;
युवाओं का संबंध संगीत से टूट चुका है.
हमारे हृदय में अब कोई उल्लास न रहा है;
नृत्य की अभिव्यक्ति अब विलाप हो गई है.
हमारे सिर का मुकुट धूल में जा पड़ा है.
धिक्कार है हम पर, हमने पाप किया है!
परिणामस्वरूप हमारे हृदय रुग्ण हो गए हैं,
इन्हीं से हमारे नेत्र धुंधले हो गए हैं
इसलिये कि ज़ियोन पर्वत निर्जन हो चुका है,
वहां लोमड़ियों को विचरण करते देखा जा सकता है.
किंतु याहवेह, आपका शासन चिरकालिक है;
पीढ़ी से पीढ़ी तक आपका सिंहासन स्थायी रहता है.
आपने हमें सदा के लिए विस्मृत क्यों कर दिया है?
आपका यह परित्याग इतना दीर्घकालीन क्यों?
हमसे अपने संबंध पुनःस्थापित कर लीजिए, कि हमारी पुनःस्थापना हो जाए;
याहवेह, वही पूर्वयुग लौटा लाइए
हां, यदि आपने पूर्णतः हमारा परित्याग नहीं किया है
तथा आप हमसे अतिशय नाराज नहीं हो गए हैं.