- Biblica® Open Hindi Contemporary Version (Updated 2021) प्रेरितों प्रेरितों के काम प्रेरितों प्रेरि प्रेरितों के काम परिचय थियोफ़िलॉस महोदय, मेरे पहले अभिलेख का विषय था मसीह येशु की शिक्षाएं और उनके द्वारा शुरू किए गए वे काम, जो उन्होंने अपने चुने हुए प्रेरितों को पवित्र आत्मा के निर्देश में दिए गए आदेशों के बाद स्वर्ग में स्वीकार कर लिए जाने तक किए. मसीह येशु इन प्रेरितों के सामने अपने प्राणों के अंत तक की यातना के बाद अनेक अटल सबूतों के साथ चालीस दिन स्वयं को जीवित प्रकट करते रहे तथा परमेश्वर के राज्य संबंधी विषयों का वर्णन करते रहे. एक दिन मसीह येशु ने उन्हें इकट्ठा कर आज्ञा दी, “येरूशलेम उस समय तक न छोड़ना, जब तक मेरे पिता (परमेश्वर) द्वारा की गई प्रतिज्ञा, जिसका वर्णन मैं कर चुका हूं, पूरी न हो जाए. योहन तो जल में बपतिस्मा देते थे किंतु शीघ्र ही तुमको पवित्र आत्मा में बपतिस्मा दिया जाएगा.” इसलिये जब वे सब वहां उपस्थित थे, उन्होंने प्रभु से प्रश्न किया, “प्रभु, क्या आप अब इस समय इस्राएल राज्य की दोबारा स्थापना करेंगे?” “पिता के अधिकार में तय तिथियों या युगों के पूरे ज्ञान की खोज करना तुम्हारा काम नहीं है,” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा के तुम पर उतरने पर तुम्हें सामर्थ्य प्राप्‍त होगा और तुम येरूशलेम, सारे यहूदिया, शमरिया तथा पृथ्वी के दूर-दूर तक के क्षेत्रों में मेरे गवाह होगे.” इस वक्तव्य के पूरा होते ही प्रेरितों के देखते-देखते मसीह येशु स्वर्ग में स्वीकार कर लिए गए तथा एक बादल ने उन्हें उनकी दृष्टि से ओझल कर दिया. जब वे आकाश में दृष्टि गड़ाए हुए मसीह येशु को स्वर्ग में जाते हुए देख रहे थे, एकाएक सफ़ेद वस्त्रों में दो व्यक्ति उनके पास प्रकट हो कहने लगे, “गलीली पुरुषों, आकाश की ओर ऐसे क्यों ताक रहे हो? यह येशु, जो देखते-देखते तुम्हारे मध्य से स्वर्ग में स्वीकार कर लिए गए हैं, ठीक इसी प्रकार दोबारा आएंगे, जिस प्रकार तुमने उन्हें स्वर्ग में स्वीकार होते हुए देखा है.” येरूशलेम कलीसिया तब वे उस पहाड़ी से, जिसे ज़ैतून पर्वत भी कहा जाता है, येरूशलेम लौट गए. यह स्थान येरूशलेम से लगभग एक किलोमीटर दूरी1:12 एक किलोमीटर दूरी मूल में एक शब्बाथ दिन की दूरी पर है. नगर में पहुंचकर वे ऊपर के कमरे में इकट्ठा हो गए, जहां वे रह रहे थे. वहां पेतरॉस, योहन, याकोब, आन्द्रेयास, फ़िलिप्पॉस, थोमॉस, बारथोलोमेयॉस, मत्तियाह, हलफ़ेयॉस के पुत्र याकोब, शिमओन ज़ेलोतेस तथा याकोब के पुत्र यहूदाह उपस्थित थे. ये सभी वहां नियमित रूप से सच्चाई के साथ एक मन होकर, मसीह येशु की माता मरियम, उनके भाइयों तथा अन्य स्त्रियों के साथ प्रार्थना के लिए इकट्ठा होने लगे. तब एक दिन, जब लगभग एक सौ बीस विश्वासी इकट्ठा थे, पेतरॉस उनके बीच खड़े होकर कहने लगे, “प्रिय भाई बहिनो, मसीह येशु को पकड़वाने के लिए अगुआ यहूदाह, के विषय में दावीद के माध्यम से पवित्र आत्मा के द्वारा कहा गया पवित्र शास्त्र का वचन पूरा होना ज़रूरी था. वह हममें से एक तथा सेवा के कार्य में सहभागी था.” अधर्म की कमाई से उसने भूमि मोल ली. वहां वह सिर के बल ऐसा गिरा कि उसका पेट फट गया तथा उसकी सारी आंतें बाहर बिखर गईं. सारे येरूशलेम में यह समाचार फैल गया. यही कारण है कि वह भूमि अब उन्हीं की भाषा में हकलदमा अर्थात् लहू-भूमि के नाम से बदनाम हो गई है. “भजन में वर्णन है: “ ‘उसकी भूमि उजाड़ हो जाए; तथा उसमें कोई बसने न पाए,’1:20 स्तोत्र 69:25; 109:8 तथा यह भी, “ ‘कोई अन्य उसका पद ले ले.’ इसलिये यह ज़रूरी है कि एक ऐसे व्यक्ति को चुना जाए, जो प्रभु येशु मसीह के कार्यों के सारे समय का गवाह है. मसीह येशु को योहन द्वारा बपतिस्मा दिए जाने से लेकर उनके स्वर्ग में स्वीकार किए जाने तक—यह व्यक्ति हमारे साथ मसीह येशु के पुनरुत्थान का गवाह बने.” इसलिये दो नाम सुझाए गए: योसेफ़ जिसे बारसब्बास के नाम से जाना जाता है, जिसका उपनाम था युस्तस तथा दूसरा व्यक्ति मत्तियास. तब उन्होंने यह प्रार्थना की, “हे मनों को जांचनेवाले प्रभु, हम पर यह साफ़ कीजिए कि इन दोनों में से आपने किसे चुना है कि वह इस सेवा के कार्य और प्रेरितों की वह खाली जगह ले, जिससे मुक्त होकर यहूदाह अपने ठहराए हुए स्थान पर चला गया.” तब उन्होंने चिट डालें और मत मत्तियास के पक्ष में पड़े, इसलिये वह ग्यारह प्रेरितों में सम्मिलित कर लिया गया. पेन्तेकॉस्त पर्व पर पवित्र आत्मा का उतरना यहूदियों के पेन्तेकॉस्त पर्व2:1 पेन्तेकॉस्त पर्व फ़सह के बाद का पचासवां दिन; यह वह दिन था जब यहूदी लोग फसल के पर्व मनाते थे. निर्ग 34:22; लेवी 23:15-22 के दिन, जब शिष्य एक स्थान पर इकट्ठा थे, सहसा आकाश से तेज आंधी जैसी आवाज उस कमरे में फैल गई, जहां वे सब बैठे थे. तब उनके सामने ऐसी ज्वाला प्रकट हुई जिसका आकार जीभ के समान था, जो अलग होकर उनमें से प्रत्येक व्यक्ति पर जाकर ठहरती गई. वे सभी पवित्र आत्मा से भरकर पवित्र आत्मा द्वारा दी गई अन्य भाषाओं में बातें करने लगे. उस समय आकाश के नीचे के हर एक देश से आए श्रद्धालु यहूदी येरूशलेम में ही ठहरे हुए थे. इस कोलाहल को सुनकर वहां भीड़ इकट्ठा हो गईं. वे सभी आश्चर्यचकित हो गए क्योंकि वे सभी हर एक को अपनी निज भाषा में बातें करते हुए सुन रहे थे. अचंभित हो वे एक दूसरे से पूछ रहे थे, “क्या ये सभी गलीलवासी नहीं हैं? तब यह क्या हो रहा है, जो हममें से हर एक विदेशी इन्हें हमारी अपनी-अपनी मातृभाषा में बातें करते हुए सुन रहा है! पारथी, मादी, इलामी और मेसोपोतामियावासि, यहूदिया तथा कप्पादोकिया, पोन्तॉस तथा आसिया, फ़्रिजिया, पम्फ़ूलिया, मिस्र, और लिबियावासी, जो क्रेते के आस-पास है; रोमी के रहनेवाले यहूदी तथा दीक्षित यहूदी, क्रेती तथा अरबी, सभी अपनी-अपनी मातृभाषा में इनके मुख से परमेश्वर के पराक्रम के विषय में सुन रहे हैं!” चकित और घबराकर वे एक दूसरे से पूछ रहे थे, “यह क्या हो रहा है?” किंतु कुछ अन्य ठट्ठा कर कह रहे थे, “इन्होंने कुछ अधिक मधु ही पी रखी है.” भीड़ को पेतरॉस का संबोधन तब ग्यारह के साथ पेतरॉस ने खड़े होकर ऊंचे शब्द में कहना प्रारंभ किया: “यहूदियावासियों तथा येरूशलेम वासियों, आपके लिए इस विषय को समझना अत्यंत आवश्यक है; इसलिये मेरी बातों को ध्यानपूर्वक सुनिए: जैसा आप समझ रहे हैं, ये व्यक्ति नशे में नहीं हैं क्योंकि यह दिन का तीसरा ही घंटा है! वस्तुत, यह योएल भविष्यवक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति है: “ ‘यह परमेश्वर की आवाज है, मैं अपना आत्मा सब लोगों पर उंडेलूंगा. तुम्हारे बेटे और बेटियां भविष्यवाणी करेंगे, तुम्हारे बुज़ुर्ग लोग स्वप्न देखेंगे, तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे. मैं उन दिनों में अपने दास, और दासियों, पर अपना आत्मा उंडेल दूंगा, और वे भविष्यवाणी करेंगे. मैं ऊपर आकाश में अद्भुत चमत्कार और नीचे पृथ्वी पर लहू, आग और धुएं के बादल के अद्भुत चिह्न दिखाऊंगा. प्रभु के उस वैभवशाली और वर्णनीय दिन के पूर्व सूर्य अंधेरा और चंद्रमा लहू समान हो जाएगा. तथा हर एक, जो प्रभु को पुकारेगा, उद्धार प्राप्‍त करेगा.’2:21 योए 2:28-32 “इस्राएली प्रियजन, ध्यान से सुनिए! नाज़रेथवासी2:22 मत्ति 2:23 मसीह येशु को, जिन्हें आप जानते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने आपके मध्य सामर्थ्य के कामों, चमत्कारों तथा चिह्नों के द्वारा प्रकट किया, परमेश्वर की निर्धारित योजना तथा पूर्व ज्ञान में आपके हाथों में अधर्मियों की सहायता से सौंप दिया गया कि उन्हें क्रूस-मृत्युदंड दिया जाए; किंतु परमेश्वर ने उन्हें मृत्यु के दर्द से छुड़ाकर मरे हुओं में से जीवित कर दिया क्योंकि यह असंभव था कि मृत्यु उन्हें अपने बंधन में रख सके. दावीद ने उनके विषय में कहा था: “मैं सर्वदा प्रभु को निहारता रहा क्योंकि वह मेरी दायीं ओर हैं, कि मैं लड़खड़ा न जाऊं. इसलिये मेरा हृदय आनंदित और मेरी जीभ मगन हुई; इसके अलावा मेरा शरीर भी आशा में बना रहेगा, क्योंकि आप न तो मेरी आत्मा को अधोलोक में छोड़ेंगे और न अपने पवित्र जन के शव को सड़ने देंगे. आपने मुझ पर जीवन का मार्ग प्रकट कर दिया. आप मुझे अपनी उपस्थिति में आनंद से भर देंगे.2:28 स्तोत्र 16:8-11 “प्रियजन, पूर्वज दावीद के विषय में यह बिलकुल सच है कि उनकी मृत्यु हुई तथा उनके शव को कब्र में भी रखा गया. वह कब्र आज भी वहीं है. इसलिये उनके भविष्यवक्ता होने के कारण तथा इसलिये भी कि उन्हें यह मालूम था कि परमेश्वर ने शपथ ली थी कि उन्हीं का एक वंशज सिंहासन पर बैठाया जाएगा, होनेवाली घटनाओं को साफ़-साफ़ देखते हुए दावीद ने मसीह येशु के पुनरुत्थान का वर्णन किया कि मसीह येशु न तो अधोलोक में छोड़ दिए गए और न ही उनके शव को सड़न ने स्पर्श किया. इन्हीं मसीह येशु को परमेश्वर ने मरे हुओं में से उठाकर जीवित किया. हम इस सच्चाई के प्रत्यक्ष साक्षी हैं. परमेश्वर की दायीं ओर सर्वोच्च पद पर बैठकर, पिता से प्राप्‍त पवित्र आत्मा लेकर उन्होंने हम पर उंडेल दिया, जो आप स्वयं देख और सुन रहे हैं. यद्यपि दावीद उस समय स्वर्ग नहीं पहुंचे थे तौभी उन्होंने स्वयं कहा था, “ ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा: “मेरी दायीं ओर बैठे रहो मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे अधीन करूंगा.”2:35 स्तोत्र 110:1 “इसलिये सारा इस्राएल निश्चित रूप से यह जान ले कि इन्हीं येशु को, जिन्हें तुम लोगों ने क्रूसित किया परमेश्वर ने प्रभु और मसीह पद से सम्मानित किया.” इस बात ने उनके हृदयों को छेद दिया. उन्होंने पेतरॉस और शेष प्रेरितों से जानना चाहा, “प्रियजन, अब हमारे लिए क्या करना सही है?” पेतरॉस ने उत्तर दिया, “पश्चाताप कीजिए तथा आप में से हर एक मसीह येशु के नाम में पाप क्षमा का बपतिस्मा ले—आपको दान के रूप में पवित्र आत्मा मिलेगा; क्योंकि यह प्रतिज्ञा आपके, आपकी संतान और उन सबके लिए भी है, जो अभी दूर-दूर हैं तथा परमेश्वर जिनको अपने पास बुलाने पर हैं.” पेतरॉस ने अनेक तर्क प्रस्तुत करते हुए उनसे विनती की, “स्वयं को इस टेढ़ी पीढ़ी से बचाए रखिए.” जितनों ने पेतरॉस के प्रवचन को स्वीकार किया, उन्होंने बपतिस्मा लिया. उस दिन लगभग तीन हज़ार व्यक्ति उनमें शामिल हो गए. नए विश्वासियों की घनिष्ठ एकता वे सभी लगातार प्रेरितों की शिक्षा के प्रति समर्पित होकर, पारस्परिक संगति, प्रभु-भोज की क्रिया और प्रार्थना में लीन रहने लगे. प्रेरितों द्वारा किए जा रहे अद्भुत काम तथा अद्भुत चिह्न सभी के लिए आश्चर्य का विषय बन गए थे. मसीह के सभी विश्वासी घनिष्ठ एकता में रहने लगे तथा उनकी सब वस्तुओं पर सबका एक सा अधिकार था. वे अपनी संपत्ति बेचकर, जिनके पास कम थी उनमें बांटने लगे. हर रोज़ वे मंदिर के आंगन में एक मन हो नियमित रूप से इकट्ठा होते, भोजन के लिए एक दूसरे के घर में निर्मल भाव से आनंदपूर्वक सामूहिक रूप से भोजन करते तथा परमेश्वर का गुणगान करते थे. वे सभी की प्रसन्‍नता के भागी थे. परमेश्वर इनमें दिन-प्रतिदिन उनको मिलाते जा रहे थे, जो उद्धार प्राप्‍त कर रहे थे. पेतरॉस द्वारा अपंग को चंगाई एक दिन नवें घंटे पर, जो प्रार्थना का निर्धारित समय था, पेतरॉस और योहन मंदिर जा रहे थे. उसी समय जन्म से अपंग एक व्यक्ति को भी वहां ले जाया जा रहा था, जिसे प्रतिदिन मंदिर के ओरियन अर्थात् सुंदर नामक द्वार पर छोड़ दिया जाता था कि वह वहां प्रवेश करते व्यक्तियों से भिक्षा विनती कर सके. पेतरॉस और योहन को प्रवेश करते देख उसने उनसे भीख मांगी. पेतरॉस तथा योहन ने उसकी ओर सीधे, एकटक देखते हुए कहा, “हमारी ओर देखो.” उनसे कुछ पाने की आशा में वह उन्हें ताकने लगा. पेतरॉस ने उससे कहा, “चांदी और सोना तो मेरे पास है नहीं किंतु मैं तुम्हें वह देता हूं, जो मेरे पास है: नाज़रेथ के मसीह येशु के नाम में स्वस्थ हो जाओ और चलने लगो.” यह कहते हुए उन्होंने उसका दायां हाथ पकड़कर उसे उठाया. उसी क्षण उसके पांवों तथा टखनों में बल-संचार हुआ, वह उछलकर खड़ा हो गया और चलने लगा. उसने उनके साथ चलते, उछलते-कूदते, परमेश्वर का गुणगान करते हुए मंदिर में प्रवेश किया. वहां सभी ने उसे चलते फिरते और परमेश्वर का गुणगान करते हुए देखा. यह जानकर कि यह वही भिक्षुक है, जो मंदिर के सुंदर नामक द्वार पर बैठा करता था, वे उसमें यह परिवर्तन देख अचंभित और चकित रह गए. भीड़ को पेतरॉस का भाषण वह पेतरॉस और योहन का साथ छोड़ ही नहीं रहा था. वहां उपस्थित चकित भीड़ दौड़ती हुई उनके पास आकर शलोमोन के ओसारे में इकट्ठी होने लगी. यह देख पेतरॉस, उन्हें संबोधित कर कहने लगे: “इस्राएली बंधुओं, आप इस व्यक्ति या हम पर इतने चकित क्यों हैं? हमें ऐसे क्यों देख रहे हैं मानो हमने ही इसे अपने सामर्थ्य और भक्ति के द्वारा चलने योग्य बनाया है? अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब के परमेश्वर, हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने अपने सेवक मसीह येशु को गौरवान्वित किया, जिन्हें आप लोगों ने अस्वीकार करते हुए पिलातॉस के हाथों में सौंप दिया—जबकि पिलातॉस ने उन्हें छोड़ देने का निश्चय कर लिया था. आप लोगों ने एक पवित्र और धर्मी व्यक्ति को अस्वीकार कर एक हत्यारे को छुड़ा देने की विनती की. तथा आपने जीवन के रचनेवाले को मार डाला, जिन्हें परमेश्वर ने मरे हुओं में से जीवित कर दिया. हम इसके प्रत्यक्ष साक्षी हैं. मसीह येशु के नाम में विश्वास के कारण इस व्यक्ति में, जिसे आप जानते हैं, जिसे आप इस समय देख रहे हैं, बल-संचार हुआ है. यह व्यक्ति मसीह येशु के नाम में सशक्त किया गया और मसीह येशु में विश्वास के द्वारा पूरे रूप से स्वस्थ हुआ है, जैसा कि आप स्वयं देख सकते हैं. “प्रियजन, मैं यह जानता हूं कि आपने मसीह येशु के विरुद्ध यह सब अज्ञानता के कारण किया है, ठीक जैसा आपके शासकों ने भी किया था. किंतु परमेश्वर ने सभी भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा यह पहले से ही घोषणा कर दी थी कि उनके मसीह के लिए यह यातना निर्धारित है. यह उसी की पूर्ति है. इसलिये पश्चाताप कीजिए, परमेश्वर की ओर मन फिराइए कि आपके पाप मिटा दिए जाएं, जिसके फलस्वरूप प्रभु की ओर से आपके लिए विश्राम और शांति का समय आ जाए और वह मसीह येशु को, जो आपके लिए पहले से ठहराए गए मसीह हैं, भेज दें, जिनका स्वर्ग के द्वारा स्वीकार किया जाना निश्चित है, जब तक परमेश्वर द्वारा हर एक वस्तु की पुनःस्थापना का समय न आ जाए, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने प्राचीन काल में अपने भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से की थी. मोशेह ने यह घोषणा की थी: ‘प्रभु, तुम्हारे परमेश्वर, तुम्हारे बीच में, तुम्हारे ही लोगों में से तुम्हारे लिए मेरे समान एक भविष्यवक्ता को उठाएंगे. तुम उसी के आदेशों का पालन करोगे. तथा हर एक, जो उसके आदेशों को अनसुना करे, तुम्हारे बीच से पूरी तरह नाश कर दिया जाए.’3:23 निर्ग 18:15, 18, 19 “शमुएल भविष्यवक्ता से लेकर उनके बादवाले सभी भविष्यद्वक्ताओं द्वारा भी इन्हीं दिनों के विषय में घोषणा की गई है. तुम सब उन भविष्यद्वक्ताओं तथा उस वाचा की संतान हो, जिसकी स्थापना परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों के साथ अब्राहाम से यह कहते हुए की थी.3:25 उत्प 22:18; 26:4 परमेश्वर ने अपने सेवक को मरे हुओं में से उठाकर सबसे पहले तुम्हारे पास भेज दिया कि वह तुममें से प्रत्येक को तुम्हारी बुराइयों से फेरकर आशीष प्रदान करें.” महासभा के सामने पेतरॉस तथा योहन जब वे भीड़ को संबोधित कर ही रहे थे, कि अचानक पुरोहित गण, मंदिर रखवालों का प्रधान तथा सदूकी उनके पास आ पहुंचे. वे अत्यंत क्रोधित थे क्योंकि प्रेरित भीड़ को शिक्षा देते हुए मसीह येशु में मरे हुओं के जी उठने की घोषणा कर रहे थे. उन्होंने उन्हें बंदी बनाकर अगले दिन तक के लिए कारागार में डाल दिया क्योंकि दिन ढल चुका था. उनके संदेश को सुनकर अनेकों ने विश्वास किया, जिनकी संख्या लगभग पांच हज़ार तक पहुंच गई. अगले दिन यहूदियों के राजा, पुरनिये और शास्त्री येरूशलेम में इकट्ठा थे. वहां महापुरोहित हन्‍ना, कायाफ़स, योहन, अलेक्सान्दरॉस तथा महायाजकीय वंश के सभी सदस्य इकट्ठा थे. उन्होंने प्रेरितों को सबके बीच खड़ा कर प्रश्न करना प्रारंभ कर दिया: “तुमने किस अधिकार से या किस नाम में यह किया है?” तब पवित्र आत्मा से भरकर पेतरॉस ने उत्तर दिया: “सम्माननीय राजागण और समाज के पुरनियों! यदि आज हमारा परीक्षण इसलिये किया जा रहा है कि एक अपंग का कल्याण हुआ है और इसलिये कि यह व्यक्ति किस प्रक्रिया द्वारा स्वस्थ हुआ है, तो आप सभी को तथा, सभी इस्राएल राष्ट्र को यह मालूम हो कि यह सब नाज़रेथवासी, मसीह येशु के द्वारा किया गया है, जिन्हें आपने क्रूस का मृत्यु दंड दिया, किंतु जिन्हें परमेश्वर ने मरे हुओं में से दोबारा जीवित किया. आज उन्हीं के नाम के द्वारा स्वस्थ किया गया-यह व्यक्ति आपके सामने खड़ा है. मसीह येशु ही वह चट्टान हैं “ ‘जिन्हें आप भवन निर्माताओं ने ठुकरा कर अस्वीकृत कर दिया, जो कोने का प्रधान पत्थर बन गए.’4:11 स्तोत्र 118:22 उद्धार किसी अन्य में नहीं है क्योंकि आकाश के नीचे मनुष्यों के लिए दूसरा कोई नाम दिया ही नहीं गया जिसके द्वारा हमारा उद्धार हो.” पेतरॉस तथा योहन का यह साहस देख और यह जानकर कि वे दोनों अनपढ़ और साधारण व्यक्ति हैं, वे चकित रह गए. उन्हें धीरे धीरे यह याद आया कि ये वे हैं, जो मसीह येशु के साथी रहे हैं. किंतु स्वस्थ हुए व्यक्ति की उपस्थिति के कारण वे कुछ न कह सके; उन्होंने उन्हें सभागार से बाहर जाने की आज्ञा दी. तब वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “हम इनके साथ क्या करें? यह तो स्पष्ट है कि इनके द्वारा एक असाधारण चमत्कार अवश्य हुआ है और यह येरूशलेम निवासियों को भी मालूम हो चुका है. इस सच को हम नकार नहीं सकते. किंतु लोगों में इस समाचार का और अधिक प्रसार न हो, हम इन्हें यह चेतावनी दें कि अब वे किसी से भी इस नाम का वर्णन करते हुए बातचीत न करें.” तब उन्होंने उन्हें भीतर बुलाकर आज्ञा दी कि वे न तो येशु नाम का वर्णन करें और न ही उसके विषय में कोई शिक्षा दें. किंतु पेतरॉस और योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “आप स्वयं निर्णय कीजिए कि परमेश्वर की दृष्टि में उचित क्या है: आपकी आज्ञा का पालन या परमेश्वर की आज्ञा का. हमसे तो यह हो ही नहीं सकता कि जो कुछ हमने देखा और सुना है उसका वर्णन न करें.” इस पर यहूदी प्रधानों ने उन्हें दोबारा धमकी देकर छोड़ दिया. उन्हें यह सूझ ही नहीं रहा था कि उन्हें किस आधार पर दंड दिया जाए क्योंकि सभी लोग इस घटना के लिए परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे. उस व्यक्ति की उम्र, जो अद्भुत रूप से स्वस्थ हुआ था, चालीस वर्ष से अधिक थी. सताहट के समय प्रेरितों की प्रार्थना मुक्त होने पर प्रेरितों ने अपने साथियों को जा बताया कि प्रधान पुरोहितों और पुरनियों ने उनसे क्या-क्या कहा था. यह विवरण सुनकर उन सबने एक मन हो ऊंचे शब्द में परमेश्वर से प्रार्थना की: “परम प्रधान प्रभु, आप ही हैं जिन्होंने स्वर्ग, पृथ्वी, समुद्र और इनमें निवास कर रहे प्राणियों की सृष्टि की है. आपने ही पवित्र आत्मा से अपने सेवक, हमारे पूर्वज दावीद के द्वारा कहा: “ ‘राष्ट्र क्रोधित क्यों होते हैं जातियां व्यर्थ योजनाएं क्यों करती हैं? पृथ्वी के राजागण मोर्चा बांधते और शासकलोग प्रभु के विरुद्ध और उनके अभिषिक्त के विरुद्ध एकजुट हो उठ खड़े होते हैं.4:26 स्तोत्र 2:1, 2 यह एक सच्चाई है कि इस नगर में हेरोदेस तथा पोन्तियॉस पिलातॉस दोनों ही इस्राएलियों तथा गैर-यहूदियों के साथ मिलकर आपके द्वारा अभिषिक्त, आपके पवित्र सेवक मसीह येशु के विरुद्ध एकजुट हो गए कि जो कुछ आपके सामर्थ्य और उद्देश्य के अनुसार पहले से निर्धारित था, वही हो. प्रभु, उनकी धमकियों की ओर ध्यान दीजिए और अपने दासों को यह सामर्थ्य दीजिए कि वे आपके वचन का प्रचार बिना डर के कर सकें जब आप अपने सामर्थ्यी स्पर्श के द्वारा चंगा करते तथा अपने पवित्र सेवक मसीह येशु के द्वारा अद्भुत चिह्नों का प्रदर्शन करते जाते हैं.” उनकी यह प्रार्थना समाप्‍त होते ही वह भवन, जिसमें वे इकट्ठा थे, थरथरा गया और वे सभी पवित्र आत्मा से भर गए और बिना डर के परमेश्वर के संदेश का प्रचार करने लगे. शिष्यों का धन शिष्यों के इस समुदाय में सभी एक मन और एक प्राण थे. कोई भी अपने धन पर अपना अधिकार नहीं जताता था. उन सभी का धन एक में मिला हुआ था. प्रेरितगण असाधारण सामर्थ्य के साथ प्रभु येशु मसीह के दोबारा जी उठने की गवाही दिया करते थे और परमेश्वर का असीम अनुग्रह उन पर बना था. उनमें कोई भी निर्धन नहीं था क्योंकि उनमें जो खेतों व मकानों के स्वामी थे, अपनी संपत्ति बेचकर उससे प्राप्‍त धनराशि लाते और प्रेरितों के चरणों में रख देते थे, जिसे ज़रूरत के अनुसार निर्धनों में बांट दिया जाता था. योसेफ़ नामक एक सैप्रसवासी लेवी थे, जिन्हें प्रेरितों द्वारा बारनबास नाम दिया गया था, जिसका अर्थ है प्रोत्साहन का पुत्र, उन्होंने अपनी भूमि को बेच दिया और उससे प्राप्‍त धन लाकर प्रेरितों के चरणों में रख दिया. हननयाह और सफ़ीरा की धोखेबाज़ी हननयाह नामक एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी सफ़ीरा के साथ मिलकर अपनी संपत्ति का एक भाग बेचा तथा अपनी पत्नी की पूरी जानकारी में प्राप्‍त राशि का एक भाग अपने लिए रखकर शेष ले जाकर प्रेरितों के चरणों में रख दिया. पेतरॉस ने उससे प्रश्न किया, “हननयाह, यह क्या हुआ, जो शैतान ने तुम्हारे हृदय में पवित्र आत्मा से झूठ बोलने का विचार डाला है और तुमने अपनी बेची हुई भूमि से प्राप्‍त राशि का एक भाग अपने लिए रख लिया? क्या बेचे जाने के पूर्व वह भूमि तुम्हारी ही नहीं थी? और उसके बिक जाने पर क्या प्राप्‍त धनराशि पर तुम्हारा ही अधिकार न था? तुम्हारे मन में इस बुरे काम का विचार कैसे आया? तुमने मनुष्यों से नहीं परंतु परमेश्वर से झूठ बोला है.” यह शब्द सुनते ही हननयाह भूमि पर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई. जितनों ने भी इस घटना के विषय में सुना उन सब पर आतंक छा गया. युवाओं ने आकर उसे कफ़न में लपेटा और बाहर ले जाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इस घटनाक्रम से पूरी तरह अनजान उसकी पत्नी भी लगभग तीन घंटे के अंतर में वहां आई. पेतरॉस ने उससे प्रश्न किया, “यह बताओ, क्या तुम दोनों ने उस भूमि इतने में ही बेची थी?” उसने उत्तर दिया, “जी हां, इतने में ही.” इस पर पेतरॉस ने उससे कहा, “क्या कारण है कि तुम दोनों ने प्रभु के आत्मा को परखने का दुस्साहस किया? जिन्होंने तुम्हारे पति की अंत्येष्टि की है, वे बाहर द्वार पर हैं, जो तुम्हें भी ले जाएंगे.” उसी क्षण वह उनके चरणों पर गिर पड़ी. उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे. जब युवक भीतर आए तो उसे मृत पाया. इसलिये उन्होंने उसे भी ले जाकर उसके पति के पास गाड़ दिया. सारी कलीसिया में तथा जितनों ने भी इस घटना के विषय में सुना, सभी में भय समा गया. प्रेरितों द्वारा अनेकों को चंगाई प्रेरितों द्वारा लोगों के मध्य अनेक अद्भुत चिह्न दिखाए जा रहे थे और मसीह के सभी विश्वासी एक मन होकर शलोमोन के ओसारे में इकट्ठा हुआ करते थे. यद्यपि लोगों की दृष्टि में प्रेरित अत्यंत सम्मान्य थे, उनके समूह में मिलने का साहस कोई नहीं करता था. फिर भी, अधिकाधिक संख्या में स्त्री-पुरुष प्रभु में विश्वास करते चले जा रहे थे. विश्वास के परिणामस्वरूप लोग रोगियों को उनके बिछौनों सहित लाकर सड़कों पर लिटाने लगे कि कम से कम उस मार्ग से जाते हुए पेतरॉस की छाया ही उनमें से किसी पर पड़ जाए. बड़ी संख्या में लोग येरूशलेम के आस-पास के नगरों से अपने रोगी तथा दुष्टात्माओं के सताये परिजनों को लेकर आने लगे और वे सभी चंगे होते जाते थे. प्रेरितों पर सताहट तथा अद्भुत छुटकारा परिणामस्वरूप महापुरोहित तथा उसके साथ सदूकी संप्रदाय के बाकी सदस्य जलन से भर गए. उन्होंने प्रेरितों को बंदी बनाकर कारागार में बंद कर दिया. किंतु रात के समय प्रभु के एक दूत ने कारागार के द्वार खोलकर उन्हें बाहर निकालकर उनसे कहा, “जाओ, मंदिर के आंगन में जाकर लोगों को इस नए जीवन का पूरा संदेश दो.” इस पर वे प्रातःकाल मंदिर में जाकर शिक्षा देने लगे. महापुरोहित तथा उनके मंडल के वहां इकट्ठा होने पर उन्होंने समिति का अधिवेशन आमंत्रित किया. इसमें इस्राएल की महासभा को भी शामिल किया गया और आज्ञा दी गई कि कारावास में बंदी प्रेरित उनके सामने प्रस्तुत किए जाएं किंतु उन अधिकारियों ने प्रेरितों को वहां नहीं पाया. उन्होंने लौटकर उन्हें यह समाचार दिया, “वहां जाकर हमने देखा कि कारागार के द्वार पर ताला वैसा ही लगा हुआ है और वहां प्रहरी भी खड़े हुए थे, किंतु द्वार खोलने पर हमें कक्ष में कोई भी नहीं मिला.” इस समाचार ने मंदिर के प्रधान रक्षक तथा प्रधान पुरोहितों को घबरा दिया. वे विचार करने लगे कि इस परिस्थिति का परिणाम क्या होगा. जब वे इसी उधेड़-बुन में थे, किसी ने आकर उन्हें बताया कि जिन्हें कारागार में बंद किया गया था, वे तो मंदिर में लोगों को शिक्षा दे रहे हैं. यह सुन मंदिर का प्रधान रक्षक अपने अधिकारियों के साथ वहां जाकर प्रेरितों को महासभा के सामने ले आया. जनता द्वारा पथराव किए जाने के भय से अधिकारियों ने उनके साथ कोई बल प्रयोग नहीं किया. उनके वहां उपस्थित किए जाने पर महापुरोहित ने उनसे पूछताछ शुरू की, “हमने तुम्हें कड़ी आज्ञा दी थी कि इस नाम में अब कोई शिक्षा मत देना, पर देखो, तुमने तो येरूशलेम को अपनी शिक्षा से भर दिया है, और तुम इस व्यक्ति की हत्या का दोष हम पर मढ़ने के लिए निश्चय कर चुके हो.” पेतरॉस तथा प्रेरितों ने इसका उत्तर दिया, “हम तो मनुष्यों की बजाय परमेश्वर के ही आज्ञाकारी रहेंगे. हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित कर दिया, जिनकी आप लोगों ने काठ पर लटकाकर हत्या कर दी, जिन्हें परमेश्वर ने अपनी दायीं ओर सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता के पद पर बैठाया कि वह इस्राएल को पश्चाताप और पाप क्षमा प्रदान करें. हम इन घटनाओं के गवाह हैं—तथा पवित्र आत्मा भी, जिन्हें परमेश्वर ने अपनी आज्ञा माननेवालों को दिया है.” यह सुन वे तिलमिला उठे और उनकी हत्या की कामना करने लगे. किंतु गमालिएल नामक फ़रीसी5:34 फ़रीसी यहूदियों के एक संप्रदाय जो कानून-व्यवस्था के सख्त पालन में विश्वास करता था ने, जो व्यवस्था के शिक्षक और जनसाधारण में सम्मानित थे, महासभा में खड़े होकर आज्ञा दी कि प्रेरितों को सभाकक्ष से कुछ देर के लिए बाहर भेज दिया जाए. तब गमालिएल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “इस्राएली बंधुओं, भली-भांति विचार कर लीजिए कि आप इनके साथ क्या करना चाहते हैं. कुछ ही समय पूर्व थद्देयॉस ने कुछ होने का दावा किया था और चार सौ व्यक्ति उसके साथ हो लिए. उसकी हत्या कर दी गई और उसके अनुयायी तितर-बितर होकर नाश हो गए. इसके बाद गलीलवासी यहूदाह ने जनगणना के अवसर पर सिर उठाया और लोगों को भरमा दिया. वह भी मारा गया और उसके अनुयायी भी तितर-बितर हो गए. इसलिये इनके विषय में मेरी सलाह यह है कि आप इन्हें छोड़ दें और इनसे दूर ही रहें क्योंकि यदि इनके कार्य की उपज और योजना मनुष्य की ओर से है तो यह अपने आप ही विफल हो जाएगी; मगर यदि यह सब परमेश्वर की ओर से है तो आप उन्हें नाश नहीं कर पाएंगे—ऐसा न हो कि इस सिलसिले में आप स्वयं को परमेश्वर का ही विरोध करता हुआ पाएं.” महासभा ने गमालिएल का विचार स्वीकार कर लिया. उन्होंने प्रेरितों को कक्ष में बुलवाकर कोड़े लगवाए, और उन्हें यह आज्ञा दी कि वे अब से येशु के नाम में कुछ न कहें और फिर उन्हें मुक्त कर दिया. प्रेरित महासभा से आनंद मनाते हुए चले गए कि उन्हें मसीह येशु के कारण अपमान-योग्य तो समझा गया. वे प्रतिदिन नियमित रूप से मंदिर प्रांगण में तथा घर-घर जाकर यह प्रचार करते तथा यह शिक्षा देते रहे कि येशु ही वह मसीह हैं. सात सेवकों का चुना जाना उस समय, जब इस मत के शिष्यों की संख्या में बहुत वृद्धि हो रही थी, यूनानी भाषी यहूदी इब्री भाषी यहूदियों के विरुद्ध यह शिकायत लाए कि दैनिक भोजन बांटने में उनकी विधवाओं की उपेक्षा की जा रही थी. इस पर बारहों प्रेरितों ने सभी शिष्यों की सभा आयोजित कर उनसे कहा: “हमारे लिए यह ठीक नहीं है कि हम परमेश्वर के वचन की उपेक्षा कर दूसरों की सेवा में समय लगाएं. इसलिये भाई बहिनो, अपने में से सात ऐसे व्यक्तियों को चुन लो, जिनके विषय में यह सबको मालूम हो कि वे पवित्र आत्मा और बुद्धि से भरपूर हैं. हम यह ज़िम्मेदारी उन्हीं को सौंप देंगे किंतु स्वयं हम प्रार्थना, वचन के प्रचार तथा शिक्षा देने के प्रति समर्पित रहेंगे.” सारी सभा ने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया. उन्होंने स्तेफ़ानॉस, जो विश्वास और पवित्र आत्मा से भरकर थे, फ़िलिप्पॉस, प्रोकॉरॉस, निकानोर, तिमॉन, परमिनास तथा यहूदी मत में हाल ही में शामिल हुए अंतियोख़वासी निकोलॉस को चुन लिया. इन्हें वे प्रेरितों के सामने लाए. उन्होंने चुने हुए व्यक्तियों के लिए प्रार्थना की और उन पर हाथ रखकर उन्हें सेवा के लिए अधिकार दिया. परमेश्वर का वचन फैलता चला गया, येरूशलेम में शिष्यों की संख्या में अपार वृद्धि होती गई तथा अनेक पुरोहितों ने भी इस विश्वासमत को स्वीकार कर लिया. स्तेफ़ानॉस का बंदी बनाया जाना अनुग्रह और सामर्थ्य से भरकर स्तेफ़ानॉस लोगों के बीच में असाधारण अद्भुत चिह्न दिखा रहे थे. इसी समय लिबर्तीन सभागृह से सम्बद्ध कुछ सदस्य, जो मूल रूप से कुरेना, अलेक्सान्द्रिया, किलिकिया और आसिया प्रदेशों के निवासी थे, आकर स्तेफ़ानॉस से वाद-विवाद करने लगे. वे स्तेफ़ानॉस की बुद्धिमत्ता तथा पवित्र आत्मा से प्रेरित बातों का सामना करने में विफल रहे. इसलिये उन्होंने गुप्‍त रूप से कुछ लोगों को यह कहने के लिए फुसलाया, “हमने इसे मोशेह तथा परमेश्वर के विरुद्ध निंदनीय शब्दों का प्रयोग करते हुए सुना है.” उन्होंने स्तेफ़ानॉस के विरुद्ध जनता, पुरनियों, तथा शास्त्रियों को उकसाया और उन्होंने आकर स्तेफ़ानॉस को बंदी बनाया और उन्हें महासभा के सामने ले गए. वहां उन्होंने झूठे गवाह प्रस्तुत किए जिन्होंने स्तेफ़ानॉस पर यह आरोप लगाया, “यह व्यक्ति निरंतर इस पवित्र स्थान और व्यवस्था के विरुद्ध बोलता रहता है. हमने इसे यह कहते भी सुना है कि नाज़रेथवासी येशु इस स्थान को नाश कर देगा तथा उन सभी प्रथाओं को बदल देगा, जो हमें मोशेह द्वारा सौंपी गई हैं.” महासभा के सब सदस्य स्तेफ़ानॉस को एकटक देख रहे थे. उन्हें उनका मुखमंडल स्वर्गदूत के समान दिखाई दिया. महासभा को स्तेफ़ानॉस का संबोधन महापुरोहित ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यह आरोप सच है?” स्तेफ़ानॉस ने उसे उत्तर दिया, “आदरणीय गुरुवर और बंधुओं,” कृपया सुनिए: महामहिम परमेश्वर ने हमारे पूर्वज अब्राहाम को उनके हारान प्रदेश में आकर बसने के पूर्व, जब वह मेसोपोतामिया में थे, दिव्य दर्शन देते हुए आज्ञा दी: अपने पिता के घर तथा अपने रिश्तेदारों को छोड़कर उस देश को चला जा, जो मैं तुझे दिखाऊंगा.7:3 उत्प 12:1 “इसलिये वह कसदियों के देश को छोड़कर हारान नगर में बस गए. इसके बाद उनके पिता की मृत्यु के बाद, परमेश्वर उन्हें इस भूमि पर ले आए जिस पर आप निवास कर रहे हैं. परमेश्वर ने उन्हें इस भूभाग का कोई उत्तराधिकार नहीं दिया; यहां तक कि पैर रखने का भी स्थान नहीं. किंतु परमेश्वर ने उनके उस समय निःसंतान होने पर भी उनसे यह प्रतिज्ञा की कि उनके बाद वह उनके वंशजों को यह भूमि उनकी संपत्ति के रूप में प्रदान करेंगे. तब परमेश्वर ने अब्राहाम से कहा, ‘यह सच है तुम्हारे वंश के लोग पराए देश में परदेशी होकर रहेंगे, जहां उन्हें दास बना लिया जाएगा, और उन्हें चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे.7:6 उत्प 15:13 फिर जिस देश के वे दास होंगे, उस देश के लोगों को मैं दंड दूंगा, फिर तुम्हारे वंश के लोग वहां से बहुत धन लेकर निकलेंगे.’7:7 उत्प 15:13-14 परमेश्वर ने अब्राहाम के साथ ख़तना की वाचा स्थापित की. जब अब्राहाम के पुत्र यित्सहाक का जन्म हुआ, तो आठवें दिन उनका ख़तना किया गया. यित्सहाक के पुत्र थे याकोब और याकोब से बारह गोत्रपिता पैदा हुए. “जलन के कारण गोत्रपिताओं ने योसेफ़ को मिस्र देश में बेच दिया किंतु परमेश्वर की कृपादृष्टि योसेफ़ पर बनी रही. इसलिये परमेश्वर ने योसेफ़ को सभी यातनाओं से मुक्त कर उन्हें बुद्धि प्रदान की और मिस्र देश के राजा फ़रोह की कृपादृष्टि प्रदान की तथा फ़रोह ने उन्हें मिस्र देश और पूरे राजमहल पर अधिकारी बना दिया. “तब सारे मिस्र और कनान देश में अकाल पड़ा जिससे हर जगह हाहाकार मच गया और हमारे पूर्वजों के सामने भोजन का अभाव हो गया. किंतु जब याकोब को यह मालूम हुआ कि मिस्र देश में अन्‍न उपलब्ध है, उन्होंने हमारे पूर्वजों को अन्‍न लेने वहां भेजा, जिनकी यह पहली मिस्र की यात्रा थी. जब वे अन्‍न लेने वहां दूसरी बार गए, योसेफ़ ने स्वयं को अपने भाइयों पर प्रकट कर दिया, जिससे फ़रोह योसेफ़ के परिवार से परिचित हो गया. तब योसेफ़ ने अपने पिता और सारे परिवार को, जिनकी संख्या पचहत्तर थी, मिस्र देश में बुला लिया. तब याकोब मिस्र देश में बस गए और वहीं उनकी और हमारे पूर्वजों की मृत्यु हुई. उनके अवशेष शेकेम नगर लाए गए तथा उन्हें अब्राहाम द्वारा मोल ली गई कंदरा-क़ब्र में रखा गया, जिसे अब्राहाम ने शेकेम नगर के निवासी हामोर के पुत्रों को दाम देकर खरीदा था. “जब परमेश्वर द्वारा अब्राहाम से की गई प्रतिज्ञा को पूरी करने का समय आया तब मिस्र देश में हमारे पूर्वजों की संख्या में कई गुणा वृद्धि हो चुकी थी. उस समय मिस्र में एक नया राजा बना, जो योसेफ़ को नहीं जानता था.7:18 निर्ग 1:8 उसने हमारे पूर्वजों के साथ चालाकी से बुरा व्यवहार किया और नवजात शिशुओं को नाश करने के लिए विवश किया कि एक भी शिशु बचा न रहे. “इसी काल में मोशेह का जन्म हुआ. वह परमेश्वर की दृष्टि में चाहने योग्य थे. तीन माह तक उनका पालन पोषण उनके पिता के ही परिवार में हुआ. जब उनको छुपाए रखना असंभव हो गया, तब फ़रोह की पुत्री उन्हें ले गई. उसने उनका पालन पोषण अपने पुत्र जैसे किया. मिस्र देश की सारी विद्या में मोशेह को प्रशिक्षित किया गया. वह बातचीत और कर्तव्य-पालन करने में प्रभावशाली थे. “जब मोशेह लगभग चालीस वर्ष के हुए, उनके मन में अपने इस्राएली बंधुओं से भेंट करने का विचार आया. वहां उन्होंने एक इस्राएली के साथ अन्याय से भरा व्यवहार होते देख उसकी रक्षा की तथा सताए जानेवाले के बदले में मिस्रवासी की हत्या कर दी. उनका विचार यह था कि उनके इस काम के द्वारा इस्राएली यह समझ जाएंगे कि परमेश्वर स्वयं उन्हीं के द्वारा इस्राएलियों को मुक्त करा रहे हैं किंतु ऐसा हुआ नहीं. दूसरे दिन जब उन्होंने आपस में लड़ते हुए दो इस्राएलियों के मध्य यह कहते हुए मेल-मिलाप का प्रयास किया, ‘तुम भाई-भाई हो, क्यों एक दूसरे को आहत करना चाह रहे हो?’ “उस अन्याय करनेवाले इस्राएली ने मोशेह को धक्का देते हुए कहा, ‘किसने तुम्हें हम पर राजा और न्याय करनेवाला ठहराया है? कहीं तुम्हारा मतलब कल उस मिस्री जैसे मेरी भी हत्या का तो नहीं है? बोलो!’7:28 निर्ग 2:14 यह सुन मोशेह वहां से भाग खड़े हुए और मिदियान देश में परदेशी होकर रहने लगे. वहां उनके दो पुत्र पैदा हुए. “चालीस वर्ष व्यतीत होने पर सीनाय पर्वत के बंजर भूमि में एक जलती हुई कंटीली झाड़ी आग की लौ में उन्हें एक स्वर्गदूत दिखाई दिया. इस दृश्य ने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया. जब वह इसे नज़दीकी से देखने के उद्देश्य से झाड़ी के पास गए तो परमेश्वर ने उनसे कहा: ‘मैं तुम्हारे पूर्वजों के पिता अर्थात् अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब का परमेश्वर हूं.’7:32 निर्ग 3:6 मोशेह भय से कांपने लगे और ऊपर आंख उठाने का साहस न कर सके. “प्रभु ने मोशेह से कहा, अपनी पैरों से जूते उतार दो, क्योंकि यह स्थान, जिस पर तुम खड़े हो, पवित्र है. मिस्र देश में मेरी प्रजा पर हो रहा अत्याचार मैंने अच्छी तरह से देखा है. ‘मैंने उनका कराहना भी सुना है. मैं उन्हें मुक्त कराने नीचे उतर आया हूं. सुनो, मैं तुम्हें मिस्र देश भेजूंगा.’7:34 निर्ग 3:5, 7, 8, 10 “यह वही मोशेह हैं, जिन्हें इस्राएलियों ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था, ‘किसने तुम्हें हम पर राजा और न्याय करनेवाला ठहराया है?’ परमेश्वर ने उन्हीं को उस स्वर्गदूत द्वारा, जो झाड़ी में उन्हें दिखाई दिया था, राजा तथा छुड़ाने वाला ठहराकर भेज दिया. यह वही मोशेह थे, जिन्होंने उनका नायक होकर उन्हें बाहर निकाला और मिस्र देश, लाल सागर तथा चालीस वर्ष बंजर भूमि में अद्भुत चिह्न दिखाते हुए उनका मार्गदर्शन किया. “यही थे वह मोशेह, जिन्होंने इस्राएल की संतान के सामने यह घोषणा पहले से ही की थी, ‘तुम्हारे ही देशवासियों में से परमेश्वर मेरे ही समान एक भविष्यवक्ता को उठाएंगे.’7:37 व्यव 18:15 यह वही हैं, जो बंजर भूमि में इस्राएली समुदाय में उस स्वर्गदूत के साथ मौजूद थे, जिसने उनसे सीनाय पर्वत पर बातें की और जो हमारे पूर्वजों के साथ थे तथा मोशेह ने तुम्हें सौंप देने के लिए जिनसे जीवित वचन प्राप्‍त किए. “हमारे पूर्वज उनके आज्ञापालन के इच्छुक नहीं थे. वे मन ही मन मिस्र देश की कामना करने लगे. वे हारोन से कहते रहे, ‘हमारे आगे-आगे जाने के लिए देवताओं को स्थापित करो. इस मोशेह की, जो हमें मिस्र साम्राज्य से बाहर लेकर आया है, कौन जाने क्या हुआ!’7:40 निर्ग 32:1 तब उन्होंने बछड़े की एक मूर्ति बनाई, उसे बलि चढ़ाई तथा अपने हाथों के कामों पर उत्सव मनाने लगे. इससे परमेश्वर ने उनसे मुंह मोड़कर उन्हें आकाश के नक्षत्रों की उपासना करने के लिए छोड़ दिया, जैसा भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख में लिखा है: “ ‘हे इस्राएल के वंशजों, निर्जन प्रदेश में चालीस साल तक क्या तुमने मुझे बलिदान और भेंट चढ़ाया? तुमने देवता मोलेक की वेदी की स्थापना की, अपने देवता रेफ़ान के तारे को ऊंचा किया और उन्हीं की मूर्तियों को आराधना के लिए स्थापित किया. इसलिये मैं तुम्हें बाबेल से दूर निकाल ले जाऊंगा.’7:43 आमो 5:25-27 “बंजर भूमि में गवाही का तंबू हमारे पूर्वजों के पास था.7:44 निर्ग 25:22 इसका निर्माण ठीक-ठीक परमेश्वर द्वारा मोशेह को दिए गए निर्देश के अनुसार किया गया था, जिसका आकार स्वयं मोशेह देख चुके थे. हमारे पूर्वज इस गवाही के तंबू को यहोशू के नेतृत्व में अपने साथ उस भूमि पर ले आए, जिसे उन्होंने अपने अधिकार में ले लिया था और जहां से परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों के सामने से राष्ट्रों को निकाल दिया था. ऐसा दावीद के समय तक रहा. दावीद पर परमेश्वर की कृपादृष्टि थी. दावीद ने उनसे याकोब के परमेश्वर के लिए एक निवास स्थान बनाने की आज्ञा चाही. किंतु इस भवन का निर्माण शलोमोन द्वारा किया गया. “सच तो यह है कि, परम प्रधान परमेश्वर मनुष्य के हाथ से बने भवन में वास नहीं करते. भविष्यवक्ता की घोषणा है: “ ‘स्वर्ग मेरा सिंहासन तथा पृथ्वी मेरे पैरों की चौकी है. किस प्रकार का घर बनाओगे तुम मेरे लिए? परमेश्वर का कहना है, या कहां होगा मेरा विश्राम स्थान? क्या ये सभी मेरे ही हाथों की रचना नहीं?’7:50 यशा 66:1, 2 “आप, जो हठीले हृदय और कान के ख़तना रहित लोग हैं, हमेशा पवित्र आत्मा का विरोध करते रहते हैं. आप ठीक वही कर रहे हैं, जो आपके पूर्वजों ने किया. क्या कभी भी कोई ऐसा भविष्यवक्ता हुआ है, जिसे आपके पूर्वजों ने सताया न हो? यहां तक कि उन्होंने तो उन भविष्यद्वक्ताओं की हत्या भी कर दी जिन्होंने उस धर्मी जन के आगमन की पहले से ही घोषणा की थी. यहां उसी की हत्या करके आप लोग विश्वासघाती और हत्यारे बन गए हैं. आप वही हैं जिन्हें स्वर्गदूतों द्वारा प्रभावशाली व्यवस्था सौंपी गई थी, फिर भी आपने उसका पालन नहीं किया.” स्तेफ़ानॉस का पथराव यह सुन सारे सुननेवाले तिलमिला उठे और स्तेफ़ानॉस पर दांत पीसने लगे. किंतु पवित्र आत्मा से भरकर स्तेफ़ानॉस ने जब अपनी दृष्टि स्वर्ग की ओर उठाई, उन्होंने परमेश्वर की महिमा को और मसीह येशु को परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़े हुए देखा. स्तेफ़ानॉस ने सुननेवालों को संबोधित करते हुए कहा, “वह देखिए! मुझे स्वर्ग खुला हुआ तथा मनुष्य का पुत्र परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं.” यह सुनते ही सुननेवालों ने चीखते हुए अपने कानों पर हाथ रख लिए. फिर वे गुस्से में स्तेफ़ानॉस पर एक साथ टूट पड़े. उन्होंने स्तेफ़ानॉस को पकड़ा और घसीटते हुए नगर के बाहर ले गए और वहां उन्होंने पथराव करके उनकी हत्या कर दी. इस समय उन्होंने अपने बाहरी कपड़े शाऊल नामक युवक के पास रख छोड़े थे. जब वे स्तेफ़ानॉस का पथराव कर रहे थे, स्तेफ़ानॉस ने प्रभु से इस प्रकार प्रार्थना की, “प्रभु येशु, मेरी आत्मा को स्वीकार कीजिए.” तब उन्होंने घुटने टेककर ऊंचे शब्द में यह कहा, “प्रभु, इन्हें इस पाप का दोषी न ठहराना.” यह कहते हुए स्तेफ़ानॉस लंबी नींद में सो गए. स्तेफ़ानॉस की हत्या में पूरी तरह शाऊल सहमत था. कलीसिया का सताया जाना और बिखराव उसी दिन से येरूशलेम नगर की कलीसियाओं पर घोर सताना शुरू हो गया, जिसके फलस्वरूप प्रेरितों के अलावा सभी शिष्य यहूदिया तथा शमरिया के क्षेत्रों में बिखर गए. कुछ श्रद्धालु व्यक्तियों ने स्तेफ़ानॉस के शव की अंत्येष्टि की तथा उनके लिए गहरा शोक मनाया. शाऊल कलीसिया को सता रहा था; वह घरों में घुस, स्त्री-पुरुषों को घसीटकर कारागार में डाल रहा था. दीकन फ़िलिप्पॉस शमरिया नगर में वे, जो यहां वहां बिखर गए थे, शुभ संदेश सुनाने लगे. फ़िलिप्पॉस शमरिया के एक नगर में जाकर मसीह के विषय में शिक्षा देने लगे. फ़िलिप्पॉस के अद्भुत चिह्नों को देख भीड़ एक मन होकर उनके प्रवचन सुनने लगी. अनेक दुष्टात्माओं के सताए हुओं में से दुष्टात्मा ऊंचे शब्द में चिल्लाते हुए बाहर आ रहे थे. अनेक अपंग और लकवे के पीड़ित भी स्वस्थ हो रहे थे. नगर में आनंद की लहर दौड़ गई थी. शिमओन टोनहा उसी नगर में शिमओन नामक एक व्यक्ति था, जिसने शमरिया राष्ट्र को जादू-टोने के द्वारा चकित कर रखा था. वह अपनी महानता का दावा करता था. छोटे-बड़े सभी ने यह कहकर उसका लोहा मान रखा था: “यही है वह, जिसे परमेश्वर की महाशक्ति कहा जाता है.” उसके इन चमत्कारों से सभी अत्यंत प्रभावित थे क्योंकि उसने उन्हें बहुत दिनों से अपनी जादूई विद्या से चकित किया हुआ था. किंतु जब लोगों ने परमेश्वर के राज्य और मसीह येशु के नाम के विषय में फ़िलिप्पॉस का संदेश सुनकर विश्वास किया, स्त्री और पुरुष दोनों ही ने बपतिस्मा लिया. स्वयं शिमओन ने भी विश्वास किया, बपतिस्मा लिया और फ़िलिप्पॉस का शिष्य बन गया. वह अद्भुत चिह्न और सामर्थ्य से भरे महान कामों को देखकर हैरान था. जब येरूशलेम नगर में प्रेरितों को यह मालूम हुआ कि शमरिया नगर ने परमेश्वर के वचन को स्वीकार कर लिया है, उन्होंने पेतरॉस तथा योहन को वहां भेज दिया. वहां पहुंचकर उन्होंने उनके लिए प्रार्थना की कि वे पवित्र आत्मा प्राप्‍त करें क्योंकि वहां अब तक किसी पर भी पवित्र आत्मा नहीं उतरा था. उन्होंने प्रभु येशु के नाम में बपतिस्मा मात्र ही लिया था. तब प्रेरितों ने उन पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्र आत्मा प्राप्‍त किया. जब शिमओन ने यह देखा कि प्रेरितों के मात्र हाथ रखने से पवित्र आत्मा प्राप्‍ति संभव है, उसने प्रेरितों को यह कहते हुए धन देना चाहा, “मुझे भी यह अधिकार प्रदान कर दीजिए कि मैं जिस किसी पर हाथ रखूं उसे पवित्र आत्मा प्राप्‍त हो जाए.” किंतु पेतरॉस ने उससे कहा, “सर्वनाश हो तेरा और तेरे धन का! क्योंकि तूने परमेश्वर का वरदान धन से प्राप्‍त करना चाहा. इस सेवा में तेरा न कोई भाग है न कोई हिस्सेदारी, क्योंकि तेरा हृदय परमेश्वर के सामने सच्चा नहीं है. इसलिये सही यह होगा कि तू अपनी दुर्वृत्ति से पश्चाताप करे और प्रार्थना करे कि यदि संभव हो तो प्रभु तेरे दिल की इस बुराई को क्षमा करें, क्योंकि मुझे यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि तू कड़वाहट से भरा हुआ और पूरी तरह पाप में जकड़ा हुआ है.” यह सुन टोनहे शिमओन ने उनसे विनती की “आप ही प्रभु से मेरे लिए प्रार्थना कीजिए कि आपने जो कुछ कहा है, उसमें से कुछ भी मुझ पर असर न करने पाए.” पेतरॉस तथा योहन परमेश्वर के वचन की शिक्षा और गवाही देते हुए येरूशलेम लौट गए. वे शमरिया क्षेत्र के अनेक गांवों में ईश्वरीय सुसमाचार सुनाते गए. फ़िलिप्पॉस द्वारा वित्तमंत्री का बपतिस्मा प्रभु के एक दूत ने फ़िलिप्पॉस से कहा, “उठो, दक्षिण दिशा की ओर उस मार्ग पर जाओ, जो येरूशलेम से अज्जाह8:26 या गाज़ा नगर को जाता है.” यह बंजर भूमि का मार्ग है. फ़िलिप्पॉस इस आज्ञा के अनुसार चल पड़े. मार्ग में उनकी भेंट एक खोजे से हुई, जो इथियोपिया की रानी कन्दाके की राज्यसभा में मंत्री था. वह आराधना के लिए येरूशलेम आया हुआ था. वह स्वदेश लौटते समय अपने रथ में बैठे हुए भविष्यवक्ता यशायाह का लेख पढ़ रहा था. पवित्र आत्मा ने फ़िलिप्पॉस को आज्ञा दी, “आगे बढ़ो और रथ के साथ साथ चलते जाओ.” फ़िलिप्पॉस दौड़कर रथ के पास पहुंचे. उन्होंने उस व्यक्ति को भविष्यवक्ता यशायाह के ग्रंथ से पढ़ते हुए सुना तो उससे प्रश्न किया, “आप जो पढ़ रहे हैं, क्या उसे समझ रहे हैं?” “भला मैं इसे कैसे समझ सकता हूं जब तक कोई मुझे ये सब न समझाए?” मंत्री ने उत्तर दिया. इसलिये उसने फ़िलिप्पॉस से रथ में बैठने की विनती की. खोजे जो भाग पढ़ रहा था, वह यह था: “वध के लिए ले जाए जा रहे मेमने के समान उसको ले जाया गया, तथा जैसे ऊन कतरनेवाले के सामने मेमना शांत रहता है, वैसे ही उसने भी अपना मुख न खोला. अपने अपमान में वह न्याय से वंचित रह गए. कौन उनके वंशजों का वर्णन करेगा? क्योंकि पृथ्वी पर से उनका जीवन समाप्‍त कर दिया गया.”8:33 यशा 53:7, 8 खोजे ने फ़िलिप्पॉस से विनती की, “कृपया मुझे बताएं, भविष्यवक्ता यह किसका वर्णन कर रहे हैं—अपना, या किसी और का?” तब फ़िलिप्पॉस ने पवित्र शास्त्र के उसी भाग से प्रारंभ कर मसीह येशु के विषय में ईश्वरीय सुसमाचार स्पष्ट किया. जब वे मार्ग में ही थे, एक जलाशय को देख खोजे ने फ़िलिप्पॉस से पूछा, “यह देखिए, जल! मेरे बपतिस्मा लेने में क्या कोई बाधा है?” [फ़िलिप्पॉस ने उत्तर दिया, “यदि आप सारे हृदय से विश्वास करते हैं तो आप बपतिस्मा ले सकते हैं.” खोजे ने कहा, “मैं विश्वास करता हूं कि मसीह येशु ही परमेश्वर के पुत्र हैं.”]8:37 कुछ प्राचीनतम मूल हस्तलेखों में यह पाया नहीं जाता तब फ़िलिप्पॉस ने रथ रोकने की आज्ञा दी और स्वयं फ़िलिप्पॉस व खोजे दोनों जल में उतर गए और फ़िलिप्पॉस ने उसे बपतिस्मा दिया. जब वे दोनों जल से बाहर आए, सहसा फ़िलिप्पॉस प्रभु के आत्मा के द्वारा वहां से उठा लिए गए. वह खोजे को दोबारा दिखाई न दिए. आनंद से भरकर खोजा स्वदेश लौट गया, जबकि फ़िलिप्पॉस अज़ोतॉस नगर में देखे गए. कयसरिया नगर पहुंचते हुए वह मार्ग पर सभी नगरों में ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करते गए. शाऊल का परिवर्तन इस समय शाऊल पर प्रभु के शिष्यों को धमकाने तथा उनकी हत्या करने की धुन छाई हुई थी. वह महापुरोहित के पास गया और उनसे दमिश्क नगर के यहूदी सभागृहों के लिए इस उद्देश्य के अधिकार पत्रों की विनती की कि यदि उसे इस मत के शिष्य—स्त्री या पुरुष—मिलें तो उन्हें बंदी बनाकर येरूशलेम ले आए. जब वह दमिश्क नगर के पास पहुंचा, एकाएक उसके चारों ओर स्वर्ग से एक बिजली कौंध गई, वह भूमि पर गिर पड़ा और उसने स्वयं को संबोधित करता हुआ एक शब्द सुना: “शाऊल! शाऊल! तुम मुझे क्यों सता रहे हो?” इसके उत्तर में उसने कहा, “प्रभु! आप कौन हैं?” प्रभु ने उत्तर दिया, “मैं येशु हूं, जिसे तुम सता रहे हो किंतु अब उठो, नगर में जाओ और तुम्हें क्या करना है, तुम्हें बता दिया जाएगा.” शाऊल के सहयात्री अवाक खड़े थे. उन्हें शब्द तो अवश्य सुनाई दे रहा था किंतु कोई दिखाई नहीं दे रहा था. तब शाऊल भूमि पर से उठा. यद्यपि उसकी आंखें तो खुली थी, वह कुछ भी देख नहीं पा रहा था. इसलिये उसका हाथ पकड़कर वे उसे दमिश्क नगर में ले गए. तीन दिन तक वह अंधा रहा. उसने न कुछ खाया और न कुछ पिया. दमिश्क में हननयाह नामक व्यक्ति मसीह येशु के एक शिष्य थे. उनसे प्रभु ने दर्शन में कहा. “हननयाह!” “क्या आज्ञा है, प्रभु?” उन्होंने उत्तर दिया. प्रभु ने उनसे कहा, “सीधा नामक गली पर जाकर यहूदाह के घर में तारस्यॉसवासी शाऊल के विषय में पूछो, जो प्रार्थना कर रहा है. उसने दर्शन में देखा है कि हननयाह नामक एक व्यक्ति आकर उस पर हाथ रखे कि वह दोबारा देखने लगें.” हननयाह ने संदेह व्यक्त किया, “किंतु प्रभु! मैंने इस व्यक्ति के विषय में अनेकों से सुन रखा है कि उसने येरूशलेम में आपके पवित्र लोगों का कितना बुरा किया है और यहां भी वह प्रधान पुरोहितों से यह अधिकार पत्र लेकर आया है कि उन सभी को बंदी बनाकर ले जाए, जो आपके शिष्य हैं.” किंतु प्रभु ने हननयाह से कहा, “तुम जाओ! वह मेरा चुना हुआ हथियार है, जो गैर-यहूदियों, उनके राजाओं तथा इस्राएलियों के सामने मेरे नाम का प्रचार करेगा. मैं उसे यह अहसास दिलाऊंगा कि उसे मेरे लिए कितना कष्ट उठाना होगा.” हननयाह ने उस घर में जाकर शाऊल पर अपने हाथ रखे और कहा, “भाई शाऊल, प्रभु येशु मसीह ने, जिन्होंने तुम्हें यहां आते हुए मार्ग में दर्शन दिया, मुझे तुम्हारे पास भेजा है कि तुम्हें दोबारा आंखों की रोशनी मिल जाए और तुम पवित्र आत्मा से भर जाओ.” तुरंत ही उसकी आंखों पर से पपड़ी जैसी गिरी और वह दोबारा देखने लगा, वह उठा और उसे बपतिस्मा दिया गया. भोजन के बाद उसके शरीर में बल लौट आया. दमिश्क नगर में शाऊल का उद्संबोधन वह कुछ दिन दमिश्क नगर के शिष्यों के साथ ही रहा. शाऊल ने बिना देर किए यहूदी सभागृहों में यह शिक्षा देनी शुरू कर दी, “मसीह येशु ही परमेश्वर का पुत्र हैं.” उनके सुननेवाले चकित हो यह विचार करते थे, “क्या यह वही नहीं जिसने येरूशलेम में उनका बुरा किया, जो मसीह येशु के विश्वासी थे और वह यहां भी इसी उद्देश्य से आया था कि उन्हें बंदी बनाकर प्रधान पुरोहितों के सामने प्रस्तुत करे?” किंतु शाऊल सामर्थ्यी होते चले गए और दमिश्क के यहूदियों के सामने यह प्रमाणित करते हुए कि येशु ही मसीह हैं, उन्हें निरुत्तर करते रहे. कुछ समय बीतने के बाद यहूदियों ने उनकी हत्या की योजना की किंतु शाऊल को उनकी इस योजना के बारे में मालूम हो गया. शाऊल की हत्या के उद्देश्य से उन्होंने नगर द्वार पर रात-दिन चौकसी कड़ी कर दी किंतु रात में उनके शिष्यों ने उन्हें टोकरे में बैठाकर नगर की शहरपनाह से नीचे उतार दिया. येरूशलेम पहुंचकर शाऊल ने मसीह येशु के शिष्यों में शामिल होने का प्रयास किया किंतु वे सब उनसे भयभीत थे क्योंकि वे विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि शाऊल भी अब वास्तव में मसीह येशु के शिष्य हो गए हैं परंतु बारनबास उन्हें प्रेरितों के पास ले गए और उन्हें स्पष्ट बताया कि मार्ग में किस प्रकार शाऊल को प्रभु का दर्शन प्राप्‍त हुआ और प्रभु ने उनसे बातचीत की तथा कैसे उन्होंने दमिश्क नगर में मसीह येशु के नाम का प्रचार निडरता से किया है. इसलिये शाऊल येरूशलेम में प्रेरितों के साथ स्वतंत्रता पूर्वक आते जाते रहने लगे तथा मसीह येशु के नाम का प्रचार निडरता से करने लगे. वह यूनानी भाषा के यहूदियों से बातचीत और वाद-विवाद करते थे जबकि वे भी उनकी हत्या की कोशिश कर रहे थे. जब अन्य शिष्यों को इसके विषय में मालूम हुआ, वे उन्हें कयसरिया नगर ले गए जहां से उन्होंने उन्हें तारस्यॉस नगर भेज दिया. सारे यहूदिया प्रदेश, गलील प्रदेश और शमरिया प्रदेश में प्रभु में श्रद्धा के कारण कलीसिया में शांति का विकास विस्तार हो रहा था. पवित्र आत्मा के प्रोत्साहन के कारण उनकी संख्या बढ़ती जा रही थी. पेतरॉस द्वारा लकवे के पीड़ित को चंगाई पेतरॉस इन सभी क्षेत्रों में यात्रा करते हुए लुद्दा नामक स्थान के संतों के बीच पहुंचे. वहां उनकी भेंट ऐनियास नाम के व्यक्ति से हुई, जो आठ वर्ष से लकवे से पीड़ित था. पेतरॉस ने उससे कहा, “ऐनियास, मसीह येशु के नाम में चंगे हो जाओ, उठो और अपना बिछौना संभालो.” वह तुरंत उठ खड़ा हुआ. उसे चंगा हुआ देखकर सभी लुद्दा नगर तथा शारोन नगरवासियों ने प्रभु में विश्वास किया. योप्पा नगर में तबीथा नामक एक शिष्या थी. तबीथा नाम का यूनानी अनुवाद है दोरकस. वह बहुत ही भली, कृपालु तथा परोपकारी स्त्री थी और उदारतापूर्वक दान दिया करती थी. किसी रोग से उसकी मृत्यु हो गई. स्‍नान के बाद उसे ऊपरी कमरे में लिटा दिया गया था. लुद्दा नगर योप्पा नगर के पास है. शिष्यों ने पेतरॉस के विषय में सुन रखा था, इसलिये लोगों ने दो व्यक्तियों को इस विनती के साथ पेतरॉस के पास भेजा, “कृपया बिना देर किए यहां आने का कष्ट करें.” पेतरॉस उठकर उनके साथ चल दिए. उन्हें उस ऊपरी कक्ष में ले जाया गया. वहां सभी विधवाएं उन्हें घेरकर रोने लगी. उन्होंने पेतरॉस को वे सब वस्त्र दिखाए, जो दोरकस ने अपने जीवनकाल में बनाए थे. मगर पेतरॉस ने उन सभी को कक्ष से बाहर भेज दिया. तब उन्होंने घुटने टेककर प्रार्थना की और फिर शव की ओर मुंह करके आज्ञा दी, “तबीथा! उठो!” उस स्त्री ने अपनी आंखें खोल दीं और पेतरॉस को देख वह उठ बैठी. पेतरॉस ने हाथ बढ़ाकर उसे उठाया और शिष्यों और विधवाओं को वहां बुलाकर जीवित दोरकस उनके सामने प्रस्तुत कर दी. सारे योप्पा में यह घटना सबको मालूम हो गई. अनेकों ने प्रभु में विश्वास किया. पेतरॉस वहां अनेक दिन शिमओन नामक व्यक्ति के यहां ठहरे रहे, जो व्यवसाय से चमड़े का काम करता था. रोमी सेनापति कॉरनेलियॉस के घर पर पेतरॉस कयसरिया नगर में कॉरनेलियॉस नामक एक व्यक्ति थे, जो इतालियन नामक सैन्य दल के शताधिपति थे. वह परमेश्वर पर विश्वास रखनेवाले व्यक्ति थे. वह और उनका परिवार, सभी श्रद्धालु थे. वह यहूदियों को उदार मन से दान देते तथा परमेश्वर से निरंतर प्रार्थना करते थे. दिन के लगभग नवें घंटे में उन्होंने एक दर्शन में स्पष्ट देखा कि परमेश्वर के एक स्वर्गदूत ने उनके पास आकर उनसे कहा, “कॉरनेलियॉस!” भयभीत कॉरनेलियॉस ने स्वर्गदूत की ओर एकटक देखते हुए प्रश्न किया, “क्या आज्ञा है, प्रभु?” स्वर्गदूत ने स्पष्ट किया, “परमेश्वर द्वारा तुम्हारी प्रार्थनाएं तथा तुम्हारे दान याद किए गए हैं. इसलिये अपने सेवक योप्पा नगर भेजकर शिमओन नामक व्यक्ति को बुलवा लो. वह पेतरॉस भी कहलाते हैं. इस समय वह शिमओन नामक चर्मशोधक के यहां अतिथि हैं, जिसका घर समुद्र के किनारे पर है.” स्वर्गदूत के जाते ही कॉरनेलियॉस ने अपने दो सेवकों तथा उनकी निरंतर सेवा के लिए ठहराए हुए एक भक्त सैनिक को बुलवाया तथा उन्हें सारी स्थिति के बारे में बताते हुए योप्पा नगर भेज दिया. पेतरॉस का दर्शन ये लोग दूसरे दिन छठे घंटे के लगभग योप्पा नगर के पास पहुंचे. उसी समय पेतरॉस घर की खुली छत पर प्रार्थना करने गए थे. वहां उन्हें भूख लगी और कुछ खाने की इच्छा बहुत बढ़ गई. जब भोजन तैयार किया ही जा रहा था, पेतरॉस ध्यानमग्न हो गए. उन्होंने स्वर्ग को खुला देखा जहां से एक विशाल चादर जैसी वस्तु चारों कोनों से नीचे उतारी जा रही थी. इसमें पृथ्वी के सभी प्रकार के चौपाए, रेंगते हुए जंतु तथा पक्षी थे. तब उन्हें एक शब्द सुनाई दिया, “उठो, पेतरॉस! मारो और खाओ!” पेतरॉस ने उत्तर दिया, “कतई नहीं प्रभु! क्योंकि मैंने कभी भी कोई अपवित्र तथा अशुद्ध वस्तु नहीं खाई है.” उन्हें दूसरी बार शब्द सुनाई दिया, “जिन वस्तुओं को स्वयं परमेश्वर ने शुद्ध कर दिया है उन्हें अशुद्ध मत समझो.” तीन बार दोहराने के बाद तुरंत ही वह वस्तु स्वर्ग में उठा ली गई. पेतरॉस अभी इसी दुविधा में थे कि इस दर्शन का अर्थ क्या हो सकता है, कॉरनेलियॉस द्वारा भेजे गए व्यक्ति पूछताछ करते हुए शिमओन के द्वार पर आ पहुंचे. उन्होंने पुकारकर पूछा, “क्या शिमओन, जिनका नाम पेतरॉस भी है, यहीं ठहरे हुए हैं?” पेतरॉस अभी भी उसी दर्शन पर विचार कर रहे थे कि पवित्र आत्मा ने उनसे कहा, “सुनो! तीन व्यक्ति तुम्हें खोजते हुए यहां आए हैं. निस्संकोच उनके साथ चले जाओ क्योंकि स्वयं मैंने उन्हें तुम्हारे पास भेजा है.” पेतरॉस नीचे गए और उनसे कहा, “तुम जिसे खोज रहे हो, वह मैं हूं. क्या कारण है तुम्हारे यहां आने का?” उन्होंने उत्तर दिया, “हमें शताधिपति कॉरनेलियॉस ने आपके पास भेजा है. वह सच्चाई पर चलनेवाले, श्रद्धालु तथा सभी यहूदी समाज में सम्मानित हैं. उन्हें एक पवित्र स्वर्गदूत की ओर से यह निर्देश मिला है कि वह आपको आमंत्रित कर सहपरिवार आपसे वचन सुनें.” पेतरॉस ने उन्हें अपने अतिथि होने का आमंत्रण दिया. पेतरॉस कॉरनेलियॉस के निवास स्थान में अगले दिन पेतरॉस उनके साथ चल दिए. योप्पा नगर के कुछ विश्वासी भाई भी उनके साथ हो लिए. दूसरे दिन वे कयसरिया नगर पहुंचे. कॉरनेलियॉस उन्हीं की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने अपने संबंधियों और घनिष्ठ मित्रों को आमंत्रित किया हुआ था. जैसे ही पेतरॉस ने उनके निवास में प्रवेश किया, कॉरनेलियॉस ने उनके चरणों में गिरकर उनकी स्तुति की, किंतु पेतरॉस ने उन्हें उठाते हुए कहा, “उठिए! मैं भी मात्र मनुष्य हूं.” उनसे बातचीत करते हुए पेतरॉस ने भीतर प्रवेश किया, जहां उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा पाया. उन्हें संबोधित करते हुए पेतरॉस ने कहा, “आप सब यह तो समझते ही हैं कि एक यहूदी के लिए किसी गैर-यहूदी के साथ संबंध रखना या उसके घर मिलने जाना यहूदी नियमों के विरुद्ध है किंतु स्वयं परमेश्वर ने मुझ पर यह प्रकट किया है कि मैं किसी भी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न मानूं. यही कारण है कि जब आपने मुझे आमंत्रित किया मैं यहां बिना किसी आपत्ति के चला आया. इसलिये अब मैं जानना चाहता हूं कि आपने मुझे यहां आमंत्रित क्यों किया है?” कॉरनेलियॉस ने उन्हें उत्तर दिया, “चार दिन पूर्व नवें घंटे मैं अपने घर में प्रार्थना कर रहा था कि मैंने देखा कि मेरे सामने उजले कपड़ों में एक व्यक्ति खड़ा हुआ है. उसने मुझे संबोधित करके कहा, ‘कॉरनेलियॉस, तुम्हारी प्रार्थना सुन ली गई है और तुम्हारे द्वारा दिए गए दान परमेश्वर ने याद किए हैं. इसलिये अब किसी को योप्पा नगर भेजकर समुद्र के किनारे पर शिमओन चमड़ेवाले के यहां अतिथि होकर ठहरे शिमओन को, जिन्हें पेतरॉस नाम से जाना जाता है, बुलवा लो.’ मैंने तुरंत आपको बुलवाने के लिए अपने सेवक भेजे और आपने यहां आने की कृपा की है. हम सब यहां इसलिये उपस्थित हैं कि आपसे वह सब सुनें जिसे सुनाने की आज्ञा आपको प्रभु की ओर से प्राप्‍त हुई है.” पेतरॉस ने उनसे कहा: “अब मैं यह अच्छी तरह से समझ गया हूं कि परमेश्वर किसी के भी पक्षधर नहीं हैं. हर एक जनता में उस व्यक्ति को परमेश्वर अंगीकार करता है, जो परमेश्वर में श्रद्धा रखता तथा वही करता है जो सही है. इस्राएल राष्ट्र के लिए परमेश्वर द्वारा भेजे गए संदेश के विषय में तो आपको मालूम ही है. परमेश्वर ने मसीह येशु के द्वारा—जो सबके प्रभु हैं—हमें इस्राएलियों में शांति के ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करने भेजा. आप सबको मालूम ही है कि गलील प्रदेश में योहन द्वारा बपतिस्मा की घोषणा से शुरू होकर सारे यहूदिया प्रदेश में क्या-क्या हुआ है, कैसे परमेश्वर ने पवित्र आत्मा तथा सामर्थ्य से नाज़रेथवासी मसीह येशु का अभिषेक किया, कैसे वह भलाई करते रहे और उन्हें स्वस्थ करते रहे, जो शैतान द्वारा सताए हुए थे क्योंकि परमेश्वर उनके साथ थे. “चाहे यहूदिया प्रदेश में या येरूशलेम में जो कुछ वह करते रहे हम उसके प्रत्यक्ष साक्षी हैं. उन्हीं को उन्होंने काठ पर लटकाकर मार डाला. उन्हीं मसीह येशु को परमेश्वर ने तीसरे दिन मरे हुओं में से दोबारा जीवित कर दिया और उन्हें प्रकट भी किया. सब पर नहीं परंतु सिर्फ उन साक्ष्यों पर, जो इसके लिए परमेश्वर द्वारा ही पहले से तय थे अर्थात् हम, जिन्होंने उनके मरे हुओं में से जीवित होने के बाद उनके साथ भोजन और संगति की. उन्होंने हमें आज्ञा दी कि हम हर जगह प्रचार करें और इस बात की सच्चाई से गवाही दें कि यही हैं वह, जिन्हें स्वयं परमेश्वर ने जीवितों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है. उनके विषय में सभी भविष्यद्वक्ताओं की यह गवाही है कि उन्हीं के नाम के द्वारा हर एक व्यक्ति, जो उनमें विश्वास करता है, पाप क्षमा प्राप्‍त करता है.” जब पेतरॉस यह कह ही रहे थे, इस प्रवचन के हर एक सुननेवाले पर पवित्र आत्मा उतर गए. पेतरॉस के साथ यहां आए मसीह के ख़तना किए हुए विश्वासी यह देखकर चकित रह गए कि गैर-यहूदियों पर भी पवित्र आत्मा उतरे हैं क्योंकि वे उन्हें अन्य भाषाओं में भाषण करते और परमेश्वर का धन्यवाद करते सुन रहे थे. इस पर पेतरॉस ने प्रश्न किया, “कौन इनके जल-बपतिस्मा पर आपत्ति उठा सकता है क्योंकि इन्होंने ठीक हमारे ही समान पवित्र आत्मा प्राप्‍त किया है?” तब पेतरॉस ने उन्हें आज्ञा दी कि वे मसीह येशु के नाम में बपतिस्मा लें. पेतरॉस से उन्होंने कुछ दिन और अपने साथ रहने की विनती की. पेतरॉस द्वारा अपने स्वभाव का स्पष्टीकरण सारे यहूदिया प्रदेश में प्रेरितों और शिष्यों तक यह समाचार पहुंच गया कि गैर-यहूदियों ने भी परमेश्वर के वचन-संदेश को ग्रहण कर लिया है. परिणामस्वरूप येरूशलेम पहुंचने पर ख़तना किए हुए शिष्यों ने पेतरॉस को आड़े हाथों लिया, “आप वहां खतना-रहितों के अतिथि होकर रहे तथा आपने उनके साथ भोजन भी किया!” इसलिये पेतरॉस ने उन्हें क्रमानुसार समझाना शुरू किया, “जब मैं योप्पा नगर में प्रार्थना कर रहा था, अवचेतन अवस्था में मैंने दर्शन में एक चादर जैसी वस्तु को चारों कोनों से लटके हुए स्वर्ग से नीचे उतरते देखा. वह वस्तु मेरे एकदम पास आ गई. उसे ध्यान से देखने पर मैंने पाया कि उसमें पृथ्वी पर के सभी चौपाये, जंगली पशु, रेंगते जंतु तथा आकाश के पक्षी थे. उसी समय मुझे यह शब्द सुनाई दिया, ‘उठो, पेतरॉस, मारो और खाओ.’ “मैंने उत्तर दिया, ‘बिलकुल नहीं प्रभु! क्योंकि मैंने कभी भी कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु मुंह में नहीं डाली.’ “स्वर्ग से दोबारा यह शब्द सुनाई दिया, ‘जिसे परमेश्वर ने शुद्ध घोषित कर दिया है तुम उसे अशुद्ध मत समझो.’ तीन बार दोहराने के बाद वह सब स्वर्ग में उठा लिया गया. “ठीक उसी समय तीन व्यक्ति उस घर के सामने आ खड़े हुए, जहां मैं ठहरा हुआ था. वे कयसरिया नगर से मेरे लिए भेजे गए थे. पवित्र आत्मा ने मुझे आज्ञा दी कि मैं बिना किसी आपत्ति के उनके साथ चला जाऊं. मेरे साथ ये छः शिष्य भी वहां गए थे, और हम उस व्यक्ति के घर में गए. उसने हमें बताया कि किस प्रकार उसने अपने घर में उस स्वर्गदूत को देखा, जिसने उसे आज्ञा दी थी कि योप्पा नगर से शिमओन अर्थात् पेतरॉस को आमंत्रित किया जाए, जो उन्हें वह संदेश देंगे जिसके द्वारा उसका तथा उसके सारे परिवार को उद्धार प्राप्‍त होगा. “जब मैंने प्रवचन शुरू किया उन पर भी पवित्र आत्मा उतरे—ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार वह शुरुआत में हम पर उतरे थे. तब मुझे प्रभु के ये शब्द याद आए, ‘निःसंदेह योहन जल में बपतिस्मा देता रहा किंतु तुम्हें पवित्र आत्मा में बपतिस्मा दिया जाएगा.’ इसलिये जब प्रभु येशु मसीह में विश्वास करने पर परमेश्वर ने उन्हें भी वही दान दिया है, जो हमें दिया था, तब मैं कौन था, जो परमेश्वर के काम में रुकावट उत्पन्‍न करता?” यह सुनने के बाद इसके उत्तर में वे कुछ भी न कह पाए परंतु इन शब्दों में परमेश्वर का धन्यवाद करने लगे, “इसका मतलब तो यह हुआ कि जीवन पाने के लिए परमेश्वर ने गैर-यहूदियों को भी पश्चाताप की ओर उभारा है.” अंतियोख़ नगर में कलीसिया की नींव वे शिष्य, जो स्तेफ़ानॉस के सताहट के फलस्वरूप शुरुआत में तितर-बितर हो गए थे, फ़ॉयनिके, सैप्रस तथा अंतियोख़ नगरों में जा पहुंचे थे. ये यहूदियों के अतिरिक्त अन्य किसी को भी संदेश नहीं सुनाते थे किंतु कुछ सैप्रसवासी तथा कुरेनावासी अंतियोख़ नगरों में आकर यूनानियों को भी मसीह येशु के विषय में सुसमाचार देने लगे. उन पर प्रभु की कृपादृष्टि थी. बड़ी संख्या में लोगों ने विश्वास कर प्रभु को ग्रहण किया. यह समाचार येरूशलेम की कलीसिया में भी पहुंचा. इसलिये उन्होंने बारनबास को अंतियोख़ नगर भेजा. वहां पहुंचकर जब बारनबास ने परमेश्वर के अनुग्रह के प्रमाण देखे तो वह बहुत आनंदित हुए और उन्होंने उन्हें पूरी लगन के साथ प्रभु में स्थिर बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया. बारनबास एक भले, पवित्र आत्मा से भरे हुए और विश्वास में परिपूर्ण व्यक्ति थे, और बहुत बड़ी संख्या में लोग प्रभु के पास लाए गए. इसलिये बारनबास को तारस्यॉस नगर जाकर शाऊल को खोजना सही लगा. शाऊल के मिल जाने पर वह उन्हें लेकर अंतियोख़ नगर आ गए. वहां कलीसिया में एक वर्ष तक रहकर दोनों ने अनेक लोगों को शिक्षा दी. अंतियोख़ नगर में ही सबसे पहले मसीह येशु के शिष्य मसीही कहलाए. इन्हीं दिनों में कुछ भविष्यवक्ता येरूशलेम से अंतियोख़ आए. उन्हीं में से हागाबुस नामक एक भविष्यवक्ता ने पवित्र आत्मा की प्रेरणा से यह संकेत दिया कि सारी पृथ्वी पर अकाल पड़ने पर है—यह कयसर क्लॉदियॉस के शासनकाल की घटना है. इसलिये शिष्यों ने यहूदिया प्रदेश के मसीह के विश्वासी भाई बहिनों के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहायता देने का निश्चय किया. अपने इस निश्चय के अनुसार उन्होंने दानराशि बारनबास और शाऊल के द्वारा पुरनियों को भेज दी. कारागार से पेतरॉस की अद्भुत मुक्ति उसी समय राजा हेरोदेस ने कलीसिया के कुछ लोगों को सताने के उद्देश्य से बंदी बना लिया और तलवार से योहन के भाई याकोब की हत्या करवा दी. जब उसने यह देखा कि उसके ऐसा करने से यहूदी प्रसन्‍न होते हैं, उसने पेतरॉस को भी बंदी बनाने का निश्चय किया. यह अखमीरी रोटी के पर्व का अवसर था. पेतरॉस को बंदी बनाकर उसने उन पर चार-चार सैनिकों के चार दलों का पहरा लगा दिया कि फ़सह पर्व समाप्‍त हो जाने पर वह उन पर मुकद्दमा चलाए. पेतरॉस को कारागार में रखा गया किंतु कलीसिया उनके लिए एक मन से प्रार्थना कर रही थी. उन पर मुकद्दमा चलाए जाने से एक रात पहले पेतरॉस दो सैनिकों के मध्य बेड़ियों से बंधे सोए हुए थे. और द्वार के सामने भी चौकीदार पहरा दे रहे थे. प्रभु का एक दूत एकाएक वहां प्रकट हुआ और वह कमरा ज्योति से भर गया. स्वर्गदूत ने पेतरॉस को थपथपा कर जगाया और कहा, “जल्दी उठिए!” तत्काल ही पेतरॉस की हथकड़ियां गिर पड़ीं. स्वर्गदूत ने पेतरॉस से कहा, “वस्त्र और जूतियां पहन लीजिए” पेतरॉस ने ऐसा ही किया. तब स्वर्गदूत ने उन्हें आज्ञा दी, “अब ऊपरी कपड़ा ओढ़ कर मेरे पीछे-पीछे आ जाइए.” पेतरॉस उसके पीछे कारागार से बाहर आ गए किंतु वह यह समझ नहीं पा रहे थे कि जो कुछ स्वर्गदूत द्वारा किया जा रहा था, वह सच्चाई थी या सिर्फ़ सपना. जब वे पहले और दूसरे पहरे को पार करके उस लोहे के दरवाज़े पर पहुंचे, जो नगर में खुलता है, वह द्वार अपने आप खुल गया और वे बाहर निकल गए. जब वे गली पार कर चुके तो अचानक स्वर्गदूत उन्हें छोड़कर चला गया. तब पेतरॉस की सुध-बुध लौटी और वह कह उठे, “अब मुझे सच्चाई का अहसास हो रहा है कि प्रभु ने ही अपने स्वर्गदूत को भेजकर मुझे हेरोदेस से और यहूदी लोगों की सारी उम्मीदों से छुड़ा लिया है.” यह जानकर वह योहन अर्थात् मार्कास की माता मरियम के घर पहुंचे, जहां अनेक शिष्य इकट्ठा होकर प्रार्थना कर रहे थे. उनके खटखटाने पर रोदा नामक दासी द्वार पर आई. पेतरॉस का शब्द पहचानकर, आनंद में द्वार खोले बिना ही उसने अंदर जाकर बताया कि पेतरॉस बाहर द्वार पर खड़े हैं. वे उससे कहने लगे, “तेरी तो मति मारी गई है!” किंतु जब वह अपनी बात पर अटल रही तो वे कहने लगे, “वह पेतरॉस का स्वर्गदूत होगा.” उधर पेतरॉस द्वार खटखटाते रहे. आखिरकार जब उन्होंने द्वार खोला, वे पेतरॉस को देखकर हक्का-बक्का रह गए. पेतरॉस ने हाथ से शांत रहने का संकेत देते हुए उन्हें बताया कि प्रभु ने किस प्रकार उन्हें कारागार से बाहर निकाला. पेतरॉस ने उनसे कहा कि वे याकोब और अन्य भाई बहिनों को इस विषय में बता दें. तब वह स्वयं दूसरी जगह चले गए. अगले दिन सुबह सैनिकों में बड़ी खलबली मच गई कि पेतरॉस का क्या हुआ? हेरोदेस ने उनकी बहुत खोज करवाई और उन्हें कहीं भी न पाकर उसने पहरेदारों की जांच की और उन सबके लिए मृत्यु दंड का आदेश दे दिया. सतानेवाले की मृत्यु फिर हेरोदेस कुछ समय के लिए यहूदिया प्रदेश से कयसरिया नगर चला गया और वहां रहा. हेरोदेस सोर और सीदोनवासियों से बहुत नाराज़ था. ये लोग राजा के घर की देखभाल करनेवाले ब्लास्तॉस की सहानुभूति प्राप्‍त कर एक मत होकर मेल-मिलाप का प्रस्ताव लेकर राजा के पास आए थे क्योंकि अनाज की पूर्ति के लिए वे राजा के क्षेत्र पर ही निर्भर थे. हेरोदेस ने नियत दिन अपने राजसी वस्त्र धारण कर सिंहासन पर विराजमान हो प्रजा को संबोधित करना प्रारंभ किया. भीड़ चिल्लाती रही, “यह मानव का नहीं, देवता का शब्द है.” उसी क्षण प्रभु के एक दूत ने हेरोदेस पर वार किया क्योंकि उसने परमेश्वर को महिमा नहीं दी थी. उसके शरीर में कीड़े पड़ गए और उसकी मृत्यु हो गई. प्रभु का वचन बढ़ता और फैलता चला गया. बारनबास और शाऊल की वापसी बारनबास और शाऊल येरूशलेम में अपनी सेवा समाप्‍त कर वहां से लौट गए. उन्होंने योहन को, जो मार्कास नाम से भी प्रसिद्ध हैं, अपने साथ ले लिया था. अंतियोख़ नगर की कलीसिया में अनेक भविष्यवक्ता और शिक्षक थे: बारनबास, शिमओन, जिनका उपनाम निगेर भी था, कुरेनी लुकियॉस, मनायेन, (जिसका पालन पोषण राज्य के चौथाई भाग के राजा हेरोदेस के साथ हुआ था) तथा शाऊल. जब ये लोग प्रभु की आराधना और उपवास कर रहे थे, पवित्र आत्मा ने उनसे कहा, “बारनबास तथा शाऊल को उस सेवा के लिए समर्पित करो, जिसके लिए मैंने उनको बुलाया है.” इसलिये जब वे उपवास और प्रार्थना कर चुके, उन्होंने बारनबास तथा शाऊल पर हाथ रखे और उन्हें इस सेवा के लिए भेज दिया. सैप्रस में पवित्र आत्मा द्वारा भेजे गए वे सेल्युकिया नगर गए तथा वहां से जलमार्ग से सैप्रस गए. वहां से सालामिस नगर पहुंचकर उन्होंने यहूदियों के सभागृह में परमेश्वर के संदेश का प्रचार किया. सहायक के रूप में योहन भी उनके साथ थे. जब वे सारे द्वीप को घूमकर पाफ़ॉस नगर पहुंचे, जहां उनकी भेंट बार-येशु नामक एक यहूदी व्यक्ति से हुई, जो जादूगर तथा झूठा भविष्यवक्ता था. वह राज्यपाल सेरगियॉस पौलॉस का सहयोगी था. सेरगियॉस पौलॉस बुद्धिमान व्यक्ति था. उसने बारनबास तथा शाऊल को बुलवाकर उनसे परमेश्वर के वचन को सुनने की अभिलाषा व्यक्त की किंतु जादूगर एलिमॉस—जिसके नाम का ही अर्थ है जादूगर—उनका विरोध करता रहा. उसका प्रयास था राज्यपाल को परमेश्वर के वचन में विश्वास करने से रोकना, किंतु शाऊल ने, जिन्हें पौलॉस नाम से भी जाना जाता है, पवित्र आत्मा से भरकर उसे एकटक देखते हुए कहा, “हे, सारे छल और कपट से ओत-प्रोत शैतान के कपूत! सारे धर्म के बैरी! क्या तू प्रभु की सच्चाई को भ्रष्‍ट करने के प्रयासों को नहीं छोड़ेगा? देख ले, तुझ पर प्रभु का प्रहार हुआ है. तू अंधा हो जाएगा और कुछ समय के लिए सूर्य की रोशनी न देख सकेगा.” उसी क्षण उस पर धुंधलापन और अंधकार छा गया. वह यहां वहां टटोलने लगा कि कोई हाथ पकड़कर उसकी सहायता करे. इस घटना को देख राज्यपाल ने प्रभु में विश्वास किया, क्योंकि प्रभु की शिक्षाओं ने उसे चकित कर दिया था. पिसिदिया प्रदेश के अंतियोख़ में पौलॉस पौलॉस और उनके साथियों ने पाफ़ॉस नगर से समुद्री यात्रा शुरू की और वे पम्फ़ूलिया प्रदेश के पेरगे नगर में जा पहुंचे. योहन उन्हें वहीं छोड़कर येरूशलेम लौट गए. तब वे पेरगे से होते हुए पिसिदिया प्रदेश के अंतियोख़ नगर पहुंचे और शब्बाथ पर यहूदी सभागृह में जाकर बैठ गए. जब व्यवस्था तथा भविष्यद्वक्ताओं के ग्रंथों का पढ़ना समाप्‍त हो चुका, सभागृह के अधिकारियों ने उनसे कहा, “प्रियजन, यदि आप में से किसी के पास लोगों के प्रोत्साहन के लिए कोई वचन है तो कृपा कर वह उसे यहां प्रस्तुत करे.” इस पर पौलॉस ने हाथ से संकेत करते हुए खड़े होकर कहा. “इस्राएली वासियों तथा परमेश्वर के श्रद्धालुओ, सुनो! इस्राएल के परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को चुना तथा मिस्र देश में उनके घर की अवधि में उन्हें एक फलवंत राष्ट्र बनाया और प्रभु ही अपने बाहुबल से उन्हें उस देश से बाहर निकाल लाए; इसके बाद बंजर भूमि में वह लगभग चालीस वर्ष तक उनके प्रति सहनशील बने रहे और उन्होंने कनान देश की सात जातियों को नाश कर उनकी भूमि अपने लोगों को मीरास में दे दी. इस सारी प्रक्रिया में लगभग चार सौ पचास वर्ष लगे. “इसके बाद परमेश्वर उनके लिए भविष्यवक्ता शमुएल के आने तक न्यायाधीश ठहराते रहे. फिर इस्राएल ने अपने लिए राजा की विनती की. इसलिये परमेश्वर ने उन्हें बिन्यामिन के वंश से कीश का पुत्र शाऊल दे दिया, जो चालीस वर्ष तक उनका राजा रहा. परमेश्वर ने शाऊल को पद से हटाकर उसके स्थान पर दावीद को राजा बनाया जिनके विषय में उन्होंने स्वयं कहा था कि यिशै का पुत्र दावीद मेरे मन के अनुसार व्यक्ति है. वही मेरी सारी इच्छा पूरी करेगा. “उन्हीं के वंश से, अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार, परमेश्वर ने इस्राएल के लिए एक उद्धारकर्ता मसीह येशु की उत्पत्ति की. मसीह येशु के आने के पहले योहन ने सारी इस्राएली प्रजा में पश्चाताप के बपतिस्मा का प्रचार किया. अपनी तय की हुई सेवा का कार्य पूरा करते हुए योहन घोषणा करते रहे, ‘क्या है मेरे विषय में आपका विश्वास? मैं वह नहीं हूं. यह समझ लीजिए: मेरे बाद एक आ रहे हैं. मैं जिनकी जूती का बंध खोलने योग्य तक नहीं हूं.’ “अब्राहाम की संतान, मेरे प्रियजन तथा आपके बीच, जो परमेश्वर के श्रद्धालु हैं, सुनें कि यही उद्धार का संदेश हमारे लिए भेजा गया है. येरूशलेम वासियों तथा उनके शासकों ने न तो मसीह येशु को पहचाना और न ही भविष्यद्वक्ताओं की आवाज को, जिनका पढ़ना हर एक शब्बाथ पर किया जाता है और जिनकी पूर्ति उन्होंने मसीह को दंड देकर की, हालांकि उन्हें मार डालने का उनके सामने कोई भी आधार नहीं था—उन्होंने पिलातॉस से उनके मृत्यु दंड की मांग की. जब उनके विषय में की गई सारी भविष्यवाणियों को वे लोग पूरा कर चुके, उन्हें क्रूस से उतारकर कब्र की गुफ़ा में रख दिया गया किंतु परमेश्वर ने उन्हें मरे हुओं में से जीवित कर दिया. अनेक दिन तक वह स्वयं को उनके सामने साक्षात प्रकट करते रहे, जो उनके साथ गलील प्रदेश से येरूशलेम आए हुए थे और जो आज तक इन लोगों के सामने उनके गवाह हैं. “हम आपके सामने हमारे पूर्वजों से की गई प्रतिज्ञा का ईश्वरीय सुसमाचार ला रहे हैं कि परमेश्वर ने हमारी संतान के लिए मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित कर अपनी इस प्रतिज्ञा को पूरा कर दिया है—जैसा कि भजन संहिता दो में लिखा है: “ ‘तुम मेरे पुत्र हो; आज मैं तुम्हारा पिता बन गया हूं.’13:33 स्तोत्र 2:7 परमेश्वर ने उन्हें कभी न सड़ने के लिए मरे हुओं में से जीवित किया. यह सच्चाई इन शब्दों में बयान की गई है, “ ‘मैं तुम्हें दावीद की पवित्र तथा अटल आशीषें प्रदान करूंगा.’13:34 यशा 55:3 एक अन्य भजन में कहा गया है: “ ‘आप अपने पवित्र जन को सड़ने न देंगे.’13:35 स्तोत्र 16:10 “दावीद अपने जीवनकाल में परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा करके हमेशा के लिए सो गए और अपने पूर्वजों में मिल गए और उनका शरीर सड़ भी गया. किंतु वह, जिन्हें परमेश्वर ने मरे हुओं में से जीवित किया, सड़ने नहीं पाया. “इसलिये प्रियजन, सही यह है कि आप यह समझ लें कि आपके लिए इन्हीं के द्वारा पाप क्षमा की घोषणा की जाती है. इन पापों से मुक्त करके धर्मी घोषित करने में मोशेह की व्यवस्था हमेशा असफल रही है. हर एक, जो विश्वास करता है, वह सभी पापों से मुक्त किया जाता है. इसलिये इस विषय में सावधान रहो कि कहीं भविष्यद्वक्ताओं का यह कथन तुम पर लागू न हो जाए: “ ‘अरे ओ निंदा करनेवालों! देखो, चकित हो और मर मिटो! क्योंकि मैं तुम्हारे सामने कुछ ऐसा करने पर हूं जिस पर तुम कभी विश्वास न करोगे, हां, किसी के द्वारा स्पष्ट करने पर भी नहीं.’ ”13:41 हब 1:5 जब पौलॉस और बारनबास यहूदी सभागृह से बाहर निकल रहे थे, लोगों ने उनसे विनती की कि वे आनेवाले शब्बाथ पर भी इसी विषय पर आगे प्रवचन दें. जब सभा समाप्‍त हुई अनेक यहूदी और यहूदी मत में से आए हुए नए विश्वासी पौलॉस तथा बारनबास के साथ हो लिए. पौलॉस तथा बारनबास ने उनसे परमेश्वर के अनुग्रह में स्थिर रहने की विनती की. अगले शब्बाथ पर लगभग सारा नगर परमेश्वर का वचन सुनने के लिए उमड़ पड़ा. उस बड़ी भीड़ को देख यहूदी जलन से भर गए तथा पौलॉस द्वारा पेश किए गए विचारों का विरोध करते हुए उनकी घोर निंदा करने लगे. किंतु पौलॉस तथा बारनबास ने निडरता से कहा: “यह ज़रूरी था कि परमेश्वर का वचन सबसे पहले आपके सामने स्पष्ट किया जाता. अब, जबकि आप लोगों ने इसे नकार दिया है और यह करते हुए स्वयं को अनंत जीवन के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है, हम अपना ध्यान अब गैर-यहूदियों की ओर केंद्रित करेंगे, क्योंकि हमारे लिए परमेश्वर की आज्ञा है: “ ‘मैंने तुमको गैर-यहूदियों के लिए एक ज्योति के रूप में चुना है, कि तुम्हारे द्वारा सारी पृथ्वी पर उद्धार लाया जाए.’ ”13:47 यशा 49:6 यह सुनकर गैर-यहूदी आनंद में प्रभु के वचन की प्रशंसा करने लगे तथा अनंत जीवन के लिए पहले से ठहराए गए सुननेवालों ने इस पर विश्वास किया. सारे क्षेत्र में प्रभु का वचन-संदेश फैलता चला गया. किंतु यहूदी अगुओं ने नगर की भली, श्रद्धालु स्त्रियों तथा ऊंचे पद पर बैठे व्यक्तियों को भड़का दिया और पौलॉस और बारनबास के विरुद्ध उपद्रव करवा कर उन्हें अपने क्षेत्र की सीमा से निकाल दिया. पौलॉस और बारनबास उनके प्रति विरोध प्रकट करते हुए अपने पैरों की धूलि झाड़ते हुए इकोनियॉन नगर की ओर चले गए. प्रभु के शिष्य आनंद और पवित्र आत्मा से भरते चले गए. इकोनियॉन नगर में ईश्वरीय सुसमाचार इकोनियॉन नगर में पौलॉस और बारनबास यहूदी सभागृहों में गए. वहां उनका प्रवचन इतना प्रभावशाली रहा कि बड़ी संख्या में यहूदियों और यूनानियों ने विश्वास किया. किंतु जिन यहूदियों ने विश्वास नहीं किया था, उन्होंने गैर-यहूदियों को भड़का दिया तथा उनके मनों में इनके विरुद्ध ज़हर भर दिया. वहां उन्होंने प्रभु पर आश्रित हो, निडरता से संदेश देते हुए काफ़ी समय बिताया. प्रभु उनके द्वारा किए जा रहे अद्भुत चिह्नों के माध्यम से अपने अनुग्रह के संदेश को साबित कर रहे थे. वहां के नागरिकों में फूट पड़ गई थी. कुछ यहूदियों के पक्ष में थे तो कुछ प्रेरितों के. यह मालूम होने पर कि शासकों के सहयोग से यहूदियों और गैर-यहूदियों द्वारा उन्हें अपमानित कर उनका पथराव करने की योजना बनाई जा रही है, वे लुकाओनिया, लुस्त्रा तथा दरबे नगरों और उनके उपनगरों की ओर चले गए और वहां ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करने लगे. अपंग को चंगाई लुस्त्रा नगर में एक व्यक्ति था, जो जन्म से अपंग था और कभी चल फिर ही न सका था. वह पौलॉस का प्रवचन सुन रहा था. पौलॉस उसको ध्यान से देख रहा था और यह पाकर कि उसमें स्वस्थ होने का विश्वास है. पौलॉस ने ऊंचे शब्द में उसे आज्ञा दी, “अपने पैरों पर सीधे खड़े हो जाओ!” उसी क्षण वह व्यक्ति उछलकर खड़ा हो गया और चलने लगा. जब पौलॉस द्वारा किए गए इस काम को लोगों ने देखा वे लुकाओनियाई भाषा में चिल्लाने लगे, “देवता हमारे मध्य मानव रूप में उतर आए हैं.” उन्होंने बारनबास को ज़्यूस नाम से संबोधित किया तथा पौलॉस को हेर्मेस नाम से क्योंकि वह प्रधान प्रचारक थे. नगर के बाहर ज़्यूस का मंदिर था. ज़्यूस का पुरोहित बैल तथा पुष्पहार लिए हुए नगर फ़ाटक पर आ गया क्योंकि वह भीड़ के साथ बलि चढ़ाना चाह रहा था. यह मालूम होने पर प्रेरित पौलॉस व बारनबास अपने कपड़े फाड़कर, यह चिल्लाते हुए भीड़ की ओर लपके, “प्रियजन, तुम यह सब क्यों कर रहे हो! हम भी तुम्हारे समान मनुष्य हैं. हम तुम्हारे लिए यह ईश्वरीय सुसमाचार लाए हैं कि तुम इन व्यर्थ की परंपराओं को त्याग कर जीवित परमेश्वर की ओर मन फिराओ, जिन्होंने स्वर्ग, पृथ्वी, समुद्र और इनमें निवास कर रहे प्राणियों की सृष्टि की है. हालांकि उन्होंने पिछले युगों में जनताओं को उनकी अपनी मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करने दिया. तो भी उन्होंने स्वयं अपने विषय में गवाह स्पष्ट रखा—वह भलाई करते हुए आकाश से वर्षा तथा ऋतुओं के अनुसार हमें उपज प्रदान करते रहे. वह पर्याप्‍त भोजन और आनंद प्रदान करते हुए हमारे मनों को तृप्‍त करते रहे हैं.” उनके इतनी सफ़ाई देने के बाद भी भीड़ को उनके लिए बलि भेंट चढ़ाने से बड़ी कठिनाई से रोका जा सका. तब कुछ यहूदी अंतियोख़ तथा इकोनियॉन नगरों से वहां आ पहुंचे. भीड़ को अपने पक्ष में करके उन्होंने पौलॉस का पथराव किया तथा उन्हें मरा हुआ समझ घसीटकर नगर के बाहर छोड़ आए. किंतु जब शिष्य उनके आस-पास इकट्ठा हुए, वह उठ खड़े हुए और नगर में लौट गए. अगले दिन वह बारनबास के साथ वहां से दरबे नगर को चले गए. अंतियोख़ नगर में वापसी उन्होंने उस नगर में ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार किया और अनेक शिष्य बनाए. इसके बाद वे लुस्त्रा और इकोनियॉन नगर होते हुए अंतियोख़ नगर लौट गए. वे शिष्यों को दृढ़ करते और प्रोत्साहित करते हुए यह शिक्षा देते रहे कि उनका परमेश्वर के राज्य में प्रवेश हेतु इस विश्वास में स्थिर रहना तथा अनेक विपत्तियों को सहना ज़रूरी है. पौलॉस और बारनबास हर एक कलीसिया में उपवास और प्रार्थना के साथ प्राचीनों को चुना करते तथा उन्हें उन्हीं प्रभु के हाथों में सौंप देते थे जिस प्रभु में उन्होंने विश्वास किया था. पिसिदिया क्षेत्र में से जाते हुए वे पम्फ़ूलिया नगर में आए. वहां से पेरगे नगर में वचन सुनाकर वे अट्टालिया नगर गए. वहां से जलमार्ग वे अंतियोख़ नगर पहुंचे, जहां से उन्हें परमेश्वर के अनुग्रह में सौंपकर उस काम के लिए भेजा गया था, जिसे वे अब पूरा कर लौट आए थे. वहां पहुंचकर उन्होंने सारी कलीसिया को इकट्ठा किया और सबके सामने उन सभी कामों का वर्णन किया, जो परमेश्वर द्वारा उनके माध्यम से पूरे किए गए थे और यह भी कि किस प्रकार परमेश्वर ने गैर-यहूदियों के लिए विश्वास का द्वार खोल दिया है. वहां वे शिष्यों के बीच लंबे समय तक रहे. अंतियोख़ नगर में मतभेद कुछ व्यक्ति यहूदिया प्रदेश से अंतियोख़ नगर आकर प्रभु के शिष्यों को यह शिक्षा देने लगे, “मोशेह की व्यवस्था के अनुसार यदि तुम्हारा ख़तना न हो तो तुम्हारा उद्धार असंभव है.” इस विषय में पौलॉस और बारनबास का उनके साथ गहरा मतभेद हो गया और उनमें उग्र विवाद छिड़ गया. तब एक मत होकर यह निश्चय किया गया कि पौलॉस और बारनबास को कुछ अन्य शिष्यों के साथ इस विषय पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से प्रेरितों और पुरनियों के पास येरूशलेम भेज दिया जाए. कलीसिया ने उन्हें विदा किया. तब वे फ़ॉयनिके तथा शमरिया प्रदेशों से होते हुए आगे बढ़े और वहां भी गैर-यहूदियों द्वारा मसीह को स्वीकार किए जाने का विस्तृत वर्णन करते गए जिससे सभी शिष्यों में अपार हर्ष की लहर दौड़ गई. उनके येरूशलेम पहुंचने पर कलीसिया, प्रेरितों तथा पुरनियों ने उनका स्वागत किया. पौलॉस और बारनबास ने उन्हें उन सभी कामों का विवरण दिया, जो परमेश्वर ने उनके माध्यम से किए थे. किंतु फ़रीसी संप्रदाय से निकलकर आए कुछ विश्वासी विरोध में कहने लगे, “आवश्यक है कि गैर-यहूदियों का ख़तना हो और उन्हें मोशेह की व्यवस्था का पालन करने का निर्देश दिया जाए.” प्रेरित तथा प्राचीन इस विषय पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से इकट्ठा हुए. एक लंबे विचार-विमर्श के बाद पेतरॉस खड़े हुए और उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “प्रियजन, आपको यह मालूम ही है कि कुछ समय पहले परमेश्वर ने यह सही समझा कि गैर-यहूदी मेरे द्वारा ईश्वरीय सुसमाचार सुनें और विश्वास करें. मनों को जांचनेवाले परमेश्वर ने ठीक हमारे जैसे उन्हें भी पवित्र आत्मा प्रदान करके इसकी गवाही दी. उन्होंने उनके हृदय विश्वास द्वारा शुद्ध करके हमारे और उनके बीच कोई भेद न रहने दिया. इसलिये अब तुम लोग इन शिष्यों की गर्दन पर वह जूआ रखकर परमेश्वर को क्यों परख रहे हो, जिसे न तो हम और न हमारे पूर्वज ही उठा पाए? हमारा विश्वास तो यह है कि प्रभु येशु मसीह के अनुग्रह के द्वारा हमारा उद्धार ठीक वैसे ही हुआ है जैसे उनका.” बारनबास और पौलॉस के भाषण को सभा के सभी सदस्य चुपचाप सुन रहे थे कि परमेश्वर ने किस प्रकार उनके माध्यम से गैर-यहूदियों के बीच अद्भुत चिह्न दिखाए हैं. उनके भाषण के खत्म होने पर याकोब ने सभा को संबोधित किया, “प्रियजन, मेरा विचार यह है: शिमओन ने इस बात की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है कि प्रारंभ में परमेश्वर ने किस प्रकार गैर-यहूदियों में से अपने लिए प्रजा का निर्माण करने में रुचि प्रकट की है. भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख भी इसका समर्थन करते हैं, जैसा कि लिखा है: “ ‘इन घटनाओं के बाद मैं लौट आऊंगा और दावीद के ध्वस्त मंडप को दोबारा बनाऊंगा. और खंडहरों को दोबारा बनाकर फिर खड़ा करूंगा, जिससे शेष मानव जाति परमेश्वर को पा सके, तथा वे सभी गैर-यहूदी भी, जिन पर मेरे नाम की छाप लगी है.’ यह उन्हीं प्रभु की आवाज है,15:17 आमो 9:11, 12 जो पुरातन काल से इन बातों को प्रकट करते आए हैं.15:18 कुछ हस्तलेखों में: “प्रभु का कार्य उन्हें बहुत पहले से पता है” “इसलिये मेरा फैसला यह है, कि हम उन गैर-यहूदियों के लिए कोई कठिनाई उत्पन्‍न न करें, जो परमेश्वर की ओर फिर रहे हैं. परंतु अच्छा यह होगा कि हम उन्हें यह आज्ञा लिख भेजें कि वे मूर्तियों की अशुद्धता से खुद को बचाए रखें, वेश्यागामी तथा गला घोंट कर मारे गए पशुओं के मांस से दूर रहें और लहू का सेवन न करें. याद रहे: यह मोशेह के उसी व्यवस्था के अनुरूप है जिसका वाचन पूर्वकाल से हर एक शब्बाथ पर यहूदी सभागृहों में किया जाता है.” प्रेरितों का अभिलेख इसलिये सारी कलीसिया के साथ प्रेरितों और पुरनियों को यह सही लगा कि अपने ही बीच से कुछ व्यक्तियों को चुनकर पौलॉस तथा बारनबास के साथ अंतियोख़ नगर भेज दिया जाए. उन्होंने इसके लिए यहूदाह, जिसे बारसब्बास नाम से भी जाना जाता है तथा सीलास को चुन लिया. ये उनके बीच प्रधान माने जाते थे. उनके हाथ से भेजा पत्र यह था: प्रेरितों, पुरनियों तथा भाइयों की ओर से: अंतियोख़, सीरिया तथा किलिकिया प्रदेश के गैर-यहूदी विश्वासियो, आप सभी को नमस्कार! हमें यह मालूम हुआ है कि हमारे ही मध्य से कुछ बाहरी व्यक्तियों ने अपनी बातों के द्वारा तुम्हारे मनों को विचलित कर दिया है. अतः हमने एक मत से हमारे प्रिय मित्र बारनबास तथा पौलॉस के साथ कुछ व्यक्तियों को तुम्हारे पास भेजना सही समझा. ये वे हैं, जिन्होंने हमारे प्रभु येशु मसीह के लिए अपने प्राणों का जोखिम उठाया है. इसलिये हम यहूदाह और सीलास को तुम्हारे पास भेज रहे हैं कि तुम स्वयं उन्हीं के मुख से इस विषय को सुन सको क्योंकि पवित्र आत्मा तथा स्वयं हमें यह सही लगा कि इन आवश्यक बातों के अलावा तुम पर और कोई बोझ न लादा जाए: मूर्तियों को चढ़ाए गए भोजन, लहू, गला घोंट कर मारे गए जीवों के मांस के सेवन से तथा वेश्यागामी से परे रहो. यही तुम्हारे लिए उत्तम है. सबको शुभेच्छा! वहां से निकलकर वे अंतियोख़ नगर पहुंचे और उन्होंने वहां कलीसिया को इकट्ठा कर वह पत्र उन्हें सौंप दिया. पत्र के पढ़े जाने पर उसके उत्साह बढ़ानेवाले संदेश से वे बहुत आनंदित हुए. यहूदाह तथा सीलास ने, जो स्वयं भविष्यवक्ता थे, तत्वपूर्ण बातों के द्वारा शिष्यों को प्रोत्साहित और स्थिर किया. उनके कुछ समय वहां ठहरने के बाद उन्होंने उन्हें दोबारा शांतिपूर्वक उन्हीं के पास भेज दिया, जिन्होंने उन्हें यहां भेजा था. [किंतु सीलास को वहीं ठहरे रहना सही लगा.]15:34 कुछ प्राचीनतम मूल हस्तलेखों में यह पाया नहीं जाता पौलॉस और बारनबास अंतियोख़ नगर में ही अन्य अनेकों के साथ प्रभु के वचन की शिक्षा देते तथा प्रचार करते रहे. पौलॉस तथा बारनबास का अलग होना कुछ दिन बाद पौलॉस ने बारनबास से कहा, “आइए, हम ऐसे हर एक नगर में जाएं जिसमें हमने प्रभु के वचन का प्रचार किया है और वहां शिष्यों की आत्मिक स्थिति का जायज़ा लें.” बारनबास की इच्छा थी कि वह योहन को, जिनका उपनाम मार्कास भी था, अपने साथ ले चलें किंतु पौलॉस बलपूर्वक कहते रहे कि उन्हें साथ न लिया जाए क्योंकि वह पम्फ़ूलिया नगर में उनका साथ और काम अधूरा छोड़ चले गए थे. इस विषय को लेकर उनमें ऐसा कठोर विवाद हुआ कि वे एक दूसरे से अलग हो गए. बारनबास मार्कास को लेकर सैप्रस चले गए. शिष्यों द्वारा प्रभु के अनुग्रह में सौंपे जाकर पौलॉस ने सीलास को साथ ले यात्रा प्रारंभ की. वे सीरिया तथा किलिकिया प्रदेशों से होते हुए कलीसियाओं को स्थिर करते आगे बढ़ते गए. तिमोथियॉस का शामिल होना वह दरबे और लुस्त्रा नगर भी गए. वहां तिमोथियॉस नामक एक शिष्य थे जिनकी माता यहूदी मसीही शिष्या; परंतु पिता यूनानी थे. तिमोथियॉस इकोनियॉन और लुस्त्रा नगरों के शिष्यों में सम्मानित थे. पौलॉस की इच्छा तिमोथियॉस को अपने साथी के रूप में साथ रखने की थी, इसलिये पौलॉस ने उनका ख़तना किया क्योंकि वहां के यहूदी यह जानते थे कि तिमोथियॉस के पिता यूनानी हैं. वे नगर-नगर यात्रा करते हुए शिष्यों को वे सभी आज्ञा सौंपते जाते थे, जो येरूशलेम में प्रेरितों और पुरनियों द्वारा ठहराई गयी थी. इसलिये कलीसिया प्रतिदिन विश्वास में स्थिर होती गई तथा उनकी संख्या में प्रतिदिन बढ़ोतरी होती गई. आसिया प्रदेश में प्रवेश वे फ़्रिजिया तथा गलातिया क्षेत्रों में से होते हुए आगे बढ़ गए. पवित्र आत्मा की आज्ञा थी कि वे आसिया क्षेत्र में परमेश्वर के वचन का प्रचार न करें मूसिया नगर पहुंचने पर उन्होंने बिथुनिया नगर जाने का विचार किया किंतु मसीह येशु के आत्मा ने उन्हें इसकी आज्ञा नहीं दी. इसलिये मूसिया नगर से निकलकर वे त्रोऑस नगर पहुंचे. रात में पौलॉस ने एक दर्शन देखा: एक मकेदोनियावासी उनसे दुःखी शब्द में विनती कर रहा था, “मकेदोनिया क्षेत्र में आकर हमारी सहायता कीजिए!” पौलॉस द्वारा इस दर्शन देखते ही यह जानकर कि परमेश्वर ने हमें उन्हें सुसमाचार प्रचार करने के लिए बुलाया है; हमने तुरंत मकेदोनिया क्षेत्र जाने की योजना बनाई. फ़िलिप्पॉय नगर में पौलॉस त्रोऑस नगर से हम सीधे जलमार्ग द्वारा सामोथ्रेसिया टापू पहुंचे और दूसरे दिन नियापोलिस नगर और वहां से फ़िलिप्पॉय नगर, जो मकेदोनिया प्रदेश का एक प्रधान नगर तथा रोमी बस्ती है. हम यहां कुछ दिन ठहर गए. शब्बाथ पर हम नगर द्वार से निकलकर प्रार्थना के लिए निर्धारित स्थान की खोज में नदी तट पर चले गए. हम वहां इकट्ठी हुई स्त्रियों से वार्तालाप करते हुए बैठ गए. वहां थुआतेइरा नगर निवासी लुदिया नामक एक स्त्री थी, जो परमेश्वर की आराधक थी. वह बैंगनी रंग के वस्त्रों की व्यापारी थी. उसने हमारा वार्तालाप सुना और प्रभु ने पौलॉस द्वारा दी जा रही शिक्षा के प्रति उसका हृदय खोल दिया. जब उसने और उसके रिश्तेदारों ने बपतिस्मा ले लिया तब उसने हमको अपने यहां आमंत्रित करते हुए कहा, “यदि आप यह मानते हैं कि मैं प्रभु के प्रति विश्वासयोग्य हूं, तो आकर मेरे घर में रहिए.” उसने हमें विनती स्वीकार करने पर विवश कर दिया. पौलॉस और सीलास बंदीगृह में एक दिन प्रार्थना स्थल की ओर जाते हुए मार्ग में हमारी भेंट एक युवा दासी से हुई, जिसमें एक ऐसी दुष्टात्मा थी, जिसकी सहायता से वह भविष्य प्रकट कर देती थी. वह अपने स्वामियों की बहुत आय का साधन बन गई थी. यह दासी पौलॉस और हमारे पीछे-पीछे यह चिल्लाती हुए चलने लगी, “ये लोग परम प्रधान परमेश्वर के दास हैं, जो तुम पर उद्धार का मार्ग प्रकट कर रहे हैं.” अनेक दिनों तक वह यही करती रही. अंत में झुंझला कर पौलॉस पीछे मुड़े और उसके अंदर समाई दुष्टात्मा से बोले, “मसीह येशु के नाम में मैं तुझे आज्ञा देता हूं, निकल जा उसमें से!” तुरंत ही वह दुष्टात्मा उसे छोड़कर चली गई. जब उसके स्वामियों को यह मालूम हुआ कि उनकी आय की आशा जाती रही, वे पौलॉस और सीलास को पकड़कर नगर चौक में प्रधान न्यायाधीशों के सामने ले गए और उनसे कहने लगे, “इन यहूदियों ने नगर में उत्पात मचा रखा है. ये लोग ऐसी प्रथाओं का प्रचार कर रहे हैं जिन्हें स्वीकार करना या पालन करना हम रोमी नागरिकों के नियमानुसार नहीं है.” इस पर सारी भीड़ उनके विरुद्ध हो गई और प्रधान हाकिमों ने उनके वस्त्र फाड़ डाले और उन्हें बेंत लगाने की आज्ञा दी. उन पर अनेक कठोर प्रहारों के बाद उन्हें कारागार में डाल दिया गया और कारागार-शासक को उन्हें कठोर सुरक्षा में रखने का निर्देश दिया. इस आदेश पर कारागार-शासक ने उन्हें भीतरी कक्ष में डालकर उनके पैरों को लकड़ी की बेड़ियों में जकड़ दिया. लगभग आधी रात के समय पौलॉस और सीलास प्रार्थना कर रहे थे तथा परमेश्वर की स्तुति में भजन गा रहे थे. उनके साथी कैदी उनकी सुन रहे थे. अचानक ऐसा बड़ा भूकंप आया कि कारागार की नींव हिल गई, तुरंत सभी द्वार खुल गए और सभी बंदियों की बेड़ियां टूट गईं. नींद से जागने पर कारागार-शासक ने सभी द्वार खुले पाए. यह सोचकर कि सारे कैदी भाग चुके हैं, वह तलवार से अपने प्राणों का अंत करने जा ही रहा था; तब पौलॉस ने ऊंचे शब्द में उससे कहा, “स्वयं को कोई हानि न पहुंचाइए, हम सब यहीं हैं!” कारागार-शासक रोशनी का इंतजाम करने के लिए आज्ञा देते हुए भीतर दौड़ गया और भय से कांपते हुए पौलॉस और सीलास के चरणों में गिर पड़ा. इसके बाद उन्हें बाहर लाकर उसने उनसे प्रश्न किया, “श्रीमन, मुझे क्या करना चाहिए कि मुझे उद्धार प्राप्‍त हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “प्रभु येशु मसीह में विश्वास कीजिए, आपको उद्धार प्राप्‍त होगा—आपको तथा आपके परिवार को.” तब उन्होंने कारागार-शासक और उसके सारे परिवार को प्रभु के वचन की शिक्षा दी. कारागार-शासक ने रात में उसी समय उनके घावों को धोया. बिना देर किए उसने और उसके परिवार ने बपतिस्मा लिया. इसके बाद वह उन्हें अपने घर ले आया और उन्हें भोजन कराया. परमेश्वर में सपरिवार विश्वास करके वे सभी बहुत आनंदित थे. अगले दिन प्रधान हाकिमों ने अपने अधिकारियों द्वारा यह आज्ञा भेजी, “उन व्यक्तियों को छोड़ दो.” कारागार-शासक ने इस आज्ञा की सूचना पौलॉस को देते हुए कहा, “प्रधान न्यायाधीशों ने आपको छोड़ देने की आज्ञा दी है. इसलिये आप शांतिपूर्वक यहां से विदा हो सकते हैं.” पौलॉस ने उन्हें उत्तर दिया, “उन्होंने हमें बिना किसी मुकद्दमे के सबके सामने पिटवाया, जबकि हम रोमी नागरिक हैं, फिर हमें कारागार में भी डाल दिया और अब वे हमें चुपचाप बाहर भेजना चाह रहे हैं! बिलकुल नहीं! स्वयं उन्हीं को यहां आने दीजिए, वे ही हमें यहां से बाहर छोड़ देंगे.” उन अधिकारियों ने यह सब प्रधान न्यायाधीशों को जा बताया. यह मालूम होने पर कि पौलॉस तथा सीलास रोमी नागरिक हैं वे बहुत ही डर गए. तब वे स्वयं आकर पौलॉस तथा सीलास को मनाने लगे और उन्हें कारागार से बाहर लाकर उनसे नगर से चले जाने की विनती करते रहे. तब पौलॉस तथा सीलास कारागार से निकलकर लुदिया के घर गए. वहां भाई बहिनों से भेंट कर उन्हें प्रोत्साहित करते हुए वे वहां से विदा हो गए. थेस्सलोनिकेयुस नगर में यहूदियों द्वारा उत्पन्‍न समस्याएं तब वे यात्रा करते हुए अम्फ़िपोलिस और अपोल्लोनिया नगरों से होते हुए थेस्सलोनिकेयुस नगर पहुंचे, जहां यहूदियों का एक आराधनालय था. रोज़ की तरह पौलॉस यहूदी आराधनालय में गए और तीन शब्बाथों पर पवित्र शास्त्र के आधार पर उनसे वाद-विवाद करते रहे और सबूतों के साथ समझाते रहे कि यह निर्धारित ही था कि मसीह सताहट सहते हुए मरे हुओं में से पुनर्जीवित हों. तब उन्होंने घोषणा की, “यही येशु, जिनका वर्णन मैं कर रहा हूं, वह मसीह हैं.” कुछ यहूदी इस बात से आश्वस्त होकर पौलॉस और सीलास के साथ सहमत हो गए. इनके अलावा परमेश्वर के प्रति श्रद्धालु यूनानी और बड़ी संख्या में अनेक कुलीन महिलाएं भी इस विश्वासमत में शामिल हो गईं. कुछ यहूदी यह सब देख जलन से भर गए और उन्होंने अपने साथ असामाजिक तत्वों को ले नगर चौक में इकट्ठा हो हुल्लड़ मचाना शुरू कर दिया. वे यासोन के मकान के सामने इकट्ठा होकर पौलॉस और सीलास को भीड़ के सामने लाने का प्रयास करने लगे. उन्हें वहां न पाकर वे यासोन और कुछ अन्य शिष्यों को घसीटकर नगर के अधिकारियों के सामने ले जाकर चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे, “ये वे लोग हैं, जिन्होंने संसार को अस्त-व्यस्त कर दिया है और अब ये यहां भी आ पहुंचे हैं. यासोन ने उन्हें अपने घर में शरण दी है. ये सभी कयसर के आदेशों के खिलाफ़ काम करते हैं. इनका मानना है कि राजा एक अन्य व्यक्ति है—येशु.” यह सुनना था कि भीड़ तथा नगर-शासक भड़क उठे. उन्होंने यासोन और अन्य शिष्यों की ज़मानत मिलने पर ही उन्हें रिहा किया. बेरोया नगर में नई समस्याएं रात होते ही शिष्यों ने पौलॉस और सीलास को बिना देर किए बेरोया नगर की ओर भेज दिया. वहां पहुंचते ही वे यहूदियों के आराधनालय में गए. बेरोयावासी यहूदी थेस्सलोनिकेयुस के लोगों की तुलना में अधिक महान चरित्र के थे. उन्होंने प्रभु के वचन को बड़ी लालसा से स्वीकार कर लिया. बातों की सच्चाई की पुष्टि के उद्देश्य से वे हर दिन पवित्र शास्त्र का गंभीरता से अध्ययन किया करते थे. परिणामस्वरूप उनमें से अनेकों ने विश्वास किया. जिनमें अनेक जाने माने यूनानी स्त्री-पुरुष भी थे. किंतु जब थेस्सलोनिकेयुस नगर के यहूदियों को यह मालूम हुआ कि पौलॉस ने बेरोया में भी परमेश्वर के वचन का प्रचार किया है, वे वहां भी जा पहुंचे और लोगों को भड़काने लगे. तुरंत ही मसीह के विश्वासियों ने पौलॉस को समुद्र के किनारे पर भेज दिया किंतु सीलास और तिमोथियॉस वहीं रहे. पौलॉस के सहायकों ने उन्हें अथेनॉन नगर तक पहुंचा दिया किंतु पौलॉस के इस आज्ञा के साथ वे बेरोया लौट गए कि सीलास और तिमोथियॉस को जल्द ही उनके पास भेज दिया जाए. अथेनॉन नगर में पौलॉस जब पौलॉस अथेनॉन नगर में सीलास और तिमोथियॉस की प्रतीक्षा कर रहे थे, वह यह देखकर कि सारा नगर मूर्तियों से भरा हुआ है, आत्मा में बहुत दुःखी हो उठे. इसलिये वह यहूदी सभागृह में हर रोज़ यहूदियों, भक्त यूनानियों और नगर चौक में उपस्थित व्यक्तियों से वाद-विवाद करने लगे. कुछ ऍपीक्यूरी और स्तोइकवादी17:18 ऍपीक्यूरी और स्तोइकवादी एपिकुरिज्म दर्शन की एक प्रणाली है. यह लगभग ई.पू. 307 में जीवित प्राचीन यूनानी दार्शनिक एपिकुरस की शिक्षाओं पर आधारित है. एपिकुरस ने सिखाया कि आनंद पाना ही जीवन का सबसे मुख्य लक्ष्य है. स्तोइक का मानना था कि अपनी भीतर की आत्मा पर भरोसा करके खुशी पा सकते हैं. उन्होंने सिखाया कि सबसे अच्छी भलाई ज्ञान पर आधारित है. दार्शनिक भी उनसे बातचीत करते रहे. उनमें से कुछ आपस में कह रहे थे, “क्या कहना चाहता है यह खोखला बकवादी?” कुछ अन्यों ने कहा, “ऐसा लगता है वह कुछ नए देवताओं का प्रचारक है!” क्योंकि पौलॉस के प्रचार का विषय था मसीह येशु और पुनरुत्थान. इसलिये वे पौलॉस को एरियोपागुस नामक आराधनालय में ले गए. वहां उन्होंने पौलॉस से प्रश्न किया, “आपके द्वारा दी जा रही यह नई शिक्षा क्या है, क्या आप हमें समझाएंगे? क्योंकि आपके द्वारा बतायी गई बातें हमारे लिए अनोखी हैं. हम जानना चाहते हैं कि इनका मतलब क्या है.” सभी अथेनॉनवासियों और वहां आए परदेशियों की रीति थी कि वे अपना सारा समय किसी अन्य काम में नहीं परंतु नए-नए विषयों को सुनने या कहने में ही लगाया करते थे. एरियोपागुस आराधनालय में पौलॉस ने उनके मध्य जा खड़े होकर उन्हें संबोधित करते हुए कहा: “अथेनॉनवासियों! आपके विषय में मेरा मानना है कि आप हर ओर से बहुत ही धार्मिक हैं. क्योंकि जब मैंने टहलते हुए आपकी पूजा की चीज़ों पर गौर किया, मुझे एक वेदी ऐसी भी दिखाई दी जिस पर ये शब्द खुद हुए थे: अनजाने ईश्वर को. आप जिनकी आराधना अनजाने में करते हैं, मैं आपसे उन्हीं का वर्णन करूंगा. “वह परमेश्वर जिन्होंने विश्व और उसमें की सब वस्तुओं की सृष्टि की, जो स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी हैं, न तो वह मनुष्य के बनाए मंदिरों में वास करते हैं और न ही उन्हें ज़रूरत है किसी मनुष्य की सेवा की—वह किसी पर निर्भर नहीं हैं क्योंकि वही सबके जीवन, सांस तथा सभी आवश्यक वस्तुओं के देनेवाले हैं. वही हैं, जिन्होंने एक ही मूल पुरुष से सारे संसार पर बसा देने के लक्ष्य से हर एक जाति को बनाया तथा उनके ठहराए हुए समय तथा निवास सीमाओं का निर्धारण भी किया कि वे परमेश्वर की खोज करें और कहीं उन्हें खोजते-खोजते प्राप्‍त भी कर लें—यद्यपि वह हममें से किसी से भी दूर नहीं हैं. क्योंकि उन्हीं में हमारा जीवन, हमारा चलना फिरना तथा हमारा अस्तित्व बना है—ठीक वैसा ही जैसा कि आप ही के अपने कुछ कवियों ने भी कहा है: ‘हम भी उनके वंशज हैं.’ “इसलिये परमेश्वर के वंशज होने के कारण हमारी यह धारणा अनुचित है कि ईश्वरत्व सोने-चांदी, पत्थर, कलाकार की कलाकृति तथा मनुष्य के विचार के समान है. अब तक तो परमेश्वर इस अज्ञानता की अनदेखी करते रहे हैं किंतु अब परमेश्वर हर जगह प्रत्येक व्यक्ति को पश्चाताप का बुलावा दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने एक दिन तय किया है जिसमें वह धार्मिकता में स्वयं अपने द्वारा ठहराए हुए उस व्यक्ति के माध्यम से संसार का न्याय करेंगे जिन्हें उन्होंने मरे हुओं में से दोबारा जीवित करने के द्वारा सभी मनुष्यों के सामने प्रमाणित कर दिया है.” जैसे ही उन लोगों ने मरे हुओं में से जी उठने का वर्णन सुना, उनमें से कुछ तो ठट्ठा करने लगे किंतु कुछ अन्यों ने कहा, “इस विषय में हम आपसे और अधिक सुनना चाहेंगे.” उस समय पौलॉस उनके मध्य से चले गए किंतु कुछ ने उनका अनुचरण करते हुए प्रभु में विश्वास किया. उनमें एरियोपागुस का सदस्य दियोनुसियॉस, दामारिस नामक एक महिला तथा कुछ अन्य व्यक्ति थे. कोरिन्थॉस नगर में कलीसिया की नींव इसके बाद पौलॉस अथेनॉन नगर से कोरिन्थॉस नगर चले गए. वहां उनकी भेंट अकुलॉस नामक एक यहूदी से हुई. वह जन्मतः पोन्तॉस नगर का निवासी था. कुछ ही समय पूर्व वह अपनी पत्नी प्रिस्का के साथ इतालिया से पलायन कर आया था क्योंकि सम्राट क्लॉदियॉस ने रोम से सारे यहूदियों के निकल जाने की आज्ञा दी थी. पौलॉस उनसे भेंट करने गए. पौलॉस और अकुलॉस का व्यवसाय एक ही था इसलिये पौलॉस उन्हीं के साथ रहकर काम करने लगे—वे दोनों ही तंबू बनानेवाले थे. हर एक शब्बाथ पर पौलॉस यहूदी आराधनालय में प्रवचन देते और यहूदियों तथा यूनानियों की शंका दूर करते थे. जब मकेदोनिया से सीलास और तिमोथियॉस वहां आए तो पौलॉस मात्र वचन की शिक्षा देने के प्रति समर्पित हो गए और यहूदियों के सामने यह साबित करने लगे कि येशु ही वह मसीह हैं. उनकी ओर से प्रतिरोध और निंदा की स्थिति में पौलॉस अपने वस्त्र झटक कर कह दिया करते थे, “अपने विनाश के लिए तुम स्वयं दोषी हो—मैं निर्दोष हूं. अब मैं गैर-यहूदियों के मध्य जा रहा हूं.” पौलॉस यहूदी आराधनालय से निकलकर तीतॉस युस्तस नामक व्यक्ति के घर चले गए. वह परमेश्वर भक्त व्यक्ति था. उसका घर यहूदी आराधनालय के पास ही था. यहूदी आराधनालय के प्रभारी क्रिस्पॉस ने सपरिवार प्रभु में विश्वास किया. अनेक कोरिन्थवासी वचन सुन विश्वास कर बपतिस्मा लेते जा रहे थे. प्रभु ने पौलॉस से रात में दर्शन में कहा, “अब भयभीत न होना. वचन का प्रचार करते जाओ. मौन न रहो. मैं तुम्हारे साथ हूं. कोई तुम पर आक्रमण करके तुम्हें हानि नहीं पहुंचा सकता क्योंकि इस नगर में मेरे अनेक भक्त हैं.” इसलिये पौलॉस वहां एक वर्ष छः माह तक रहे और परमेश्वर के वचन की शिक्षा देते रहे. जब गैलियो आखाया प्रदेश का राज्यपाल था, यहूदी एक मत होकर पौलॉस के विरुद्ध खड़े हो गए और उन्हें न्यायालय ले गए. उन्होंने उन पर आरोप लगाया, “यह व्यक्ति लोगों को परमेश्वर की आराधना इस प्रकार से करने के लिए फुसला रहा है, जो व्यवस्था के आदेशों के विपरीत है.” जब पौलॉस अपनी-अपनी रक्षा में कुछ बोलने पर ही थे, गैलियो ने यहूदियों से कहा, “ओ यहूदियों! यदि तुम मेरे सामने किसी प्रकार के अपराध या किसी घोर दुष्टता का आरोप लेकर आते तो मैं उसके लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करता किंतु यदि यह विवादित शब्दों, नामों या तुम्हारे ही अपने विधान से संबंधित है तो इसका निर्णय तुम स्वयं करो. मैं इसका निर्णय नहीं करना चाहता.” फिर उसने उन्हें न्यायालय के बाहर खदेड़ दिया. यहूदियों ने यहूदी आराधनालय के प्रधान सोस्थेनेस को पकड़कर न्यायालय के सामने ही पीटना प्रारंभ कर दिया. गैलियो पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. पौलॉस की तीसरी यात्रा का प्रारंभ वहां अनेक दिन रहने के बाद पौलॉस भाई बहिनों से विदा लेकर जलमार्ग से सीरिया प्रदेश चले गए. उनके साथ प्रिस्का और अकुलॉस भी थे. केनख्रेया नगर में पौलॉस ने अपना मुंडन करवा लिया क्योंकि उन्होंने एक संकल्प लिया था. वे इफ़ेसॉस नगर में आए. पौलॉस उन्हें वहीं छोड़कर यहूदी सभागृह में जाकर यहूदियों से वाद-विवाद करने लगे. वे पौलॉस से कुछ दिन और ठहरने की विनती करते रहे किंतु पौलॉस राज़ी नहीं हुए. पौलॉस ने उनसे यह कहते हुए आज्ञा चाही “यदि परमेश्वर चाहेंगे तो मैं दोबारा लौटकर तुम्हारे पास आऊंगा” और वह इफ़ेसॉस नगर छोड़कर जलमार्ग से आगे चले गए. कयसरिया नगर पहुंचकर येरूशलेम जाकर उन्होंने कलीसिया से भेंट की और फिर अंतियोख़ नगर चले गए. अंतियोख़ नगर में कुछ दिन बिता कर वह वहां से विदा हुए और नगर-नगर यात्रा करते हुए सभी गलातिया प्रदेश और फ़्रिजिया क्षेत्र में से होते हुए शिष्यों को प्रोत्साहित करते हुए आगे बढ़ गए. अपोल्लॉस नामक एक यहूदी व्यक्ति थे, जिनका जन्म अलेक्सान्द्रिया नगर में हुआ था. वह इफ़ेसॉस नगर आए. वह प्रभावशाली वक्ता और पवित्र शास्त्र के बड़े ज्ञानी थे किंतु उन्हें प्रभु के मार्ग की मात्र ज़ुबानी शिक्षा दी गई थी. वह अत्यंत उत्साही स्वभाव के थे तथा मसीह येशु के विषय में उनकी शिक्षा सटीक थी किंतु उनका ज्ञान मात्र योहन के बपतिस्मा तक ही सीमित था. अपोल्लॉस निडरता से यहूदी आराधनालय में प्रवचन देने लगे किंतु जब प्रिस्का और अकुलॉस ने उनका प्रवचन सुना तो वे उन्हें अलग ले गए और वहां उन्होंने अपोल्लॉस को परमेश्वर के शिक्षा-सिद्धान्त की सच्चाई को और अधिक साफ़ रीति से समझाया. जब अपोल्लॉस ने आखाया प्रदेश के आगे जाने की इच्छा व्यक्त की तो भाई बहिनों ने उन्हें प्रोत्साहित किया तथा आखाया प्रदेश के शिष्यों को पत्र लिखकर विनती की कि वे उन्हें स्वीकार करें. इसलिये जब अपोल्लॉस वहां पहुंचे, उन्होंने उन शिष्यों का बहुत प्रोत्साहन किया, जिन्होंने अनुग्रह द्वारा विश्वास किया था क्योंकि वह सार्वजनिक रूप से यहूदियों का खंडन करते और पवित्र शास्त्र के आधार पर प्रमाणित करते थे कि येशु ही वह मसीह हैं. इफ़ेसॉस नगर में योहन के शिष्य जब अपोल्लॉस कोरिन्थॉस नगर में थे तब पौलॉस दूरवर्तीय प्रदेशों से होते हुए इफ़ेसॉस नगर आए और उनकी भेंट कुछ शिष्यों से हुई. पौलॉस ने उनसे प्रश्न किया, “क्या विश्वास करते समय तुमने पवित्र आत्मा प्राप्‍त किया था?” उन्होंने उत्तर दिया, “नहीं. हमने तो यह सुना तक नहीं कि पवित्र आत्मा भी कुछ होता है.” तब पौलॉस ने प्रश्न किया, “तो तुमने बपतिस्मा कौन सा लिया था?” उन्होंने उत्तर दिया, “योहन का.” तब पौलॉस ने उन्हें समझाया, “योहन का बपतिस्मा मात्र पश्चाताप का बपतिस्मा था. बपतिस्मा देते हुए योहन यह कहते थे कि लोग विश्वास उनमें करें, जो उनके बाद आ रहे थे अर्थात् मसीह येशु.” जब उन शिष्यों को यह समझ में आया तो उन्होंने प्रभु येशु मसीह के नाम में बपतिस्मा लिया. जब पौलॉस ने उनके ऊपर हाथ रखा, उन पर पवित्र आत्मा उतरा और वे अन्य भाषाओं में बातचीत और भविष्यवाणी करने लगे. ये लगभग बारह व्यक्ति थे. तब पौलॉस आराधनालय में गए और वहां वह तीन माह तक हर शब्बाथ को निडरता से बोलते रहे तथा परमेश्वर के राज्य के विषय में लोगों की शंकाओं को दूर करते रहे. किंतु, जो कठोर थे, उन्होंने वचन को नहीं माना और सार्वजनिक रूप से इस मत के विषय में बुरे विचारों का प्रचार किया. इसलिये पौलॉस अपने शिष्यों को साथ ले वहां से चले गए. वह तिरान्‍नुस के विद्यालय में गए, जहां वह हर रोज़ भीड़ से परमेश्वर संबंधी विषयों पर बात किया करते थे. यह सब दो वर्ष तक होता रहा. इसके परिणामस्वरूप सारे आसिया प्रदेश में यहूदियों तथा यूनानियों दोनों ही ने प्रभु का संदेश सुना. परमेश्वर ने पौलॉस के द्वारा असाधारण चमत्कार दिखाए, यहां तक कि उनके शरीर से स्पर्श हुए रूमाल और अंगोछे जब रोगियों तक ले जाए गए, वे स्वस्थ हो गए तथा दुष्टात्मा उन्हें छोड़ चले गए. नगर-नगर घूमते हुए कुछ यहूदी ओझाओं ने भी दुष्टात्मा से पीड़ितों को प्रभु येशु मसीह के नाम में यह कहते हुए दुष्टात्माओं से मुक्त करने का प्रयास किया, “मैं येशु नाम में, जिनका प्रचार प्रेरित पौलॉस करते हैं, तुम्हें बाहर आने की आज्ञा देता हूं.” स्कीवा नामक यहूदी प्रधान पुरोहित के सात पुत्र थे, जो यही कर रहे थे. एक दिन एक दुष्टात्मा ने उनसे कहा, “येशु को तो मैं जानता हूं तथा पौलॉस के विषय में भी मुझे मालूम है, किंतु तुम कौन हो?” और उस दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति ने लपक कर उन सभी को अपने वश में कर लिया और उनकी ऐसी पिटाई की कि वे उस घर से नंगे तथा घायल होकर भागे. इस घटना के विषय में इफ़ेसॉस नगर के सभी यहूदियों और यूनानियों को मालूम हो गया और उन पर आतंक छा गया किंतु प्रभु येशु मसीह का नाम बढ़ता चला गया. कुछ नए शिष्यों ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि वे स्वयं भी इन्हीं कामों में लगे हुए थे. अनेक जादूगरों ने अपनी पोथियां लाकर सबके सामने जला दी. उनका आका गया कुल दाम पचास हज़ार चांदी के सिक्‍के था. प्रभु के पराक्रम से वचन बढ़ता गया और मजबूत होता चला गया. इसके बाद पौलॉस ने अपने मन में मकेदोनिया तथा आखाया प्रदेश से होते हुए येरूशलेम जाने का निश्चय किया. वह मन में विचार कर रहे थे, “इन सबके बाद मेरा रोम जाना भी सही होगा.” अपने दो सहायकों—तिमोथियॉस तथा इरास्तुस को मकेदोनिया प्रदेश प्रेषित कर वह स्वयं कुछ समय के लिए आसिया प्रदेश में रुक गए. इफ़ेसॉस में दंगा उसी समय वहां इस मत को लेकर बड़ी खलबली मच गई. देमेत्रियॉस नामक एक चांदी का कारीगर था, जो आरतिमिस देवी के मंदिर के मूर्तियां गढ़ा करता था, जिससे कारीगरों का एक बड़ा उद्योग चल रहा था. उसने इन्हें तथा इसी प्रकार के काम करनेवाले सब कारीगरों को इकट्ठा कर उनसे कहा, “भाइयो, यह तो आप समझते ही हैं कि हमारी बढ़ोतरी का आधार यही काम है. आपने देखा और सुना होगा कि न केवल इफ़ेसॉस नगर में परंतु सभी आसिया प्रदेश में इस पौलॉस ने बड़ी संख्या में लोगों को यह कहकर भरमा दिया है कि हाथ के गढ़े देवता वास्तविक देवता नहीं होते. अब जोखिम न केवल यह है कि हमारे काम का सम्मान जाता रहेगा परंतु यह भी कि महान देवी आरतिमिस का मंदिर भी व्यर्थ साबित हो जाएगा और वह, जिसकी पूजा सारा आसिया प्रदेश ही नहीं परंतु सारा विश्व करता है, अपने भव्य पद से गिरा दी जाएगी.” यह सुनते ही वे सब क्रोध से भर गए और चिल्ला उठे, “इफ़ेसॉसवासियों की देवी आरतिमिस महान है!” सारा नगर घबराया हुआ था. एकजुट हो वे मकेदोनिया प्रदेश से आए पौलॉस के साथी गायॉस तथा आरिस्तारख़ॉस को घसीटते हुए रंगशाला की ओर भागे. पौलॉस इस भीड़ के सामने जाना ही चाहते थे किंतु शिष्यों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. न केवल उन्होंने परंतु नगर-प्रशासकों ने भी, जो पौलॉस के मित्र थे, बार-बार संदेश भेजकर उनसे रंगशाला की ओर न जाने की विनती की. भीड़ में से कोई कुछ चिल्ला रहा था तो कोई और कुछ. सारी भीड़ पूरी तरह घबराई हुई थी. बहुतों को तो यही मालूम न था कि वे वहां इकट्ठा किस लिए हुए हैं. कुछ ने यह अर्थ निकाला कि यह सब अलेक्सान्दरॉस के कारण हो रहा है क्योंकि यहूदियों ने उसे ही आगे कर रखा था. वह अपने हाथ के संकेत से अपने बचाव में भीड़ से कुछ कहने का प्रयास भी कर रहा था किंतु जैसे ही उन्हें यह मालूम हुआ कि अलेक्सान्दरॉस यहूदी है, सारी भीड़ लगभग दो घंटे तक एक शब्द में चिल्लाती रही “इफ़ेसॉसवासियों की देवी आरतिमिस महान है.” भीड़ के शांत हो जाने पर नगर के हाकिमों ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “इफ़ेसॉसवासियो! भला यह कौन नहीं जानता कि इफ़ेसॉस नगर महान आरतिमिस तथा उस मूर्ति का रक्षक है, जो आकाश से उतरी है. अब, जबकि यह बिना विवाद के सच है, ठीक यह होगा कि आप शांत रहें और बिना सोचे समझे कुछ भी न करें. आप इन व्यक्तियों को यहां ले आए हैं, जो न तो मंदिरों के लुटेरे हैं और न ही हमारी देवी की निंदा करनेवाले. इसलिये यदि देमेत्रियॉस और उसके साथी कारीगरों को इनके विषय में कोई आपत्ति है तो न्यायालय खुला है तथा न्यायाधीश भी उपलब्ध हैं. वे उनके सामने अपने आरोप पेश करें. यदि आपकी इसके अलावा कोई दूसरी मांग है तो उसे नियत सभा में ही पूरा किया जाएगा. आज की इस घटना के कारण हम पर उपद्रव का आरोप लगने का खतरा है क्योंकि इसके लिए कोई भी ठोस कारण दिखाई नहीं पड़ता. इस संबंध में हम इस तितर-बितर भीड़ के इकट्ठा होने का ठोस कारण देने में असमर्थ होंगे.” यह कहकर नगर हाकिमों ने भीड़ को विदा कर दिया. इफ़ेसॉस नगर से पौलॉस का रवाना होना नगर में कोलाहल शांत होने पर पौलॉस ने शिष्यों को बुलवाया, उनको प्रोत्साहित किया और उनसे विदा लेकर मकेदोनिया प्रदेश की ओर रवाना हुआ. वह उन सभी क्षेत्रों में से होते हुए, वहां शिष्यों का उत्साह बढ़ाते हुए यूनान देश जा पहुंचे. वह वहां तीन महीने तक कार्य करते रहे किंतु जब वह सीरिया प्रदेश की यात्रा प्रारंभ करने पर थे, उन्हें यह सूचना प्राप्‍त हुई कि यहूदी उनके विरुद्ध षड़्‍यंत्र रच रहे हैं, तो उन्होंने मकेदोनिया प्रदेश से होते हुए लौट जाने का निश्चय किया. इस यात्रा में बेरोयावासी पायरूस के पुत्र सोपेतर, थेस्सलोनिकेयुस नगर के आरिस्तारख़ॉस, सेकुन्दुस, दरबे से गायॉस, तिमोथियॉस तथा आसिया प्रदेश से तुख़िकस व त्रोफ़िमस हमारे साथी यात्री थे. ये साथी यात्री हमसे आगे चले गए और त्रोऑस नगर पहुंचकर हमारा इंतजार करते रहे किंतु हमने अखमीरी रोटी के उत्सव के बाद ही फ़िलिप्पॉय नगर से जलमार्ग द्वारा यात्रा शुरू की. पांच दिन में हम त्रोऑस नगर पहुंचे और अपने साथियों से मिले. वहां हम सात दिन रहे. त्रोऑस नगर: पौलॉस द्वारा मृतक व्यक्ति का उत्थान सप्‍ताह के पहले दिन हम रोटी तोड़ने के लिए इकट्ठा हुए. पौलॉस ने वहां प्रवचन देना प्रारंभ कर दिया, जो मध्य रात्रि तक चलता गया क्योंकि उनकी योजना अगले दिन यात्रा प्रारंभ करने की थी. उस ऊपरी कक्ष में, जहां सब इकट्ठा हुए थे, अनेक दीपक जल रहे थे. यूतिकुस नामक एक युवक खिड़की पर बैठा हुआ झपकियां ले रहा था. पौलॉस प्रवचन करते चले गए और यूतिकुस को गहरी नींद आ गई. वह तीसरे तल से भूमि पर जा गिरा और उसकी मृत्यु हो गई. पौलॉस नीचे गए, उसके पास जाकर उससे लिपट गए और कहा, “घबराओ मत, यह जीवित है.” तब वह दोबारा ऊपर गए और रोटी तोड़ने की रीति पूरी की. वह उनसे इतनी लंबी बातचीत करते रहे कि सुबह हो गई. इसके बाद वे वहां से चले गए. उस युवक को वहां से जीवित ले जाते हुए उन सबके हर्ष की कोई सीमा न थी. त्रोऑस नगर से मिलेतॉस नगर को हम जलयान पर सवार हो अस्सोस नगर की ओर आगे बढ़े, जहां से हमें पौलॉस को साथ लेकर आगे बढ़ना था. पौलॉस वहां थल मार्ग से पहुंचे थे क्योंकि यह उन्हीं की पहले से ठहराई योजना थी. अस्सोस नगर में उनसे भेंट होने पर हमने उन्हें जलयान में अपने साथ लिया और मितिलीन नगर जा पहुंचे. दूसरे दिन वहां से यात्रा करते हुए हम किऑस नगर के पास से होते हुए सामोस नगर पहुंचे और उसके अगले दिन मिलेतॉस नगर. पौलॉस ने इफ़ेसॉस नगर में न उतरकर आगे बढ़ते जाने का निश्चय किया क्योंकि वह चाहते थे कि आसिया प्रदेश में ठहरने के बजाय यदि संभव हो तो शीघ्र ही पेन्तेकॉस्त उत्सव के अवसर पर येरूशलेम पहुंच जाएं. मिलेतॉस नगर से पौलॉस ने इफ़ेसॉस नगर को समाचार भेजकर कलीसिया के प्राचीनों को बुलवाया. उनके वहां पहुंचने पर पौलॉस ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा: “आसिया प्रदेश में मेरे प्रवेश के पहले दिन से आपको यह मालूम है कि मैं किस प्रकार हमेशा आपके साथ रहा, और किस तरह सारी विनम्रता में आंसू बहाते हुए उन यातनाओं के बीच भी, जो यहूदियों के षड़्‍यंत्र के कारण मुझ पर आई, मैं प्रभु की सेवा करता रहा. घर-घर जाकर तथा सार्वजनिक रूप से वह शिक्षा देने में, जो तुम्हारे लिए लाभदायक है, मैं कभी पीछे नहीं रहा. मैं यहूदियों और यूनानियों से पूरी सच्चाई में पश्चाताप के द्वारा परमेश्वर की ओर मन फिराने तथा हमारे प्रभु येशु मसीह में विश्वास की विनती करता रहा हूं. “अब, पवित्र आत्मा की प्रेरणा में मैं येरूशलेम जा रहा हूं. वहां मेरे साथ क्या होगा, इससे मैं अनजान हूं; बजाय इसके कि हर एक नगर में पवित्र आत्मा मुझे सावधान करते रहते हैं कि मेरे लिए बेड़ियां और यातनाएं तैयार हैं. अपने जीवन से मुझे कोई मोह नहीं है सिवाय इसके कि मैं अपनी इस दौड़ को पूरा करूं तथा उस सेवाकार्य को, जो प्रभु येशु मसीह द्वारा मुझे सौंपा गया है—पूरी सच्चाई में परमेश्वर के अनुग्रह के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार की. “अब यह भी सुनो: मैं जानता हूं कि तुम सभी, जिनके बीच मैंने राज्य का प्रचार किया है, अब मेरा मुख कभी न देख सकोगे. इसलिये आज मैं तुम सब पर यह स्पष्ट कर रहा हूं कि मैं किसी के भी विनाश का दोषी नहीं हूं. मैंने किसी पर भी परमेश्वर के सारे उद्देश्य को बताने में आनाकानी नहीं की. तुम लोग अपना ध्यान रखो तथा उस समूह का भी, जिसका रखवाला तुम्हें पवित्र आत्मा ने चुना है कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की देखभाल करो जिसे उन्होंने स्वयं अपना लहू देकर मोल लिया है. मैं जानता हूं कि मेरे जाने के बाद तुम्हारे बीच फाड़नेवाले भेड़िये आ जाएंगे, जो इस समूह को नहीं छोड़ेंगे. इतना ही नहीं, तुम्हारे बीच से ऐसे व्यक्तियों का उठना होगा, जो गलत शिक्षा देने लगेंगे और तुम्हारे ही झुंड में से अपने चेले बनाने लगेंगे. इसलिये यह याद रखते हुए सावधान रहो कि तीन वर्ष तक मैंने दिन-रात आंसू बहाते हुए तुम्हें चेतावनी देने में कोई ढील नहीं दी. “अब मैं तुम्हें प्रभु और उनके अनुग्रह के वचन की देखभाल में सौंप रहा हूं, जिसमें तुम्हारे विकास करने तथा तुम्हें उन सबके साथ मीरास प्रदान करने की क्षमता है, जो प्रभु के लिए अलग किए गए हैं. मैंने किसी के स्वर्ण, रजत या वस्त्र का लालच नहीं किया. तुम सब स्वयं जानते हो कि अपनी ज़रूरतों की पूर्ति के लिए तथा उनके लिए भी, जो मेरे साथ रहे, मैंने अपने इन हाथों से मेहनत की है. हर एक परिस्थिति में मैंने तुम्हारे सामने यही आदर्श प्रस्तुत किया है कि यह ज़रूरी है कि हम दुर्बलों की सहायता इसी रीति से कठिन परिश्रम के द्वारा करें. स्वयं प्रभु येशु द्वारा कहे गए ये शब्द याद रखो, ‘लेने के बजाय देना धन्य है.’ ” जब पौलॉस यह कह चुके, उन्होंने घुटने टेककर उन सबके साथ प्रार्थना की. तब शिष्य रोने लगे और पौलॉस से गले लगकर उन्हें बार-बार चूमने लगे. उनकी पीड़ा का सबसे बड़ा कारण यह था कि पौलॉस ने कह दिया था कि अब वे उन्हें कभी न देख सकेंगे. इसके बाद वे सब पौलॉस के साथ जलयान तक गए. येरूशलेम की ओर जाना जब हमने उनसे विदा लेकर जलमार्ग से यात्रा प्रारंभ की और हमने सीधे कॉस द्वीप का मार्ग लिया, फिर अगले दिन रोदॉस द्वीप का और वहां से पतारा द्वीप का. वहां फ़ॉयनिके नगर जाने के लिए एक जलयान तैयार था. हम उस पर सवार हो गए और हमने यात्रा प्रारंभ की. हमें बायीं ओर सैप्रस द्वीप दिखाई दिया. हम उसे छोड़कर सीरिया प्रदेश की ओर बढ़ते गए और सोर नगर जा पहुंचे क्योंकि वहां जलयान से सामान उतारा जाना था. वहां हमने शिष्यों का पता लगाया और उनके साथ सात दिन रहे. पवित्र आत्मा के माध्यम से वे बार-बार पौलॉस से येरूशलेम न जाने की विनती करते रहे. जब वहां से हमारे जाने का समय आया, वे परिवार के साथ हमें विदा करने नगर सीमा तक आए. समुद्रतट पर हमने घुटने टेककर प्रार्थना की और एक दूसरे से विदा ली. हम जलयान में सवार हो गए और वे सब अपने-अपने घर लौट गए. सोर नगर से शुरू की गई यात्रा पूरी कर हम प्‍तुलेमाईस नगर पहुंचे. स्थानीय भाई बहिनों से भेंट कर हम एक दिन वहीं रुक गए. अगले दिन यात्रा करते हुए हम कयसरिया आए और प्रचारक फ़िलिप्पॉस के घर गए, जो उन सात दीकनों में से एक थे. हम उन्हीं के घर में ठहरे. उनकी चार कुंवारी पुत्रियां थी, जो भविष्यवाणी किया करती थी. जब हमें, वहां रहते हुए कुछ दिन हो गए, वहां हागाबुस नामक एक भविष्यवक्ता आए, जो यहूदिया प्रदेश के थे. वह जब हमसे भेंट करने आए, उन्होंने पौलॉस का पटुका लेकर उससे अपने हाथ-पैर बांधते हुए कहा, “पवित्र आत्मा का कहना है, ‘येरूशलेम के यहूदी अगुए उस व्यक्ति को इसी रीति से बांधेंगे जिसका यह पटुका है और उसे अन्यजातियों के हाथों में सौंप देंगे.’ ” यह सुनकर स्थानीय शिष्यों और हमने भी पौलॉस से येरूशलेम न जाने की विनती की. पौलॉस ने उत्तर दिया, “इस प्रकार रो-रोकर मेरा हृदय क्यों तोड़ रहे हो? मैं येरूशलेम में न केवल बंदी बनाए जाने परंतु प्रभु येशु मसीह के नाम के लिए मार डाले जाने के लिए भी तैयार हूं.” इसलिये जब उन्हें मनाना असंभव हो गया, हम शांत हो गए. हम केवल यही कह पाए, “प्रभु ही की इच्छा पूरी हो!” कुछ दिन बाद हमने तैयारी की और येरूशलेम के लिए चल दिए. कयसरिया नगर के कुछ शिष्य भी हमारे साथ हो लिए. ठहरने के लिए हमें सैप्रसवासी म्नेसॉन के घर ले जाया गया. वह सबसे पहले के शिष्यों में से एक था. पौलॉस येरूशलेम में येरूशलेम पहुंचने पर भाई बहिनों ने बड़े आनंदपूर्वक हमारा स्वागत किया. अगले दिन पौलॉस हमारे साथ याकोब के निवास पर गए, जहां सभी प्राचीन इकट्ठा थे. नमस्कार के बाद पौलॉस ने एक-एक करके वह सब बताना शुरू किया, जो परमेश्वर ने उनकी सेवा के माध्यम से अन्यजातियों के बीच किया था. यह सब सुन, वे परमेश्वर का धन्यवाद करने लगे. उन्होंने पौलॉस से कहा, “देखिए, प्रियजन, यहूदियों में हज़ारों हैं जिन्होंने विश्वास किया है. वे सभी व्यवस्था के मजबूत समर्थक भी हैं. उन्होंने यह सुन रखा है कि आप गैर-यहूदियों के बीच निवास कर रहे यहूदियों को यह शिक्षा दे रहे हैं कि मोशेह की व्यवस्था छोड़ दो, न तो अपने शिशुओं का ख़तना करो और न ही प्रथाओं का पालन करो. अब बताइए, हम क्या करें? उन्हें अवश्य यह तो मालूम हो ही जाएगा कि आप यहां आए हुए हैं. इसलिये हमारा सुझाव मानिए: यहां ऐसे चार व्यक्ति हैं, जिन्होंने शपथ ली है, आप उनके साथ जाइए, शुद्ध होने की विधि पूरी कीजिए तथा उनके मुंडन का खर्च उठाइये. तब सबको यह मालूम हो जाएगा कि जो कुछ भी आपके विषय में कहा गया है, उसमें कोई सच्चाई नहीं है और आप स्वयं व्यवस्था का पालन करते हैं. जहां तक गैर-यहूदी शिष्यों का प्रश्न है, हमने उन्हें अपना फैसला लिखकर भेज दिया है कि वे मूर्तियों को चढ़ाई भोजन सामग्री, लहू, गला घोंट कर मारे गए पशुओं के मांस के सेवन से तथा वेश्यागामी से परे रहें.” अगले दिन पौलॉस ने इन व्यक्तियों के साथ जाकर स्वयं को शुद्ध किया. तब वह मंदिर गए कि वह वहां उस तारीख की सूचना दें, जब उनकी शुद्ध करने की रीति की अवधि समाप्‍त होगी और उनमें से हर एक के लिए भेंट चढ़ाई जाएगी. पौलॉस का बंदी बनाया जाना जब सात दिन प्रायः समाप्‍त होने पर ही थे, आसिया प्रदेश से वहां आए कुछ यहूदियों ने पौलॉस को मंदिर में देख लिया. उन्होंने सारी मौजूद भीड़ में कोलाहल मचा दिया और पौलॉस को यह कहते हुए बंदी बना लिया, “प्रिय इस्राएलियों! हमारी सहायता करो! यही है वह, जो हर जगह हमारे राष्ट्र, व्यवस्था के नियमों तथा इस मंदिर के विरुद्ध शिक्षा देता फिर रहा है. इसके अलावा यह यूनानियों को भी मंदिर के अंदर ले आया है. अब यह पवित्र स्थान अपवित्र हो गया है.” (वास्तव में इसके पहले उन्होंने इफ़ेसॉसवासी त्रोफ़िमस को पौलॉस के साथ नगर में देख लिया था इसलिये वे समझे कि पौलॉस उसे अपने साथ मंदिर में ले गए थे.) सारे नगर में खलबली मच गई. लोग एक साथ पौलॉस की ओर लपके, उन्हें पकड़ा और उन्हें घसीटकर मंदिर के बाहर कर दिया और तुरंत द्वार बंद कर दिए गए. जब वे पौलॉस की हत्या की योजना कर ही रहे थे, रोमी सेनापति को सूचना दी गई कि सारे नगर में कोलाहल मचा हुआ है. सेनापति तुरंत अपने साथ कुछ सैनिक और अधिकारियों को लेकर दौड़ता हुआ घटना स्थल पर जा पहुंचा. सेनापति और सैनिकों को देखते ही, उन्होंने पौलॉस को पीटना बंद कर दिया. सेनापति ने आगे बढ़कर पौलॉस को पकड़कर उन्हें दो-दो बेड़ियों से बांधने की आज्ञा दी और लोगों से प्रश्न किया कि यह कौन है और क्या किया है इसने? किंतु भीड़ में कोई कुछ चिल्ला रहा था तो कोई कुछ. जब सेनापति कोलाहल के कारण सच्चाई न जान पाया, उसने पौलॉस को सेना गढ़ में ले जाने का आदेश दिया. जब वे सीढ़ियों तक पहुंचे, गुस्से में बलवा करने को उतारू भीड़ के कारण सुरक्षा की दृष्टि से सैनिक पौलॉस को उठाकर अंदर ले गए. भीड़ उनके पीछे-पीछे यह चिल्लाती हुई चल रही थी, “मार डालो उसे!” पौलॉस भीड़ को संबोधित करते हैं जब वे सैनिक गढ़ पर पहुंचने पर ही थे, पौलॉस ने सेनापति से कहा, “क्या मैं आपसे कुछ कह सकता हूं?” सेनापति ने आश्चर्य से पूछा, “तुम यूनानी भाषा जानते हो? इसका अर्थ यह है कि तुम वह मिस्री नहीं हो जिसने कुछ समय पहले विद्रोह कर दिया था तथा जो चार हज़ार आतंकियों को बंजर भूमि में ले गया था.” पौलॉस ने उसे उत्तर दिया, “मैं किलिकिया प्रदेश के तारस्यॉस नगर का एक यहूदी नागरिक हूं. मैं आपकी आज्ञा पाकर इस भीड़ से कुछ कहना चाहता हूं.” सेनापति से आज्ञा मिलने पर पौलॉस ने सीढ़ियों पर खड़े होकर भीड़ से शांत रहने को कहा. जब वे सब शांत हो गए, उन्होंने भीड़ को इब्री भाषा में संबोधित किया: “प्रियजन! अब कृपया मेरा उत्तर सुन लें.” जब उन्होंने पौलॉस को इब्री भाषा में संबोधित करते हुए सुना तो वे और अधिक शांत हो गए. पौलॉस ने उनसे कहना शुरू किया. “मैं यहूदी हूं, मेरा जन्म किलिकिया प्रदेश, के तारस्यॉस नगर में तथा पालन पोषण इसी नगर येरूशलेम में हुआ है. मेरी शिक्षा नियमानुकूल पूर्वजों की व्यवस्था के अनुरूप आचार्य गमालिएल महोदय की देखरेख में हुई, आज परमेश्वर के प्रति जैसा आप सबका उत्साह है, वैसा ही मेरा भी था. मैं तो इस मत के शिष्यों को प्राण लेने तक सता रहा था, स्त्री-पुरुष दोनों को ही मैं बंदी बना कारागार में डाल देता था, महापुरोहित और पुरनियों की समिति के सदस्य इस सच्चाई के गवाह हैं, जिनसे दमिश्क नगर के यहूदियों के संबंध में अधिकार पत्र प्राप्‍त कर मैं दमिश्क नगर जा रहा था कि वहां से इस मत के शिष्यों को बंदी बनाकर येरूशलेम ले आऊं कि वे दंडित किए जाएं. “जब मैं लगभग दोपहर के समय दमिश्क नगर के पास पहुंचा, आकाश से अचानक बहुत तेज प्रकाश मेरे चारों ओर चमका और मैं भूमि पर गिर पड़ा. तभी मुझे संबोधित करता एक शब्द सुनाई दिया, ‘शाऊल! शाऊल! तुम मुझे क्यों सता रहे हो?’ “मैंने प्रश्न किया, ‘आप कौन हैं, प्रभु?’ “ ‘मैं नाज़रेथ नगर का येशु हूं, जिसे तुम सता रहे हो,’ उस शब्द ने उत्तर दिया. मेरे साथियों को प्रकाश तो अवश्य दिखाई दे रहा था किंतु मुझसे बातचीत करता हुआ शब्द उन्हें साफ़ सुनाई नहीं दे रहा था. “मैंने पूछा, ‘मैं क्या करूं, प्रभु?’ प्रभु ने मुझे उत्तर दिया. “ ‘उठो, दमिश्क नगर में जाओ, वहीं तुम्हें बताया जाएगा कि तुम्हारे द्वारा क्या-क्या किया जाना तय किया गया है.’ तेज प्रकाश के कारण मैं देखने की क्षमता खो बैठा था. इसलिये मेरे साथी मेरा हाथ पकड़कर मुझे दमिश्क नगर ले गए. “हननयाह नामक व्यक्ति, जो व्यवस्था के अनुसार परमेश्वर भक्त और सभी स्थानीय यहूदियों द्वारा सम्मानित थे, मेरे पास आकर मुझसे बोले, ‘भाई शाऊल! अपनी दृष्टि प्राप्‍त करो!’ उसी क्षण दृष्टि प्राप्‍त कर मैंने उनकी ओर देखा. “उन्होंने मुझसे कहा, ‘हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने आपको अपनी इच्छा जानने तथा उन्हें देखने के लिए, जो धर्मी हैं तथा उन्हीं के मुख से निकले हुए शब्द सुनने के लिए चुना गया है. आपने जो कुछ देखा और सुना है, वह सबके सामने आपकी गवाही का विषय होगा. तो अब देर क्यों? उठिए, बपतिस्मा लीजिए—प्रभु के नाम की दोहाई देते हुए पाप क्षमा प्राप्‍त कीजिए.’ “येरूशलेम लौटने पर जब मैं मंदिर में प्रार्थना कर रहा था, मैं ध्यानमग्न की स्थिति में पहुंच गया. मैंने प्रभु को स्वयं से यह कहते सुना, ‘बिना देर किए येरूशलेम छोड़ दो क्योंकि मेरे विषय में तुम्हारे द्वारा दी गई गवाही इन्हें स्वीकार नहीं होगी.’ “मैंने उत्तर दिया, ‘प्रभु, वे स्वयं यह जानते हैं कि एक-एक यहूदी आराधनालय से मैं आपके शिष्यों को चुन-चुनकर बंदी बनाता तथा यातनाएं देता था. जब आपके गवाह स्तेफ़ानॉस का लहू बहाया जा रहा था तो मैं न केवल इसके समर्थन में वहां खड़ा था, परंतु उसके हत्यारों के बाहरी कपड़ों की रखवाली भी कर रहा था.’ “किंतु मेरे लिए प्रभु की आज्ञा थी, ‘जाओ; मैं तुम्हें गैर-यहूदियों के बीच दूर-दूर के स्थानों में भेज रहा हूं.’ ” पौलॉस—एक रोमी नागरिक यहां तक तो वे पौलॉस की बात ध्यान से सुनते रहे किंतु अब उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया, “इस व्यक्ति के बोझ से धरती को मुक्त करो. इसे जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है.” जब वे चिल्लाने, वस्त्र उछालने और हवा में धूल उड़ाने लगे तो सेनापति ने पौलॉस को सेना गढ़ के अंदर ले जाने की आज्ञा दी कि उन्हें कोड़े लगाकर उनसे पूछताछ की जाए और उनके विरुद्ध भीड़ के इस प्रकार चिल्लाने का कारण मालूम हो सके. जब वे पौलॉस को कोड़े लगाने की तैयारी में उनके हाथ-पैर फैलाकर बांध ही रहे थे, पौलॉस ने अपने पास खड़े शताधिपति से प्रश्न किया, “क्या आपके सामने एक रोमी नागरिक का दोष साबित हुए बिना उसे कोड़े लगाना ठीक है?” यह सुनना ही था कि शताधिपति ने तुरंत सेनापति के पास जाकर उससे कहा, “आप यह क्या करने पर हैं? यह व्यक्ति तो रोमी नागरिक है!” सेनापति ने पौलॉस के पास आकर उनसे प्रश्न किया, “तुम रोमी नागरिक हो?” “जी हां.” पौलॉस ने उत्तर दिया. सेनापति ने उनसे कहा, “एक बड़ी राशि चुकाने पर प्राप्‍त हुई है मुझे यह नागरिकता.” “किंतु मैं तो जन्म से रोमी नागरिक हूं!” पौलॉस ने उत्तर दिया. वे लोग, जो उनसे पूछताछ करने आए थे तुरंत वहां से खिसक लिए. जब सेनापति को यह मालूम हुआ कि उसने पौलॉस को, जो एक रोमी नागरिक हैं, बेड़ियां लगा दी हैं, तो वह घबरा गया. महासभा के सामने पौलॉस की पेशी अगले दिन सच्चाई मालूम करने की इच्छा में कि पौलॉस पर यहूदियों द्वारा आरोप क्यों लगाए गए, सेनापति ने उन्हें रिहा कर दिया, प्रधान पुरोहितों तथा महासभा को इकट्ठा होने की आज्ञा दी और पौलॉस को लाकर उनके सामने पेश किया. महासभा की ओर ध्यान से देखते हुए पौलॉस ने कहना शुरू किया, “प्रियजन, परमेश्वर के सामने मेरा जीवन आज तक पूरी तरह सच्चे विवेक सा रहा है.” इस पर महापुरोहित हननयाह ने पौलॉस के पास खड़े हुओं को पौलॉस के मुख पर वार करने की आज्ञा दी. स्वयं पौलॉस ही बोल उठे, “अरे ओ सफेदी पुती दीवार, तुम पर ही परमेश्वर का वार होने पर है! तुम तो यहां व्यवस्था की विधियों के अनुसार न्याय करने बैठे हो, फिर भी मुझ पर वार करने की आज्ञा देकर स्वयं व्यवस्था भंग कर रहे हो?” वे, जो पौलॉस के पास खड़े थे कहने लगे, “तुम तो परमेश्वर के महापुरोहित का तिरस्कार करने का दुस्साहस कर बैठे हो!” पौलॉस ने उत्तर दिया, “भाइयो, मुझे यह मालूम ही न था कि यह महापुरोहित हैं पवित्र शास्त्र का लेख है: अपने प्रधानों को शाप न देना.”23:5 निर्ग 22:28 तब यह मालूम होने पर कि वहां कुछ सदूकी और कुछ फ़रीसी भी उपस्थित हैं, पौलॉस महासभा के सामने ऊंचे शब्द में कहने लगे, “प्रियजन, मैं फ़रीसी हूं—फ़रीसियों की संतान हूं. मुझ पर यहां, मरे हुओं की आशा और उनके पुनरुत्थान में मेरी मान्यता के कारण मुकद्दमा चलाया जा रहा है.” जैसे ही उन्होंने यह कहा, फ़रीसियों तथा सदूकियों के बीच विवाद छिड़ गया और सारी सभा में फूट पड़ गई, क्योंकि सदूकियों का विश्वास है कि न तो मरे हुओं का पुनरुत्थान होता है, न स्वर्गदूतों का अस्तित्व होता है और न आत्मा का. किंतु फ़रीसी इन सब में विश्वास करते हैं. वहां बड़ा कोलाहल शुरू हो गया. फ़रीसियों की ओर से कुछ शास्त्रियों ने खड़े होकर झगड़ते हुए कहा, “हमारी दृष्टि में यह व्यक्ति निर्दोष है. संभव है किसी आत्मा या स्वयं स्वर्गदूत ही ने उससे बातें की हों.” जब वहां कोलाहल बढ़ने लगा, सेनापति इस आशंका से घबरा गया कि लोग पौलॉस के चिथड़े न उड़ा दें. इसलिये उसने सेना को आज्ञा दी कि पौलॉस को जबरन वहां से सेना गढ़ में ले जाया जाए. उसी रात में प्रभु ने पौलॉस के पास आकर कहा, “साहस रखो. जिस सच्चाई में तुमने मेरे विषय में येरूशलेम में गवाही दी है, वैसी ही गवाही तुम्हें रोम में भी देनी है.” पौलॉस के विरुद्ध यहूदियों का षड़्‍यंत्र प्रातःकाल कुछ यहूदियों ने एक षड़्‍यंत्र रचा और शपथ खाई कि पौलॉस को समाप्‍त करने तक वे अन्‍न-जल ग्रहण नहीं करेंगे. इस योजना में चालीस से अधिक व्यक्ति शामिल हो गए. उन्होंने प्रधान पुरोहितों और पुरनियों से कहा, “हमने ठान लिया है कि पौलॉस को समाप्‍त किए बिना हम अन्‍न-जल चखेंगे तक नहीं. इसलिये आप और महासभा मिलकर सेनापति को सूचना भेजें और पौलॉस को यहां ऐसे बुलवा लें, मानो आप उसका विवाद बारीकी से जांच करके सुलझाना चाहते हैं. यहां हमने उसके पहुंचने के पहले ही उसे मार डालने की तैयारी कर रखी है.” पौलॉस के भांजे ने इस मार डालने के विषय में सुन लिया. उसने सेना घर में जाकर पौलॉस को इसकी सूचना दे दी. पौलॉस ने एक शताधिपति को बुलाकर कहा, “कृपया इस युवक को सेनापति के पास ले जाइए. इसके पास उनके लिए एक सूचना है.” इसलिये शताधिपति ने उसे सेनापति के पास ले जाकर कहा, “कैदी पौलॉस ने मुझे बुलाकर विनती की है कि इस युवक को आपके पास ले आऊं क्योंकि इसके पास आपके लिए एक सूचना है.” इसलिये सेनापति ने उस युवक का हाथ पकड़कर अलग ले जाकर उससे पूछताछ करनी शुरू कर दी, “क्या सूचना है तुम्हारे पास?” उसने उत्तर दिया, “पौलॉस को महासभा में बुलाना यहूदियों की सिर्फ एक योजना ही है, मानो वे उनके विषय में बारीकी से जांच करना चाहते हैं. कृपया उनकी इस विनती की ओर ध्यान न दें क्योंकि चालीस से अधिक व्यक्ति पौलॉस के लिए घात लगाए बैठे हैं. उन्होंने ठान लिया है कि जब तक वे पौलॉस को खत्म नहीं कर देते, वे न तो कुछ खाएंगे और न ही कुछ पिएंगे. अब वे आपकी हां के इंतजार में बैठे हैं.” सेनापति ने युवक को इस निर्देश के साथ विदा कर दिया, “किसी को भी यह मालूम न होने पाए कि तुमने मुझे यह सूचना दी है.” पौलॉस का स्थानान्तरण कयसरिया नगर को तब सेनापति ने दो शताधिपतियों को बुलाकर आज्ञा दी, “रात के तीसरे घंटे तक दो सौ सैनिकों को लेकर कयसरिया नगर को प्रस्थान करो. उनके साथ सत्तर घुड़सवार तथा दो सौ भालाधारी सैनिक भी हों. पौलॉस के लिए घोड़े की सवारी का प्रबंध करो कि वह राज्यपाल फ़ेलिक्स के पास सुरक्षित पहुंचा दिए जाएं.” सेनापति ने उनके हाथ यह पत्र भेज दिया: परमश्रेष्ठ राज्यपाल फ़ेलिक्स की सेवा में, क्लॉदियॉस लिसियस का सादर, नमस्कार. जब इस व्यक्ति को यहूदियों ने दबोचा और इसकी हत्या करने पर ही थे, मैं घटना स्थल पर अपनी सैनिक टुकड़ी के साथ जा पहुंचा और इसे उनके पंजों से मुक्त कराया क्योंकि मुझे यह मालूम हुआ कि यह एक रोमी नागरिक है. तब इस पर लगाए आरोपों की पुष्टि के उद्देश्य से मैंने इसे उनकी महासभा के सामने प्रस्तुत किया. वहां मुझे यह मालूम हुआ कि इस पर लगाए गए आरोप मात्र उनकी ही व्यवस्था की विधियों से संबंधित हैं, न कि ऐसे, जिनके लिए हमारे नियमों के अनुसार मृत्यु दंड या कारावास दिया जाए. फिर मुझे यह सूचना प्राप्‍त हुई कि इस व्यक्ति के विरुद्ध हत्या का षड़्‍यंत्र रचा जा रहा है. मैंने इसे बिना देर किए आपके पास भेजने का निश्चय किया. मैंने आरोपियों को भी ये निर्देश दे दिए हैं कि वे इसके विरुद्ध सभी आरोप आपके ही सामने प्रस्तुत करें. इसलिये आज्ञा के अनुसार सैनिकों ने रातों-रात पौलॉस को अन्तिपातरिस नगर के पास पहुंचा दिया. दूसरे दिन घुड़सवारों को पौलॉस के साथ भेजकर वे स्वयं सैनिक गढ़ लौट आए. कयसरिया नगर पहुंचकर उन्होंने राज्यपाल को वह पत्र सौंपा और पौलॉस को उनके सामने प्रस्तुत किया. पत्र पढ़कर राज्यपाल ने पौलॉस से प्रश्न किया कि वह किस प्रदेश के हैं. यह मालूम होने पर कि वह किलिकिया प्रदेश के हैं राज्यपाल ने कहा, “तुम्हारे आरोपियों के यहां पहुंचने पर ही मैं तुम्हारी सुनवाई करूंगा” और उसने पौलॉस को हेरोदेस के राजमहल परिसर में रखने की आज्ञा दी. पौलॉस फ़ेलिक्स के सामने पांच दिन बाद महापुरोहित हननयाह पुरनियों तथा तरतुलुस नामक एक वकील के साथ कयसरिया नगर आ पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल के सामने पौलॉस के विरुद्ध अपने आरोप प्रस्तुत किए. जब पौलॉस को वहां लाया गया, राज्यपाल के सामने तरतुलुस ने पौलॉस पर आरोप लगाने प्रारंभ कर दिए: “आपकी दूरदृष्टि के कारण आपके शासन में लंबे समय से शांति बनी रही है तथा आपके शासित प्रदेश में इस राष्ट्र के लिए आपके द्वारा लगातार सुधार किए जा रहे हैं. परमश्रेष्ठ राज्यपाल फ़ेलिक्स, हम इनका हर जगह और हर प्रकार से धन्यवाद करते हुए हार्दिक स्वागत करते हैं. मैं आपका और अधिक समय खराब नहीं करूंगा. मैं आपसे यह छोटा सा उत्तर सुनने की विनती करना चाहता हूं. “यह व्यक्ति हमारे लिए वास्तव में कष्टदायक कीड़ा साबित हो रहा है. यह एक ऐसा व्यक्ति है, जो विश्व के सारे यहूदियों के बीच मतभेद पैदा कर रहा है. यह एक कुख्यात नाज़री पंथ का मुखिया भी है. इसने मंदिर की पवित्रता भंग करने की भी कोशिश की है इसलिये हमने इसे बंदी बना लिया. [हम तो अपनी ही व्यवस्था की विधियों के अनुसार इसका न्याय करना चाह रहे थे. किंतु सेनापति लिसियस ने ज़बरदस्ती दखलंदाज़ी कर इसे हमसे छीन लिया तथा हमें आपके सामने अपने आरोप प्रस्तुत होने की आज्ञा दी.]24:8 कुछ प्राचीनतम मूल हस्तलेखों में यह पाया नहीं जाता कि आप स्वयं स्थिति की जांच कर इन सभी आरोपों से संबंधित सच्चाईयों को जान सकें.” तब दूसरे यहूदियों ने भी आरोप लगाना प्रारंभ कर दिया और इस बात की पुष्टि की कि ये सभी आरोप सही हैं. राज्यपाल फ़ेलिक्स की ओर से संकेत प्राप्‍त होने पर पौलॉस ने इसके उत्तर में कहना प्रारंभ किया. “इस बात के प्रकाश में कि आप इस राष्ट्र के न्यायाधीश रहे हैं, मैं खुशी से अपना बचाव प्रस्तुत कर रहा हूं. आप इस सच्चाई की पुष्टि कर सकते हैं कि मैं लगभग बारह दिन पहले सिर्फ आराधना के उद्देश्य से येरूशलेम गया और इन्होंने न तो मुझे मंदिर में, न यहूदी आराधनालय में और न नगर में किसी से वाद-विवाद करते या नगर की शांति भंग करते पाया है और न ही वे मुझ पर लगाए जा रहे इन आरोपों को साबित कर सकते हैं. हां यह मैं आपके सामने अवश्य स्वीकार करता हूं कि इस मत के अनुसार, जिसे इन्होंने पंथ नाम दिया है, मैं वास्तव में हमारे पूर्वजों के ही परमेश्वर की सेवा-उपासना करता हूं. सब कुछ, जो व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं के लेखों के अनुसार है, मैं उसमें पूरी तरह विश्वास करता हूं. परमेश्वर में मेरी भी वह आशा है जैसी इनकी कि निश्चित ही एक ऐसा दिन तय किया गया है, जिसमें धर्मियों तथा अधर्मियों दोनों ही का पुनरुत्थान होगा. इसलिए मैं भी परमेश्वर और मनुष्यों दोनों ही के सामने हमेशा एक निष्कलंक विवेक बनाए रखने की भरपूर कोशिश करता हूं. “अनेक वर्षों के बीत जाने के बाद मैं अपने समाज के गरीबों के लिए सहायता राशि लेकर तथा बलि चढ़ाने के उद्देश्य से येरूशलेम आया था. उसी समय इन्होंने मंदिर में मुझे शुद्ध होने की रीति पूरी करते हुए देखा. वहां न कोई भीड़ थी और न ही किसी प्रकार का शोर. हां, उस समय वहां आसिया प्रदेश के कुछ यहूदी अवश्य थे, जिनका यहां आपके सामने उपस्थित होना सही था. यदि उन्हें मेरे विरोध में कुछ कहना ही था तो सही यही था कि वे इसे आपकी उपस्थिति में कहते. अन्यथा ये व्यक्ति, जो यहां खड़े हैं, स्वयं बताएं कि महासभा के सामने उन्होंने मुझे किस विषय में दोषी पाया है, केवल इस एक बात को छोड़ के, जो मैंने उनके सामने ऊंचे शब्द में व्यक्त किया: ‘मरे हुओं के पुनरुत्थान में मेरी मान्यता के कारण आज आपके सामने मुझ पर मुकद्दमा चलाया जा रहा है.’ ” किंतु राज्यपाल फ़ेलिक्स ने, जो इस पंथ से भली-भांति परिचित था, सुनवाई को स्थगित करते हुए घोषणा की, “सेनापति लिसियस के आने पर ही मैं इस विषय में निर्णय दूंगा.” उसने शताधिपति को आज्ञा दी कि पौलॉस को कारावास में तो रखा जाए किंतु उन्हें इतनी स्वतंत्रता अवश्य दी जाए कि उनके खास मित्र आकर उनकी सेवा कर सकें. कुछ दिनों के बाद फ़ेलिक्स अपनी पत्नी द्रुसिल्ला के साथ वहां आया, जो यहूदी थी. उसने पौलॉस को बुलवाने की आज्ञा दी और उनसे उनके मसीह येशु में विश्वास विषय पर बातें सुनी. जब पौलॉस धार्मिकता, संयम तथा आनेवाले न्याय का वर्णन कर रहे थे, फ़ेलिक्स ने भयभीत हो पौलॉस से कहा, “इस समय तो तुम जाओ. जब मेरे पास समय होगा, मैं स्वयं तुम्हें बुलवा लूंगा.” फ़ेलिक्स पौलॉस से धनराशि प्राप्‍ति की आशा लगाए हुए था. इसी आशा में वह पौलॉस को बातचीत के लिए बार-बार अपने पास बुलवाता था. यही क्रम दो वर्षों तक चलता रहा. तब फ़ेलिक्स के स्थान पर पोर्कियॉस फ़ेस्तुस इस पद पर चुना गया और यहूदियों को प्रसन्‍न करने के उद्देश्य से फ़ेलिक्स ने पौलॉस को बंदी ही बना रहने दिया. कयसर से पौलॉस की विनती कार्यभार संभालने के तीन दिन बाद फ़ेस्तुस कयसरिया नगर से येरूशलेम गया. वहां उसके सामने प्रधान पुरोहितों और यहूदी अगुओं ने पौलॉस के विरुद्ध मुकद्दमा प्रस्तुत किया. उन्होंने फ़ेस्तुस से विनती की कि वह विशेष कृपादृष्टि कर पौलॉस को येरूशलेम भेज दें. वास्तव में उनकी योजना मार्ग में घात लगाकर पौलॉस की हत्या करने की थी. फ़ेस्तुस ने इसके उत्तर में कहा, “पौलॉस तो कयसरिया में बंदी है और मैं स्वयं शीघ्र वहां जा रहा हूं. इसलिये आप में से कुछ प्रधान व्यक्ति मेरे साथ वहां चलें. यदि पौलॉस को वास्तव में दोषी पाया गया तो उस पर मुकद्दमा चलाया जाएगा.” आठ-दस दिन ठहरने के बाद फ़ेस्तुस कयसरिया लौट गया और अगले दिन पौलॉस को न्यायालय में लाने की आज्ञा दी. पौलॉस के वहां आने पर येरूशलेम से आए यहूदियों ने उन्हें घेर लिया और उन पर अनेक गंभीर आरोपों की बौछार शुरू कर दी, जिन्हें वे स्वयं साबित न कर पाए. अपने बचाव में पौलॉस ने कहा, “मैंने न तो यहूदियों की व्यवस्था के विरुद्ध किसी भी प्रकार का अपराध किया है और न ही मंदिर या कयसर के विरुद्ध.” फिर भी यहूदियों को प्रसन्‍न करने के उद्देश्य से फ़ेस्तुस ने पौलॉस से प्रश्न किया, “क्या तुम चाहते हो कि तुम्हारे इन आरोपों की सुनवाई मेरे सामने येरूशलेम में हो?” इस पर पौलॉस ने उत्तर दिया, “मैं कयसर के न्यायालय में खड़ा हूं. ठीक यही है कि मेरी सुनवाई यहीं हो. मैंने यहूदियों के विरुद्ध कोई अपराध नहीं किया है; यह तो आपको भी भली-भांति मालूम है. यदि मैं अपराधी ही हूं और यदि मैंने मृत्यु दंड के योग्य कोई अपराध किया ही है, तो मुझे मृत्यु दंड स्वीकार है. किंतु यदि इन यहूदियों द्वारा मुझ पर लगाए आरोप सच नहीं हैं तो किसी को यह अधिकार नहीं कि वह मुझे इनके हाथों में सौंपे. यहां मैं अपनी सुनवाई की याचिका कयसर के न्यायालय में भेज रहा हूं.” अपनी महासभा से विचार-विमर्श के बाद फ़ेस्तुस ने घोषणा की, “ठीक है. तुमने कयसर से सुनवाई की विनती की है तो तुम्हें कयसर के पास ही भेजा जाएगा.” फ़ेस्तुस राजा अग्रिप्पा की सलाह लेते है कुछ समय बाद राजा अग्रिप्पा तथा बेरनिके फ़ेस्तुस से भेंट करने कयसरिया नगर आए. वे वहां बहुत समय तक ठहरे. फ़ेस्तुस ने राजा को पौलॉस के विषय में इस प्रकार बताया: “फ़ेलिक्स एक बंदी को यहां छोड़ गया है. जब मैं येरूशलेम गया हुआ था; वहां प्रधान पुरोहितों तथा यहूदी प्राचीनों ने उस पर आरोप लगाए थे. उन्होंने उसे मृत्यु दंड दिए जाने की मांग की. “मैंने उनके सामने रोमी शासन की नीति स्पष्ट करते हुए उनसे कहा कि इस नीति के अंतर्गत दोषी और दोष लगानेवालों के आमने-सामने सवाल जवाब किए बिना तथा दोषी को अपनी सफ़ाई पेश करने का अवसर दिए बिना दंड के लिए सौंप देना सही नहीं है. इसलिये उनके यहां इकट्ठा होते ही मैंने बिना देर किए दूसरे ही दिन इस व्यक्ति को न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने की आज्ञा दी. जब आरोपी खड़े हुए, उन्होंने उस पर सवाल जवाब शुरू कर दिए किंतु मेरे अनुमान के विपरीत, ये आरोप उन अपराधों के नहीं थे जिनकी मुझे आशा थी ये उनके पारस्परिक मतभेद थे, जिनका संबंध मात्र उनके विश्वास से तथा येशु नामक किसी मृत व्यक्ति से था, जो इस बंदी पौलॉस के अनुसार जीवित है. मैं समझ नहीं पा रहा था कि इस प्रकार के विषय का पता कैसे किया जाए. इसलिये मैंने यह जानना चाहा, क्या वह येरूशलेम में मुकद्दमा चलाए जाने के लिए राज़ी है. किंतु पौलॉस की इस विनती पर कि सम्राट के निर्णय तक उसे कारावास में रखा जाए, मैंने उसे कयसर के पास भेजे जाने तक बंदी बनाए रखने की आज्ञा दी है.” राजा अग्रिप्पा ने फ़ेस्तुस से कहा, “मैं स्वयं उसका बचाव सुनना चाहूंगा.” फ़ेस्तुस ने उसे आश्वासन देते हुए कहा, “ठीक है, कल ही सुन लीजिए.” राजा अग्रिप्पा के समक्ष पौलॉस अगले दिन जब राजा अग्रिप्पा और बेरनिके ने औपचारिक धूमधाम के साथ सभागार में प्रवेश किया, उनके साथ सेनापति और गणमान्य नागरिक भी थे. फ़ेस्तुस की आज्ञा पर पौलॉस को वहां लाया गया. फ़ेस्तुस ने कहना शुरू किया, “महाराज अग्रिप्पा तथा उपस्थित सज्जनो! इस व्यक्ति को देखिए, जिसके विषय में सारे यहूदी समाज ने येरूशलेम और यहां कयसरिया में मेरे न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है. ये लोग चिल्ला-चिल्लाकर यह कह रहे हैं कि अब उसे एक क्षण भी जीवित रहने का अधिकार नहीं है. किंतु अपनी जांच में मैंने इसमें ऐसा कुछ भी नहीं पाया जिसके लिए उसे मृत्यु दंड दिया जाए और अब, जब उसने स्वयं सम्राट के न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है, मैंने उसे रोम भेज देने का निश्चय किया है. फिर भी, उसके विषय में मेरे पास कुछ भी तय नहीं है जिसे लिखकर महाराजाधिराज की सेवा में प्रस्तुत किया जाए. यही कारण है कि मैंने उसे आप सबके सामने प्रस्तुत किया है—विशेष रूप से महाराज अग्रिप्पा आपके सामने, जिससे कि सारी जांच पूरी होने पर मुझे लिखने के लिए कुछ सबूत मिल जाएं, जो सम्राट की सेवा में प्रस्तुत किए जा सकें. क्योंकि मेरे लिए यह गलत है कि किसी भी दोषी को उसके आरोपों के वर्णन के बिना आगे भेजा जाए.” इसलिये राजा अग्रिप्पा ने पौलॉस को संबोधित करते हुए कहा, “तुम्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने की आज्ञा है.” इसलिये पौलॉस ने एक बोलनेवाले की मुद्रा में हाथ उठाते हुए अपने बचाव में कहना शुरू किया. “महाराज अग्रिप्पा, आज मैं स्वयं को धन्य मान रहा हूं, जो मैं यहां यहूदियों द्वारा लगाए गए आरोपों के विरुद्ध उत्तर देनेवाले के रूप में आपके सामने खड़ा हुआ हूं. विशेष रूप से इसलिये भी कि आप यहूदी प्रथाओं तथा समस्याओं को भली-भांति जानते हैं. इसलिये मैं आपसे विनती करता हूं कि आप मेरा पक्ष धीरज से सुनें. “मेरे देश तथा येरूशलेम में सभी यहूदी मेरी युवावस्था से लेकर अब तक की जीवनशैली से अच्छी तरह से परिचित हैं. इसलिये कि लंबे समय से वे मुझसे परिचित हैं, वे चाहें तो, इस सच्चाई की गवाही भी दे सकते हैं कि मैंने फ़रीसी संप्रदाय के अनुरूप, जो कट्टरतम मत है, जीवन जिया है. आज मैं परमेश्वर द्वारा हमारे पूर्वजों को दी गई प्रतिज्ञा की आशा के कारण यहां दोषी के रूप में खड़ा हूं. यह वही प्रतिज्ञा है, जिसके पूरे होने की आशा हमारे बारह गोत्र दिन-रात सच्चाई में परमेश्वर की सेवा-उपासना करते हुए कर रहे हैं. महाराज, आज मुझ पर यहूदियों द्वारा मुकद्दमा इसी आशा के कारण चलाया जा रहा है. किसी के लिए भला यह अविश्वसनीय क्यों है कि परमेश्वर मरे हुओं को जीवित करते हैं? “मेरी अपनी मान्यता भी यही थी कि नाज़रेथवासी येशु के नाम के विरोध में मुझे बहुत कुछ करना ज़रूरी है. येरूशलेम में मैंने ठीक यही किया भी. प्रधान पुरोहितों से अधिकार पत्र लेकर मैं अनेक शिष्यों को कारागार में डाल देता था, जब उनकी हत्या की जाती थी तो उसमें मेरी भी सम्मति होती थी. अक्सर सभी यहूदी आराधनालयों में जाकर मैं उन्हें दंडित करते हुए मसीह येशु की निंदा के लिए बाध्य करने का प्रयास भी करता था और क्रोध में पागल होकर मैं उनका पीछा करते हुए सीमा पार के नगरों में भी उन्हें सताया करता था. “इसी उद्देश्य से एक बार मैं प्रधान पुरोहितों से अधिकार पत्र प्राप्‍त कर दमिश्क नगर जा रहा था. महाराज! दोपहर के समय मैंने और मेरे सहयात्रियों ने आकाश से सूर्य से भी कहीं अधिक तेज ज्योति देखी. जब हम सब भूमि पर गिर पड़े, मुझे इब्री भाषा में संबोधित करता हुआ एक शब्द सुनाई दिया, ‘शाऊल! शाऊल! तुम मुझे क्यों सता रहे हो? पैने पर लात मारना तुम्हारे लिए ही हानिकारक है.’ “मैंने प्रश्न किया, ‘आप कौन हैं, प्रभु?’ “प्रभु ने उत्तर दिया ‘मैं येशु हूं तुम जिसे सता रहे हो, किंतु उठो, खड़े हो जाओ क्योंकि तुम्हें दर्शन देने का मेरा उद्देश्य यह है कि न केवल, जो कुछ तुमने देखा है परंतु वह सब, जो मैं तुम्हें अपने विषय में दिखाऊंगा, उसके लिए तुम्हें सेवक और गवाह ठहराऊं. यहूदियों तथा गैर-यहूदियों से, जिनके बीच मैं तुम्हें भेज रहा हूं, मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा कि उनकी आंखें खोलूं तथा उन्हें अंधकार से निकालकर ज्योति में और शैतान के अधिकार से परमेश्वर के राज्य में ले आऊं कि वे पाप क्षमा प्राप्‍त कर सकें और उनके सामने आ जाएं, जो मुझमें विश्वास के द्वारा परमेश्वर के लिए अलग किए गए हैं.’ “इसलिये महाराज अग्रिप्पा, मैंने स्वर्गीय दर्शन की बात नहीं टाली. मैंने सबसे पहले दमिश्क नगर में, इसके बाद येरूशलेम तथा सारे यहूदिया प्रदेश तथा गैर-यहूदियों में भी यह प्रचार किया कि वे पश्चाताप करके परमेश्वर की ओर लौट आएं तथा अपने स्वभाव के द्वारा अपने पश्चाताप को प्रमाणित करें. यही वह कारण है कि कुछ यहूदियों ने मंदिर में मुझे पकड़कर मेरी हत्या करनी चाही. अब तक मुझे परमेश्वर की सहायता प्राप्‍त होती रही, जिसके परिणामस्वरूप मैं आप और छोटे-बड़े सभी के सामने उसी सच्चाई के पूरा होने की घोषणा कर रहा हूं जिसका वर्णन मोशेह और भविष्यद्वक्ताओं ने किया था कि मसीह दुःख भोगेंगे और मरे हुओं में से जी उठने में सबसे पहले होने के कारण वह यहूदियों और गैर-यहूदियों दोनों ही में ज्योति की घोषणा करेंगे.” जब पौलॉस अपने बचाव में यह कह ही रहे थे, फ़ेस्तुस ने ऊंचे शब्द में कहा, “पौलॉस! तुम्हारी तो मति भ्रष्‍ट हो गई है. तुम्हारी बहुत शिक्षा तुम्हें पागल बना रही है.” किंतु पौलॉस ने उत्तर दिया, “अत्यंत सम्मान्य फ़ेस्तुस महोदय, मेरी मति भ्रष्‍ट नहीं हुई है! मेरा कथन सच और ज्ञान के है. महाराज तो इन विषयों से परिचित हैं. मैं बड़े आत्मविश्वास के साथ उनसे यह सब कह रहा हूं. मुझे पूरा निश्चय है कि इन विषयों में से कुछ भी उनके लिए नया नहीं है क्योंकि इनमें से कुछ भी गुप्‍त में नहीं किया गया. महाराज अग्रिप्पा, क्या आप भविष्यद्वक्ताओं का विश्वास करते हैं? मैं जानता हूं कि आप विश्वास करते हैं.” अग्रिप्पा ने पौलॉस से कहा, “तुम सोच रहे हो कि तुम शीघ्र ही मुझे मसीही होने के लिए सहमत कर लोगे!” पौलॉस ने उत्तर दिया, “शीघ्र ही या विलंब से, परमेश्वर से मेरी तो यही विनती है कि न केवल आप, परंतु ये सभी सुननेवाले, जो आज मेरी बातें सुन रहे हैं, मेरे ही समान हो जाएं—सिवाय इन बेड़ियों के.” तब राजा, राज्यपाल, बेरनिके और वे सभी, जो उनके साथ वहां बैठे हुए थे, खड़े हो गए तथा न्यायालय से बाहर निकलकर आपस में विचार-विमर्श करने लगे: “इस व्यक्ति ने मृत्यु दंड या कारावास के योग्य कोई अपराध नहीं किया है!” राजा अग्रिप्पा ने राज्यपाल फ़ेस्तुस से कहा, “यदि इस व्यक्ति ने कयसर से दोहाई का प्रस्ताव न किया होता तो इसे छोड़ दिया गया होता!” रोम नगर के लिए रवाना जब यह तय हो गया कि हमें जलमार्ग से इतालिया जाना है तो उन्होंने पौलॉस तथा कुछ अन्य बंदियों को राजकीय सैन्य दल के यूलियुस नामक शताधिपति को सौंप दिया. हम सब आद्रामुत्तेयुम नगर के एक जलयान पर सवार हुए, जो आसिया प्रदेश के समुद्र के किनारे के नगरों से होते हुए जाने के लिए तैयार था. जलमार्ग द्वारा हमारी यात्रा शुरू हुई. आरिस्तारख़ॉस भी हमारा साथी यात्री था, जो मकेदोनिया प्रदेश के थेस्सलोनिकेयुस नगर का वासी था. अगले दिन हम सीदोन नगर पहुंच गए. भले दिल से यूलियुस ने पौलॉस को नगर में जाकर अपने प्रियजनों से मिलने और उनसे आवश्यक वस्तुएं ले आने की आज्ञा दे दी. वहां से हमने यात्रा दोबारा शुरू की और उल्टी हवा बहने के कारण हमें सैप्रस द्वीप की ओट से आगे बढ़ना पड़ा. जब हम समुद्र में यात्रा करते हुए किलिकिया और पम्फ़ूलिया नगरों के तट से होते हुए लुकिया के मूरा नगर पहुंचे. वहां शताधिपति को यह मालूम हुआ कि अलेक्सान्द्रिया का एक जलयान इतालिया देश जाने के लिए तैयार खड़ा है. इसलिये उसने हमें उसी पर सवार करवा दिया. हमें धीमी गति से यात्रा करते अनेक दिन हो गए थे. हमारा क्नीदॉस नगर पहुंचना कठिन हो गया क्योंकि उल्टी हवा चल रही थी. इसलिये हम सालमोने के सामने वाला क्रेते द्वीप के पास से होते हुए आगे बढ़ गए. बड़ी कठिनाई में उसके पास से होते हुए हम एक स्थान पर पहुंचे जिसका नाम था कालॉस लिमेनस अर्थात् मनोरम बंदरगाह. लासिया नगर इसी के पास स्थित है. बहुत अधिक समय खराब हो चुका था. हमारी जल-यात्रा खतरे से भर गई थी, क्योंकि सर्दी के मौसम में तय किया हुआ प्रायश्चित बलि दिवस बीत चुका था. इसलिये पौलॉस ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा, “मुझे साफ़ दिखाई दे रहा है कि हमारी यह यात्रा हानिकारक है. इसके कारण जलयान व सामान की ही नहीं परंतु स्वयं हमारे जीवनों की घोर हानि होने पर है.” किंतु शताधिपति ने पौलॉस की चेतावनी की अनसुनी कर जलयान चालक तथा जलयान स्वामी का सुझाव स्वीकार कर लिया. ठंड के दिनों में यह बंदरगाह इस योग्य नहीं रह जाता था कि इसमें ठहरा जाए. इसलिये बहुमत था कि आगे बढ़ा जाए. उन्होंने इस आशा में यात्रा शुरू कर दी कि किसी प्रकार ठंड शुरू होने के पहले फ़ॉयनिके नगर तो पहुंच ही जाएंगे. यह क्रेते द्वीप का बंदरगाह था, जिसका द्वार दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशा में है. चक्रवात की चपेट में जलयान जब सामान्य दक्षिण वायु बहने लगी, उन्हें ऐसा लगा कि उन्हें अपने लक्ष्य की प्राप्‍ति हो गई है. इसलिये उन्होंने लंगर उठा लिया और क्रेते द्वीप के किनारे समुद्र से होते हुए आगे बढ़े. वे अभी अधिक दूर न जा पाए थे कि यूराकिलो27:14 यूराकिलो उत्तर-पूर्वी दिशा में बहने वाली तूफ़ानी हवा नामक भयंकर चक्रवाती हवा बहने लगी और जलयान इसकी चपेट में आ गया. वह इस तेज हवा के थपेड़ों का सामना करने में असमर्थ था. इसलिये हमने यान को इसी हवा के बहाव में छोड़ दिया और हवा के साथ बहने लगे. कौदा नामक एक छोटे द्वीप की ओर हवा के बहाव में बहते हुए हम बड़ी कठिनाई से जीवनरक्षक नाव को जलयान से बांध पाए. उन्होंने जलयान को पेंदे से लेकर ऊपर तक रस्सों द्वारा अच्छी रीति से कस दिया और इस आशंका से कि कहीं उनका जलयान सिर्तिस के उथले समुद्र की रेत में फंस न जाए, उन्होंने लंगर को थोड़ा नीचे उतारकर जलयान को हवा के बहाव के साथ साथ बहने के लिए छोड़ दिया. अगले दिन तेज लहरों और भयंकर आंधी के थपेड़ों के कारण उन्होंने यान में लदा हुआ सामान फेंकना शुरू कर दिया. तीसरे दिन वे अपने ही हाथों से जलयान के भारी उपकरणों को फेंकने लगे. अनेक दिन तक न तो सूर्य ही दिखाई दिया और न ही तारे. हवा का बहाव तेज बना हुआ था इसलिये हमारे जीवित बचे रहने की सारी आशा धीरे धीरे खत्म होती चली गई. एक लंबे समय तक भूखे रहने के बाद पौलॉस ने उनके मध्य खड़े होकर यह कहा, “मित्रो, उत्तम तो यह होता कि आप लोग मेरा विचार स्वीकार करते और क्रेते द्वीप से आगे ही न बढ़ते जिससे इस हानि से बचा जा सकता. अब आपसे मेरी विनती है कि आप साहस न छोड़ें क्योंकि जलयान के अलावा किसी के भी जीवन की हानि नहीं होगी; क्योंकि वह, जो मेरे परमेश्वर हैं और मैं जिनका सेवक हूं, उनका एक स्वर्गदूत रात में मेरे पास आ खड़ा हुआ और उसने मुझे धीरज दिया, ‘मत डर, पौलॉस, तुम्हें कयसर के सामने उपस्थित होना ही है. परमेश्वर ने अपनी करुणा में तुम्हें और तुम्हारे साथ यात्रा करनेवालों को जीवनदान दिया है.’ इसलिये साथियो, साहस न छोड़ो क्योंकि मैं परमेश्वर में विश्वास करता हूं. ठीक वैसा ही होगा जैसा मुझे बताया गया है. हम अवश्य ही किसी द्वीप के थल पर पहुंच जाएंगे.” जलयान की तबाही चौदहवें दिन-रात के समय, जब हम आद्रिया सागर में लहरों के थपेड़ों के बीच आगे बढ़ रहे थे, आधी रात को नाविकों को यह अहसास हुआ कि वे थल के पास पहुंच रहे हैं. जब उन्होंने गहराई नापी तो पाया कि गहराई सैंतीस मीटर थी. कुछ और आगे बढ़ने पर गहराई सत्ताईस मीटर निकली. इस आशंका से कि कहीं वे चट्टानों से टकरा न जाएं उन्होंने जलयान की पिछली ओर से चार लंगर डाल दिए और उत्सुकता से सुबह होने की कामना करने लगे. जलयान से पीछा छुड़ाकर भागने के कार्य में नाविकों ने जीवनरक्षक नाव को जल में इस प्रकार उतारा मानो वे सामने की ओर के लंगर नीचे कर रहे हों. पौलॉस ने शताधिपति और सैनिकों को चेतावनी देते हुए कहा, “यदि ये लोग जलयान पर न रहे तो आप भी जीवित न रह सकेंगे.” इसलिये सैनिकों ने उन रस्सियों को काट दिया जिससे वह नाव लटकी हुई थी. पौलॉस ने उन सबसे कुछ खा लेने की विनती की, “चौदह दिन से आप अनिश्चितता की स्थिति का सामना करते आ रहे हैं और आप लोगों ने कुछ खाया भी नहीं है. इसलिये आपसे मेरी विनती यह है कि आप कुछ तो अवश्य खा लें. जिससे की आपका बचाव हो. आपके सिर का एक बाल भी नाश न होगा.” यह कहते हुए उन्होंने रोटी ली और सभी के सामने उसके लिए परमेश्वर के प्रति धन्यवाद प्रकट किया, उसे तोड़ा और खाने लगे. वे सभी उत्साहित हो गए और सभी ने भोजन किया. जलयान में हम सब कुल दो सौ छिहत्तर व्यक्ति थे. भरपेट भोजन कर उन्होंने जलयान में लदा हुआ गेहूं समुद्र में फेंकना आरंभ कर दिया कि जलयान का बोझ कम हो जाए. दिन निकलने पर वे उस जगह को पहचान तो न सके किंतु तभी उन्हें खाड़ी-जैसा समुद्र का किनारा दिखाई दिया. उन्होंने निश्चय कर लिया कि यदि संभव हो तो जलयान को वहीं लगा दें. उन्होंने लंगर समुद्र में काट गिराए, पाल के रस्से ढीले कर दिए और समुद्र के किनारे की ओर बढ़ने के लक्ष्य से सामने के पाल खोल दिए, किंतु जलयान रेत में फंस गया. उसका अगला भाग तो स्थिर हो गया किंतु पिछला भाग लहरों के थपेड़ों से टूटता चला गया. सैनिकों ने सभी कैदियों को मार डालने की योजना की कि उनमें से कोई भी तैर कर भाग न जाए किंतु शताधिपति पौलॉस को सुरक्षित ले जाना चाहता था; इसलिये उसने सैनिकों का इरादा पूरा न होने दिया और यह आज्ञा दी कि वे, जो तैर सकते हैं, कूद कर तैरते हुए जलयान से पहले भूमि पर पहुंच जाएं और बाकी यात्री जलयान के टूटे अंशों तथा पटरों के सहारे किसी प्रकार भूमि पर पहुंच जाएं. इस प्रकार सभी यात्री भूमि पर सुरक्षित पहुंच गए. मैलिते द्वीप में प्रतीक्षा जब सभी यात्री वहां सुरक्षित आ गए. तब हमें मालूम हुआ कि इस द्वीप का नाम मैलिते था. वहां के निवासियों ने हमारे प्रति अनोखी दया दिखाई. लगातार वर्षा के कारण तापमान में गिरावट आ गई थी. ठंड के कारण उन्होंने आग जलाकर हमारा स्वागत किया. जब पौलॉस ने लकड़ियों का एक गट्ठा आग पर रखा ही था कि ताप के कारण एक विषैला सांप उसमें से निकलकर उनकी बांह पर लिपट गया. वहां के निवासियों ने इस जंतु को उनकी बांह से लटका देखा तो आपस में कहने लगे, “सचमुच यह व्यक्ति हत्यारा है. समुद्री बाढ़ से तो यह बच निकला है किंतु न्याय-देवी नहीं चाहती कि यह जीवित रहे.” किंतु पौलॉस ने उस जंतु को आग में झटक दिया और उनका कोई बुरा नहीं हुआ. वे सभी यह इंतजार करते रहे कि उनकी बांह सूज जाएगी या वह किसी भी क्षण मरकर गिर पड़ेंगे. वे देर तक इसी की प्रतीक्षा करते रहे किंतु उनके साथ कुछ भी असामान्य नहीं हुआ. इसलिये लोगों का नज़रिया ही बदल गया और वे कहने लगे कि पौलॉस एक देवता हैं. उस स्थान के पास ही एक भूमिखंड था, जो उस द्वीप के प्रधान शासक पुब्लियुस की संपत्ति थी. उसने हमें अपने घर में आमंत्रित किया और तीन दिन तक हमारी विशेष आवभगत की. उसका पिता बीमार था. वह ज्वर और आंव से पीड़ित पड़ा था. पौलॉस उसे देखने गए. उसके लिए प्रार्थना करने तथा उस पर हाथ रखने के द्वारा उन्होंने उस व्यक्ति को स्वस्थ कर दिया. परिणामस्वरूप उस द्वीप के अन्य रोगी भी पौलॉस के पास आने लगे और स्वस्थ होते चले गए. उन्होंने अनेक प्रकार से हमारा सम्मान किया. जब हमने वहां से जल-यात्रा शुरू की, उन्होंने वे सारी वस्तुएं, जो हमारे लिए ज़रूरी थी, जलयान पर रख दीं. मैलिते द्वीप से रोम नगर की ओर तीन महीने बाद हमने अलेक्सान्द्रिया जा रहे जलयान पर यात्रा शुरू की. यह जलयान ठंड के कारण इस द्वीप में ठहरा हुआ था. इस यान के अगले भाग पर एक जोड़ी देवताओं की एक आकृति—दिओस्कूरोईस गढ़ी हुई थी. सायराक्यूज़ नगर पहुंचने पर हम वहां तीन दिन रहे. वहां से आगे बढ़कर हम रेगियम नगर पहुंचे. एक दिन बाद जब हमें दक्षिण वायु मिली हम फिर आगे बढ़े और दूसरे दिन पुतेओली नगर जा पहुंचे. वहां कुछ भाई बहिन थे, जिन्होंने हमें अपने घर में ठहरने के लिए आमंत्रित किया. हम वहां सात दिन ठहरे. आखिरकार हम रोम नगर पहुंच गए. हमारे विषय में समाचार मिलने पर भाई बहिन हमसे भेंट करने अप्पियुस के चौक तथा त्रिओन ताबेरनॉन28:15 त्रिओन ताबेरनॉन अर्थात् तीन धर्मशाला नामक स्थान तक आए. उन्हें देख पौलॉस ने बहुत आनंदित हो परमेश्वर के प्रति धन्यवाद प्रकट किया. रोम पहुंचने पर पौलॉस को अकेले रहने की आज्ञा मिल गई किंतु उन पर पहरे के लिए एक सैनिक को ठहरा दिया गया था. रोम नगर के यहूदियों से पौलॉस की भेंट तीन दिन बाद उन्होंने यहूदी अगुओं की एक सभा बुलाई. उनके इकट्ठा होने पर पौलॉस ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “मेरे प्रिय भाइयो, यद्यपि मैंने स्वजातीय यहूदियों तथा हमारे पूर्वजों की प्रथाओं के विरुद्ध कुछ भी नहीं किया है फिर भी मुझे येरूशलेम में बंदी बनाकर रोमी सरकार के हाथों में सौंप दिया गया है. मेरी जांच करने के बाद वे मुझे रिहा करने के लिए तैयार थे क्योंकि उन्होंने मुझे प्राण-दंड का दोषी नहीं पाया. किंतु जब यहूदियों ने इसका विरोध किया तो मुझे मजबूर होकर कयसर के सामने दोहाई देनी पड़ी—इसलिये नहीं कि मुझे अपने राष्ट्र के विरुद्ध कोई आरोप लगाना था. मैंने आप लोगों से मिलने की आज्ञा इसलिये ली है कि मैं आपसे विचार-विमर्श कर सकूं, क्योंकि यह बेड़ी मैंने इस्राएल की आशा की भलाई में धारण की है.” उन्होंने पौलॉस को उत्तर दिया, “हमें यहूदिया प्रदेश से आपके संबंध में न तो कोई पत्र प्राप्‍त हुआ है और न ही किसी ने यहां आकर आपके विषय में कोई प्रतिकूल सूचना दी है. हमें इस मत के विषय में आपसे ही आपके विचार सुनने की इच्छा थी. हमें मालूम है कि हर जगह इस मत का विरोध हो रहा है.” तब इसके लिए एक दिन तय किया गया और निर्धारित समय पर बड़ी संख्या में लोग उनके घर पर आए. सुबह से लेकर शाम तक पौलॉस सच्चाई से परमेश्वर के राज्य के विषय में शिक्षा देते रहे तथा मसीह येशु के विषय में मोशेह की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं के लेखों से स्पष्ट करके उन्हें दिलासा दिलाते रहे. उनकी बातों को सुनकर उनमें से कुछ तो मान गए, किंतु कुछ अन्यों ने इसका विश्वास नहीं किया. जब वे एक दूसरे से सहमत न हो सके तो वे पौलॉस की इस अंतिम बात को सुनकर जाने लगे: “भविष्यवक्ता यशायाह ने पवित्र आत्मा के द्वारा आप लोगों के पूर्वजों पर एक ठीक सच्चाई ही प्रकाशित की थी: “ ‘इन लोगों से जाकर कहो, “तुम लोग सुनते तो रहोगे, किंतु समझोगे नहीं. तुम लोग देखते भी रहोगे, किंतु पहचान न सकोगे.” क्योंकि इन लोगों का हृदय जड़ हो चुका है. अपने कानों से वे कदाचित ही कुछ सुन पाते हैं और आंखें तो उन्होंने मूंद ही रखी हैं, कि कहीं वे आंखों से देख न लें और कानों से सुन न लें और अपने हृदय से समझकर लौट आएं और मैं, परमेश्वर, उन्हें स्वस्थ और पूर्ण बना दूं.’28:27 यशा 6:9, 10 “इसलिये यह सही है कि आपको यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर का यह उद्धार अब गैर-यहूदियों के लिए भी मौजूद है. वे भी इसे स्वीकार करेंगे.” [उनकी इन बातों के बाद यहूदी वहां से आपस में झगड़ते हुए चले गए.]28:29 कुछ प्राचीनतम मूल हस्तलेखों में यह पाया नहीं जाता पौलॉस वहां अपने भाड़े के मकान में पूरे दो साल रहे. वह भेंट करने आए व्यक्तियों को पूरे दिल से स्वीकार करते थे. वह निडरता से, बिना रोक-टोक के, पूरे साफ़-साफ़ शब्दों में परमेश्वर के राज्य का प्रचार करते और प्रभु येशु मसीह के विषय में शिक्षा देते रहे.